मुंबई: एक तो आप इंद्रसभा जैसी म्यूजिकल फिल्म प्लान करें, उसके बाद बैकड्रॉप आपकी उसी हीरो के साथ पिछली फिल्म जैसा लगे, आप दुनियां का सबसे खतरनाक विलेन पेश करें, उस पर उसके सामने हकलाने वाले एक स्कूली बच्चे को रखें, हर दूसरे सीन में कॉमेडी या इमोशन की हैवी डोज दें, पुरलिया हथियार कांड, सुभाष चंद्र बोस, इंटरनेशनल हथियार डीलरों का गैंग और विश्व शांति जैसे मुद्दे भी फिल्म में घुसेड़ दें तो ये डर रहता है कि आपकी फिल्म कहीं रंगून ना बनकर रह जाए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
अनुराग बसु ने साबित कर दिखाया कि इतना सब होने के बावजूद भी ऑडियंस को सीट से बांधे रखा जा सकता है, वो भी हंसते हंसाते रोते रुलाते. कई खामियों के वाबजूद अगर फिल्म ऑडियंस को बोर नहीं होने देती तो उसकी वजह फिल्म में एक बड़ी बात और वो है सस्पेंस. फिल्म में कोई ना कोई सस्पेंस लगातार बना रहता है, उसके कॉमेडी वाली घटनाएं और खतरनाक गैंग के सीरिय़स काम एक साथ चल रहे होते हैं.
फिल्म की कहानी है एक हकलाने वाले लड़के यानी रणवीर कपूर की जो एक प्रोफेसर की जान बचाता है तो वो प्रोफेसर उसे अपना बेटा मान लेता है. लेकिन वो प्रोफेसर इंटरनेशनल हथियारों के गैंग का पर्दाफाश करने के लिए उनके साथ काम करना शुरू कर देता है और उस बेटे से सालों के लिए गायब हो जाता है. फिल्म में कैटरीना एक पत्रकार के रोल में हैं, जो अपने प्रेमी की हत्या का बदला उसी गैंग से लेने की फिराक में है.
रणवीर कैटरीना की मदद करता है, लेकिन जब उसे पता चलता है कि उसका पिता भी इसी गैंग के चंगुल में हैं तो वो कैटरीना से मदद मांगता है, कहानी फिर अफ्रीकाई धरती पर पहुंच जाती है, जहां कि वो दो सरों वाला सरगना रहता है. कहानी के एक एक सीन काफी करीने से पिरोया गया है और जहां करीने से नहीं लगता या इल्लोजिकल लगता है, वहां उन दोनों के फनी किरदार उसे ढक लेते हैं. ज्यादातर डायलॉग गाने के अंदाज में बोले गए हैं, आपको थिएटर जैसा अंदाज देखने को मिलेगा, रणवीर की फिल्म तमाशा में भी राज कपूर के इस अंदाज को फॉलो किया गया था, लेकिन कामयाबी जग्गा जासूस में मिली है.
गाने के पीछे पहले ही हकलाने से बचने का लॉजिक दे दिया गया है. कैटरीना इस फिल्म में नरेटर की भी भूमिका में है, शायद इसलिए क्योंकि पहले आधे घंटे फिल्म में कैटरीना का रोल था ही नहीं और उस पर परसों उनका बर्थडे है, शाय़द कैटरीना को बीच बीच में इसी लिए नरेटर के रोल में फिट किया गया. फिल्म आपको पूरी यात्रा करवाती है, मणिपुर, कोलकाता, मोरक्को.. थाइलैंड और दार्जीलिंग में भी इस फिल्म की शूटिंग हुई है. शुरूआत में तो लगा भी कहीं रणवीर-अनुराग की पुरानी फिल्म बर्फी का अगला संस्करण तो नहीं.
फिल्म की कामयाबी का क्रेडिट स्टोरी प्लॉट औऱ डायरेक्शन के हिस्से में सबसे ज्यादा जाता है, काफी फुरसत से बनाई गई लगती है. रणवीर ने तो अपने किरदार पर मेहनत की ही, कैटरीना को भी कई बार गिरने के काफी खतरनाक शॉट देने पड़े, तो सौरभ शुक्ला और बंगाली एक्टर शाश्वत चटर्जी ने फिल्म को थामे रखा. एक बार फिर शिरीश कुंडेर की फिल्म जानेमन की तरह ही अजय शर्मा ने एडीटिंग में काफी एक्सपेरीमेंट इस फिल्म में किए हैं, तो रवि वर्मन की सिनेमेटोग्राफी भी कमाल की है.
फिल्म आपको इसलिए भी बोर नहीं होने देती कि कम से कम तीन गाने ऐसे हैं, जिन्हें आप गुनगुनाएंगे अमिताभ भट्टाचार्य के लिखे गलती से मिस्टेक, खाना खाके और नीलेश मिश्रा का इकलौता गाना झुमरी तलैया…. सुरों में बांधने का क्रेडिट प्रीतम को है.
फिल्म के आखिरी सीन में दो सरों वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी को दिखाकर डायरेक्टर ने ये भी इशारा कर दिया है कि जग्गा जासूस का सीक्वल भी लाया जा सकता है. वैसे भी जिस तरह से उसे कॉमिक्स में दिखाया जाता है, उससे ये अंदाजा पुख्ता भी होता है. इससे ज्यादा लिखना आपके मजे को खराब करना जैसा होगा, सो पहली फुरसत में जग्गा जासूस से मिल आइए अपने नजदीकी सिनेमा हॉल्स में.