मुंबई: प्रभुदेवा, रितिक रोशन, गोविंदा और टाइगर श्रॉफ जैसे ना जाने कितने डांसर बॉलीवुड में आए, लेकिन डिस्को डांसर एक ही रहेगा मिथुन चक्रवर्ती, अपने डांस की वजह से ही वो जितना भारत में पसंद किए जाते थे, उतने ही रूस के फेवरेट थे, राजकपूर की तरह ही. लेकिन हमें इतना बड़ा डांसिंग स्टार नहीं मिला होता अगर मिथुन चक्रवर्ती की जिंदगी में एक बड़ा एक्सीडेंट ना होता.
मिथुन की जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वॉइंट था उनके भाई की दर्दनाक मौत. अगर ये भयानक हादसा नहीं हुआ होता तो मिथुन नक्सल आंदोलन में जुटे रहते और या तो जंगल की खाक छान रहे होते या फिर अब तक सुरक्षा बलों की गोलियों के शिकार होते और उनका नाम होता गौरांग चक्रवर्ती.
जी हां, मिथुन का असली नाम था गौरांग चक्रवर्ती. हैदराबाद में पैदा हुए लेकिन कोलकाता में पले बढ़े गौरांग कॉलेज टाइम में ही नक्सल आंदोलन से जुड़ गए थे, उस वक्त के बड़े नक्सली लीडर रवि रंजन से उनकी दोस्ती थी. वो कई तरह के विरोध प्रदर्शनों के अलावा उनकी बाकी गतिविधियों में भी हिस्सा लेते थे.
लेकिन उनके भाई की दर्दनाक मौत ने उनका नक्सल आंदोलन से मोह भंग कर दिया. बताया जाता है किन उनकी भाई की करंट लगने या लगाने से भयानक मौत हो गई. मिथुन ने ना केवल नक्सली मूवमेंट बल्कि कोलकाता ही छोड़ दिया. वो कोलकाता से पुणे चले आए और फिल्म एंड टेलीवीजन इंस्टीट्यूट में एडमीशन ले लिया. वहीं से उन्हें पहली फिल्म मिली मृणाल सेन की ‘मृगया’, जिसके लिए उनको उनका पहला नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला.
हालांकि बाद में उन्होंने एक फिल्म भी नक्सल आंदोलन पर की, उनको द नक्सलाइट फिल्म में हीरो बनाया कभी अमिताभ बच्चन को सात हिंदुस्तानी के जरिए ब्रेक देने वाले ख्वाजा अहमद अब्बास ने. द नक्सलाइट में स्मिता पाटिल और जलाल आगा भी थे. मिथुन ने डिस्को डांसर से पहचान मिलने से पहले करीब 48 फिल्में की, कोई सुपरहिट गई तो किसी में गेस्ट एपीयरेंस था. बीसियों ऐसी थीं, जो पैसे भी नहीं निकाल पाईं. मिथुन के लिए मुख्य धारा में कैरियर अभी दूर की कौड़ी थी. उन्होंने छोटे छोटे रोल करने के साथ बतौर असिस्टेंट डांसिग क्वीन हैलन की टीम को ज्वॉइन कर लिया, लेकिन नए नाम से, नया नाम था राना रे .
ये था उनकी जिंदगी का दूसरा टर्निंग प्वॉइंट, मिथुन को मिली फिल्म ‘डिस्को डांसर’, इसी डांस ट्रेनिंग की बदौलत इस फिल्म के बाद देश का बच्चा बच्चा मिथुन को जान गया और डिस्को डांसर के गानों पर सालों थिरकता रहा. आज भी हैलन की वजह से सलमान के घर में मिथुन को खासी तरजीह दी जाती है.
फिर तो वो दौर आया जब 1998-99 में मिथुन ने तीस फिल्में की और ताबड़तोड़ फिल्में साइन करने के चलते वो ढंग से किसी पर ध्यान नहीं दे पाए, बिजनेस में भी उनको नुकसान हुआ तो वो ऊटी में अपने होटल मोनार्क पर ज्यादा ध्यान देने लगे. फिर वापसी और राजनीति में जाने की कहानी तो आम हो चली है. लेकिन मिथुन के अंदर आम आदमी की मदद का जज्बा कभी कम नहीं हुआ था, बॉलीवुड में भी उन्होंने सुनील दत्त और अमरीश पुरी की मदद से बॉलीवुड में काम कर रहे जूनियर स्टाफ और तकनीशियनों की मदद के लिए दो संस्थाएं शुरू की और बड़े स्टार्स की मदद से ट्रस्ट स्थापित किए.
हालांकि फिर भी कुछ लोग उनसे नाराज रहे, लेकिन उनको सबसे ज्यादा नाराजगी खली थी किशोर कुमार की. किशोर कुमार दोस्तों के दोस्त तो थे ही, अगर कोई बात दिल पर लग जाती थी तो उनको मनाना आसान नहीं था. एक बार तो उन्होंने संजय गांधी तक की फरमाइश मानने से मना कर दिया था. उनका शिकार एक बार बन गए थे मिथुन चक्रवर्ती. जब मधुबाला की मौत के बाद किशोर कुमार ने योगिता बाली के साथ अपनी दुनियां बसाई तो योगिता ने उन्हें छोड़कर मिथुन से शादी कर ली.
किशोर कुमार को इससे बड़ा शॉक लगा, उन्होंने मिथुन के लिए गाना बंद कर दिया. तब बप्पी लहरी मिथुन की आवाज बने. कई साल तक किशोर कुमार मिथुन से नाराज रहे, बाद में उन्होंने प्रोफेशनल रवैया अपनाते हुए मिथुन की फिल्मों के लिए भी गाना शुरू कर दिया. वैसे आज भी मिथुन की पूरी कोशिश रहती है कि फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध के पीछे के लोगों की जिंदगी में अंधेरा ना आए, और वो और उनके ट्रस्ट इस काम में लगातार लगे रहते हैं. इनखबर डॉट कॉम की तरफ से मिथुन दा को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं.