मुंबई: बॉलीवुड के एक्टर और डायरेक्टर राज कपूर का आज जन्मदिन है. हिंदी फिल्म जगत के शोमैन कहे जाने वाले अभिनेता का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर में हुआ था. अपने फिल्मी करियर की शुरुआत राज ने 11 साल की उम्र में फिल्म इंकलाब से की थी. आइए आज आपको बताते हैं राज कपूर से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में…
1-राज कपूर की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई थी. हालांकि पढ़ाई में उनका मन कभी नहीं लगा और 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी होने से पहले ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी. इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि मनमौजी राज कपूर ने विद्यार्थी जीवन में अपनी किताबें-कॉपियां बेचकर खूब केले, पकौड़े और चाट के मौज उड़ाए थे.
2-वे बॉम्बे टाकीज़ स्टुडिओ में हेल्पर का काम करते थे. बाद में वे केदार शर्मा के साथ क्लैपर ब्वाय का कार्य करने लगे.
3-एक बार केदार शर्मा की एक फिल्म में क्लैपर ब्वॉय के रूप में काम करते हुए राज कपूर ने एक बार एक बार इतनी जोर से क्लैप किया कि नायक की नकली दाढ़ी क्लैप में फंसकर बाहर आ गई और केदार शर्मा ने गुस्से में आकर राज कपूर को एक जोरदार चांटा लगाया. आगे चलकर केदार ने ही अपनी फिल्म ‘नीलकमल’ में राजकपूर को बतौर नायक लिया.
4-राज कपूर के बारे में एक और दिलचस्प बात है कि बचपन में राज कपूर सफेद साड़ी पहने हुई एक स्त्री पर मोहित हो गए थे. उसके बाद से सफेद साड़ी से उनका मोह इतना गहरा गया कि उनकी तमाम फिल्मों की अभिनेत्रियां पर्दे पर भी सफेद साड़ी पहने नजर आईं. यहां तक कि घर में उनकी पत्नी कृष्णा हमेशा सफेद साड़ी ही पहना करती थीं.
5-फिल्मों के साथ राजकपूर का नाम जब भी लिया जाता है, तो नरगिस का नाम भी जहन में आता है. इनकी जोड़ी उस दौर की सबसे खूबसूरत जोड़ी मानी जाती थी.
6-भारत सरकार ने राज कपूर को हिंदी सिनेमा जगत में उनके अपूर्व योगदान के लिए 1971 में पद्मभूषण से सम्मानित किया था. साल 1987 में उन्हें सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया था.
7-इसके अलावा फिल्म ‘अनाड़ी’ और ‘जिस देश में गंगा बहती है’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था. 1965 में ‘संगम’, 1970 में ‘मेरा नाम जोकर’ और 1983 में ‘प्रेम रोग’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था.
हिंदी सिनेमा के इतिहास में राज कपूर का योगदान उन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके बाद परिवार की चार पीढ़ियां लगातार सिनेमा जगत में अपनी छाप छोड़ती आईं हैं. कपूर परिवार एक ऐसा परिवार है, जिसमें दादा साहेब फालके पुरस्कार दो बार चुका है. सन् 1972 में राज के पिता पृथ्वीराज कपूर को भी इस सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.