नई दिल्ली : फिल्म के प्रोमो देखकर अगर आपको लगता है कि काबिल देखनी चाहिए, तो जरूर देखनी चाहिए. दरअसल ये मूवी ब्लाइंड जोड़े की कहानी है, सो जाहिर है कि फिल्म काफी कुछ वैसी नहीं होगी, जैसी कि आम फिल्में होती हैं. फिल्म का शुरुआती लगभग पच्चीस फीसदी हिस्सा उस जोड़े के मिलने, वो कैसे अपनी लाइफ जीते हैं इसको दिखाने, क्या जॉब करते हैं और कैसे रोमांस करते हैं, इसको दिखाने में चला जाता है.
आप भूल जाते हैं कि आप कांटे, मुसाफिर, जिंदा, जज्बा और शूटआउट एट वडाला जैसी थ्रिलर और लाउड फिल्मों के डायरेक्टर संजय गुप्ता की ही मूवी देख रहे हैं. उन्हीं रोमांटिक पलों में कुछ सीन आपको लगेंगे कि इसकी क्या जरूरत थी, लेकिन बाद में आपको लगेगा कि हर सीन के जरिए एक शानदार थ्रिलर रचा जा रहा था.
इंटरवल तक आते-आते पहुंची पीक पर
कहानी ना रईस की पेचीदा थी और ना काबिल की. रईस में गैंगस्टर बनने और एनकाउंटर होने की सिम्पल कहानी थी, वैसे ही काबिल में ब्लाइंड बीवी के रेप और सुसाइड के बाद ब्लाइंड पति की बदला लेने की दो लाइन की कहानी है, जो कोरियाई फिल्म ब्रोकन जैसी है, जिसमें आंखों से महरूम शख्स अपनी बेटी के रेप और मर्डर का बदला लेता है.
सारा मसला था ट्रीटमेंट का, कहानी को बांधकर बढ़ाने का, रईस ने पहली मिनट से ऑडियंस के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाई और क्लाइमेक्स तक आकर फिसल गई तो काबिल के साथ उलटा हुआ. काबिल ने शुरू में दोनों की रोमांटिक लाइफ दिखाने के चलते ऑडियंस को कुछ वक्त के लिए बोर कर दिया, लेकिन जब मूवी उठनी शुरू हुई तो इंटरवल तक आते-आते पीक पर थी. कैसे एक दृष्टिहीन व्यक्ति अपना बदला लेता है, संजय गुप्ता ने इसको शानदार ट्रीटमेंट दिया है.
मराठी कॉरपोरेटर की भूमिका में रॉनित रॉय जमे हैं, डायलॉग डिलीवरी पर रॉनित ने काफी फोकस किया, रॉनित के साथ रोहित का भी कायदे का रोल है. यामी गौतम का रोल ज्यादा नहीं था, सो माहिरा की तरह उनसे भी किसी को शिकायत नहीं होगी. नरेन्द्र झा रईस में भी जमे हैं और काबिल में भी. देखा जाए तो फिल्म तीन ही लोगों की थी संजय गुप्ता, ऋतिक रोशन की और रोनित रॉय की.
कुछ डायलॉग और गाने भी बेहतर
संजय गुप्ता ने काफी करीने से इस थ्रिलर को बुना है, कौन-से सीन में कौन-सा क्लू छोड़ना है, कौन-सा फ्लैश बैक कहां इस्तेमाल करना है, और ऋतिक के किरदार में कहां कॉन्फीडेंस लाना है, किस सीन में कितना अंधेरा रखना है और एक दृष्टिहीन व्यक्ति क्या-क्या कर सकता है, उसे जस्टीफाई भी करना है, संजय गुप्ता ने अपनी भरपूर कोशिश की और कामयाब भी हुए. हमेशा की तरह उनका आइटम सॉन्ग जो उर्वशी रौतेला पर फिल्माया गया है, किसी भी मायने में सनी लियोनी के लैला वाले सॉन्ग से कम नहीं है.
राजेश रोशन ने फिर कुछ अच्छे गुनगुनाने लायक गाने दिए हैं. कुछ डायलॉग भी अच्छे बन पड़े हैं, खासकर थाने में बोला गया ऋतिक का लम्बा डायलॉग, एक लाइन ये भी, ‘हर खुदकुशी करने वाले का कोई ना कोई कातिल जरूर होता है’ या ‘फिर मैं आएगा तू डरेगा तो नहीं’. रोमांस को महसूस करने के लिए ऋतिक-यामी के मॉल में बिछड़ने का सीन काफी है. हालांकि, आंखों से महरूम लोगों की परेशानियां आपको इमोशनल भी कर सकती हैं.
जाहिर है रईस से भी काबिल की तुलना होगी, बॉक्स ऑफिस आंकड़ों की भी होगी. रईस मसाला मूवी है, वो ज्यादा पैसे कमा सकती है, लेकिन तारीफ काबिल की भी होगी. वैसे तुलना डायरेक्टर्स की भी होगी, राहुल ढोलकिया ने भी नया एक्सपेरीमेंट किया और संजय गुप्ता ने भी. लब्बोलुवाब ये कि ऋतिक फैंस को, रोमांस और थ्रिलर के शौकीनों को और रूटीन से हटकर देखने वालों को ये मूवी पसंद आएगी.