मुंबई: कहते हैं न इंसान की ‘जिद’ कही भी उसे पहुंचा सकता है और यही उहारण को साबित कर दिया पूर्व पत्रकार अविनाश दास ने. अविनाश दास को प्रिंट और टीवी मीडिया में सत्रह साल का अनुभव है. मीडिया में अपनी खास पहचान रखने के बावजूद अविनाश निर्देशन के माध्यम से बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रहे हैं. इनकी पहली फिल्म आ रही है ‘अनारकली ऑफ आरा’ आज रिलीज हो गई है.
क्या है फिल्म की कहानी
यह कहानी बिहार के आरा जिले की है जहां की सिंगर अनारकली है और उनकी मां भी गाया करती थी. बचपन में एक समारोह में दुर्घटना के दौरान अनारकली की मां की डेथ हो जाती है और अनारकली स्टेज पर परफॉर्म करना शुरू कर देती है.
रंगीला इस बैंड का हिसाब किताब संभालता है और शहर के दबंग ट्रस्टी धर्मेंद्र चौहान का दिल जब अनारकली पर आ जाता है तो एक बार स्टेज परफॉर्मेन्स के दौरान ही कुछ ऐसी घटना घट जाती है जिसकी वजह से अनारकली को धर्मेंद्र चौहान से बचकर के दिल्ली जाना पड़ता है. कहानी में कई मोड़ आते हैं और आखिरकार इसे एक अंजाम मिलता है.
फिल्म का एक सुर है जो पूरी फिल्म के दौरान बना रहता है और संगीत को भी उसी लिहाज से पिरोया गया है जो कर्णप्रिय है और जो लोग उत्तर प्रदेश, बिहार या कहें की नार्थ इण्डिया से ताल्लुक रखते हैं उनके लिए काफी फ्री फ्लो फिल्म है.फिल्म में संजय मिश्रा की बेहतरीन एक्टिंग नजर आती है और वो आपको विलेन के नाते घृणा करने पर विवश कर देते हैं.
वही रंगीला के किरदार में पंकज मिश्रा ने अपने किरदार पर काफी बारीकि से काम किया है जो कि परदे पर साफ नजर आता है. स्वरा भास्कर ने अपने सिंगर के पात्र को बखूबी निभाया है जिससे आप खुद को कनेक्ट कर पाते हैं.
फिल्म का डायरेक्शन अविनाश दास ने किया है जो पहली बार किसी फिल्म को डायरेक्ट कर रहे हैं और यह प्रयास सराहनीय है.
इन क्षेत्रों से प्रभावित है बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश
फिल्म की कमजोर कड़ी शायद इसकी टिपिकल कहानी है जो शायद एक तबके की ऑडिएंस को नापसंद हो. साथ ही इसमें बोली गई भाषा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार, झारखण्ड के लोगों को पूरी तरह समझ आएगी परंतु बाकी प्रदेश के लोगों को एक फ्लो में बोले गए वाक्य शायद पूरी तरह ना समझ आएं. फिल्म के गाने भी टिपिकल हिंदी फिल्मों के गीतों के जैसे नहीं हैं इसलिए शायद सबको अच्छे ना लगे.
बॉक्स ऑफिस
फिल्म का बजट काफी कम रखा गया है और प्रमोशन के साथ-साथ मार्केटिंग भी लिमिटेड अंदाज में की गई है. पीवीआर सिनेमाज खुद इसे रिलीज कर रहे हैं. इस लिहाज से फिल्म की रिकवरी आसान हो सकती है. खास तौर से छोटे शहरों के सिंगल थिएटर्स में इस फिल्म को जगह जरूर मिलने की संभावना है.