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अक्षय कुमार कनाडा के नागरिक हैं, मानद नागरिकता के दावे में भी झोल !

नई दिल्ली. देशभक्त इमेज वाले बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार कनाडा के नागरिक हैं और संभवतः भारत में ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया के तौर पर रहते हैं. अक्षय के इस दावे में झोल है कि उनके पास दोहरी नागरिकता है या कनाडा ने उन्हें मानद नागरिकता दी है.
देशभक्ति से लबरेज कई फिल्में कर चुके अक्षय कुमार ने अक्टूबर, 2010 में दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट’ को एक इंटरव्यू में कहा था, ‘कनाडा से मेरा बहुत गहरा जुड़ाव है. मेरे पास दोहरी नागरिकता भी है.’ पत्रिका ने पूछा था कि कनाडा से उनका क्या कनेक्शन है.
कनाडा के कानून में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है. मतलब कनाडा का कोई नागरिक दूसरे देश की नागरिकता भी ले सकता है और एक साथ कनाडा और उस दूसरे देश का पासपोर्ट भी रख सकता है. लेकिन भारत के कानून में दोहरी नागरिकता जुर्म है और इसके लिए पांच साल तक की सजा और 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है.
अक्षय का ‘द इकोनॉमिस्ट’ को 2010 में दिए गए इंटरव्यू में ये कहना कि उनके पास दोहरी नागरिकता है, सरासर गलतबयानी का मामला दिखता है. भारतीय नागरिक के पास दोहरी नागरिकता नहीं हो सकती है. प्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता और वोटिंग का अधिकार जैसी मांग के साथ 2015 में दायर एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट से प्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता देने की मांग खारिज होने के बाद प्रवासी भारतीयों का एक समूह वेबसाइट (dualcitizenship.in) बनाकर दोहरी नागरिकता, वोटिंग के अधिकार के साथ-साथ संसद में प्रवासी भारतीयों के लिए सीट की मांग पर प्रवासियों के दस्तखत जुटा रहा है ताकि सरकार पर दबाव बने.
भारत में कुछ खास परिस्थिति में कुछ खास तरह के लोगों को दोहरी नागरिकता मिलती है. मसलन, कोई विदेशी राजनयिक अगर भारत में तैनाती के दौरान संतान सुख पाता है तो उस बच्चे को उस राजनयिक के देश की नागरिकता के अलावा तब तक के लिए भारतीय नागरिकता दी जा सकती है जब तक वो राजनयिक भारत में तैनात हो.
अब लौटते हैं अक्षय कुमार के मामले पर. अक्षय के भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करके कनाडा की नागरिकता लेने की खबरें रह-रहकर आती रहती हैं लेकिन अक्षय की तरफ से उस पर ठोस जवाब नहीं दिया जाता है जिसकी वजह से इस मसले पर भ्रम बना हुआ है.
कनाडा को गोद लिया हुआ घर बताने वाले अक्षय कनाडा में 2010 के विंटर ओलंपिक की मशाल भी उठा चुके हैं. कनाडा ने उनको भारत में अपना टूरिज़्म ब्रांड एम्बैसडर भी बनाया.
अक्षय ने कनाडा में लोकप्रिय आइस हॉकी पर वहां के एक्टर्स को लेकर ‘ब्रेकअवे’ नाम से फिल्म भी बनाई जो भारत में ‘स्पीडी सिंह’ के नाम से हिन्दी और पंजाबी में रिलीज हुई लेकिन फ्लॉफ हो गई.
इस साल मुंबई में एक इवेंट के दौरान जब पत्रकार ने अक्षय से पूछा कि कनाडा की नागरिकता का क्या मामला है तो अक्षय का जवाब था, “वो मानद है. ये वो नहीं है जो आप समझ रहे हैं.” मतलब अक्षय का जवाब ये था कि कनाडा की नागरिकता मानद है और वो कनाडाई नागरिकता जैसी नहीं है. अक्षय का मानद नागरिकता वाला दावा नीचे वीडियो में सुनिए.
2010 में अक्षय ने ‘द इकोनॉमिस्ट’ के इंटरव्यू में जिस चीज को दोहरी नागरिकता बताया था उसे 2017 में वो मानद नागरिकता बता रहे हैं. कनाडा की मानद नागरिकता को लेकर अक्षय के दावे की पड़ताल करने पर पता चला कि कनाडा ने आज तक कुल 6 लोगों को मानद नागरिकता दी है जिसमें अक्षय का नाम नहीं है.
कनाडा की मानद नागरिकता पाने वालों में स्वीडन के राउल वॉलेनबर्ग, दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला, तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु और 14वें दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो, बर्मा की लोकप्रिय नेता आंग सान सू की, शिया धर्मगुरु करीम आगा खान चतुर्थ और तालिबान के निशाने पर रहीं मलाला यूसुफज़ई शामिल हैं. ये रही उनकी लिस्ट.
कनाडा की मानद नागरिकता वाली लिस्ट में अक्षय का नाम नहीं होना उनके दावे में झोल साबित करता है. अक्षय की ठोस और बिल्कुल स्पष्ट सफाई के अभाव में उनकी नागरिकता को लेकर फैले भ्रम के बीच कानूनन ये साफ है कि अगर अक्षय कनाडा के नागरिक हैं तो वो भारतीय नागरिक नहीं हो सकते.
ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया के तौर पर अक्षय भारत में जब तक चाहें रह सकते हैं और काम कर सकते हैं लेकिन भारतीय नागरिकों को वोटिंग जैसे कई अधिकार हैं जो उनको नहीं मिल सकते. विकीवीडिया पर अक्षय की प्रोफाइल में स्पष्ट रूप से लिखा है भारत में पैदा हुए कनाडाई एक्टर. नीचे देखिए.
संयोग देखिए कि अक्षय की फिल्म ‘रूस्तम’ जिन नौसेना कमांडर केएम नानावती पर आधारित थी वो नानावती भी मर्डर केस में 3 साल जेल में बिताने के बाद सरकार से मिली माफी के साथ परिवार संग कनाडा चले गए थे और वहां की नागरिकता लेकर टोरंटो में बस गए. नानावती का 2003 में निधन हो गया.
अक्षय कनाडा के नागरिक हैं या भारत के, इसका सच या तो अक्षय बता सकते हैं या भारत का विदेश मंत्रालय. भारतीय दर्शकों के लिए वो अच्छी फिल्में बना रहे हैं, ये काफी है लेकिन जिस शख्स को करोड़ों लोग फॉलो करते हों उन्हें सच बोलना चाहिए. भले ही वो कड़वा क्यों ना हो.
कनाडा को गोद लिया हुआ घर बताने वाले अक्षय कनाडा में 2010 के विंटर ओलंपिक की मशाल भी उठा चुके हैं. कनाडा ने उनको भारत में अपना टूरिज़्म ब्रांड एम्बैसडर भी बनाया.
अक्षय ने कनाडा में लोकप्रिय आइस हॉकी पर वहां के एक्टर्स को लेकर ‘ब्रेकअवे’ नाम से फिल्म भी बनाई जो भारत में ‘स्पीडी सिंह’ के नाम से हिन्दी और पंजाबी में रिलीज हुई लेकिन फ्लॉफ हो गई.
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