नई दिल्ली: इस शुक्रवार 2 जून को एक फिल्म रिलीज हुई, मूल रूप से अंग्रेजी में लेकिन बाग्ला और हिंदी बोलते किरदारों के साथ, फिल्म का नाम था ए डैथ इन दा गंज. फिल्म में कुछ चेहरे पहचाने हुए थे मसलन रणवीर शौरी, ओम पुरी, कल्कि और विक्रांत मैसी आदि लेकिन फिल्म को कॉमर्शियली नहीं बनाया गया था इसलिए कम चर्चा में थी, लेकिन फिल्म सर्कल में उसकी जोरों पर चर्चा थी और उसकी बड़ी वजह थी कि ये पहली फिल्म थी जिसे कोंकणा सेन शर्मा ने डायरेक्ट किया है.
चूंकि फिल्म की कहानी उड़ता पंजाब के डायरेक्टर अभिषेक चौबे के झारखंड में गांव की थी, सो उनका नाम भी चर्चा में था. नाम चर्चाओं से दूर रहा तो वो था नील पटेल का, वो बंदा जिसने ये फिल्म बनाने का सपना देखा और उसके लिए ये फिल्म एक ख्वाब के पूरे होने जैसा था. इस ख्वाब के साथ नील पटेल की बॉलीवुड मे बतौर प्रोडयूसर एंट्री हो गई है.
जिस तरह कोंकणा बतौर डायरेक्टर पहली बार इस फिल्म के साथ आईं है, वैसे ही नील पटेल ने भी बतौर प्रोडयूसर अपनी पहली फिल्म अपने बैनर मोह माया फिल्म्स के बैनर तले लांच की है. अमेरिका में पैदा हुए और पले बढ़े नील पटेल को बॉ़लीवुड का मोह पहले से ही था, दस साल पहले उसने मुंबई आकर कॉलेज के दिनों में एक्टिंग में हाथ आजमाने की भी कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बन पाई. लेकिन इस फिल्म के जरिए बॉलीवुड में एंट्री का उसका सपना पूरा हो गया है.
ए डैथ इन द द गंज की कहानी एक ऐसे युवा की है जो अपने आप में,अपनी सोच में ही घिरा रहता है, बहुत प्रेक्टिकल नहीं है, लोगों के मजाक नहीं समझ पाता, छोटी छोटी बात पर सीरियस हो जाता है और फिल्म के आखिरी सीन में सुसाइड कर लेता है, जबकि फिल्म में विलेन कोई नहीं होता. कई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल्स में इस फिल्म को पसंद किया गया है, नेशनल अवॉर्ड के भी चांसेज हैं.
एमबीए करने के बाद नील पिता के हॉस्पिटेलिटी बिजनेस में तो जुड़ गए ही हैं, बॉलीवुड में भी किस्मत आजमाने के लिए अमेरिका के एक नामी इंस्टीट्यूट से फिल्म मेकिंग कोर्स में एक्टिंग, स्क्रिप्टिंग और डायरेक्शन के गुर सीख चुके हैं. हालांकि उन्होंने पहली फिल्म के नाते एक कम बजट की छोटी मूवी से शुरूआत की है, लेकिन आगे उनका इरादा नामी डायरेक्टर्स के साथ बडी फिल्में बनाने का और हॉलीवुड की मूवीज के राइट्स लेकर हिंदी में रीमेक करने का है.