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भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान का जन्मदिन: बिहार के गांव का लड़का कैसे बना पंडित नेहरू का फेवरेट

नई दिल्ली: भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान की यादगार धरोहरों में शुमार है. आज बिस्मिल्लाह खान का जन्म दिन है और इस खास पल पर उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां से जुड़़े हम आपको ऐसे राज बताएंगे जिससे आप अभी तक अनजान थे. बता दें कि खान साहब का जन्म 21 मार्च 1916 को  डुमरांव, बिहार में हुआ था.
सन् 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.वह तीसरे भारतीय संगीतकार थे जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. स्मिल्ला खां का जन्म बिहारी मुस्लिम परिवार में पैगम्बर खां और मिट्ठन बाई के यहां बिहार के डुमरांव के ठठेरी बाजार के एक किराए के मकान में हुआ था.
क़मरुद्दीन से लेकर भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान तक का सफर
उनके बचपन का नाम क़मरुद्दीन था. वे अपने माता-पिता की दूसरी सन्तान थे. चूंकि उनके बड़े भाई का नाम शमशुद्दीन था अत: उनके दादा रसूल बख्श ने कहा-“बिस्मिल्लाह!” जिसका मतलब था “अच्छी शुरुआत. या श्रीगणेश” अत: घर वालों ने यही नाम रख दिया. और आगे चलकर वे “बिस्मिल्ला खां” के नाम से मशहूर हुए.
उनके खानदान के लोग दरवारी राग बजाने में माहिर थे जो बिहार की भोजपुर रियासत में अपने संगीत का हुनर दिखाने के लिये अक्सर जाया करते थे. उनके पिता बिहार की डुमरांव रियासत के महाराजा केशव प्रसाद सिंह के दरवार में शहनाई बजाया करते थे. 6 साल की उम्र में बिस्मिल्ला खां अपने पिता के साथ बनारस आ गये. वहां उन्होंने अपने चाचा अली बख्श ‘विलायती’ से शहनाई बजाना सीखा.
मुस्लिम होने के बावजूद विश्वनाथ मन्दिर में शहनाई-वादन
उनके उस्ताद चाचा ‘विलायती’ विश्वनाथ मन्दिर में स्थायी रूप से शहनाई-वादन का काम करते थे. बिस्मिल्ला को लेकर सबसे रोचक बात यह है कि मुस्लिम होने के बावजूद बिस्मिल्ला खां काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर शहनाई बजाया करते थे.  बिस्मिल्ला खां देश के चुनिंदा कलाकारों में से एक हैं जिन्हें आजदी के मौके पर साल 1947 में लाल किले में शहनाई बजाने का मौका मिला था.
आखिर नेहरू के क्यों फेवरेट थे बिस्मिल्ला खां
बिस्मिल्ला खां ने फिल्मों में अपनी शहनाई का संगीत दिया है जिसमें राजकुमार, गूंज उठी शहनाई जैसी फिल्में शामिल हैं.21 अगस्त 2006 को बिस्मिल्ला खां ने दुनिया को अलविदा कह दिया, वो चार साल से कार्डियेक रोग से परेशान थे. भारत सरकार ने उनके निधन को राष्ट्रीय शोक घोषित किया था और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई थी.
साल 2001 में बिस्मिल्ला खां को देश के सबसे बड़े अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. बिस्मिल्ला खां हमेशा से ही पंडित नेहरू के फेवरेट रहे, हालांकि उनकी बीमारी के वक्त उन्होंने और उनके परिवार ने कांग्रेस और गांधी परिवार पर अनदेखी का आरोप लगाया था लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनावों में बिस्मिल्ला खां के बेटों ने राहुल गांधी के लिए शहनाई बजायी थी.
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