मुंबई. ‘फोर्स’ की फ्रेंचआईजी ‘फोर्स 2’ आज सिनेमाघरों के पर्दे पर उतर चुकी है. फिल्म ‘देल्ही बेली’ का निर्देशन कर चुके अभिनय देव ने ‘फोर्स 2’ में एक्शन समेत थ्रिलर का तड़का लगाने का पूरा प्रयास किया है. इतना ही नहीं जहां एक ओर ‘फोर्स’ साउथ इंडियन फिल्म की रीमेक थी, इसकी सीक्वल एकदम ओरिजनल है.
फिल्म में जॉन अब्राहम यशवर्धन के किरदार में काफी जंच रहे हैं. वो हमेशा की तरह लोगों से भिड़ते ही नहीं दिखाई दिए हैं बल्कि अपने डायलॉग के जरिए वो लोगों को कंविंस करते हुए दिख रहे हैं. वहीं सोनाक्षी सिन्हा की बात करें तो वो भी अपने किरदार को बखूबी निभाने के साथ फिल्म में एक्शन करती भी दिखाई दे रही हैं.
फिल्म रिव्यू
फिल्म की शुरूआत चाइना के संघाई से शुरू होती है. यहां 20 भारतीय रॉ एजेंटों में से तीन एजेंट को मार दिया जाता है. इन तीन एजेंटों में से एक एजेंट हरीश चतुर्वेदी यशवर्धन यानि जॉन अब्राहम का पक्का मित्र होता है. एक दिन हरीश की ओर से भेजी गई एक किताब यशवर्धन को मिलती हैस जिसमें उसके मरने का कारण लिखा होता है. इसके बाद यशवर्धन इस किताब को लेकर दिल्ली के रॉ हेड क्वार्टर में पहुंचता जहां इस पर एक बैठक होती है.
इस बैठक के बाद मुंबई पुलिस का इंस्पेक्टर यशवर्धन और रॉ एजेंट केके यानि सोनाक्षी सिन्हा चाइना के लिए रवाना हो जाते हैं. दोनों यह जानने के लिए चाइना पहुंचते हैं कि आखिर रॉ की टीम में रहकर उनकी जानकारी दूसरों तक पहुंचा रहा है, जिसकी वजह से वहां मौजूद रॉ के एजेंट आएदिन मारे जा रहे हैं.
चाइना पहुंचने के बाद दोनों को जांच में शिव शर्मा यानि ताहिर राज भसीन पर शक होता है और उसे पकडऩे के लिए वह उसके घर जाते हैं, लेकिन इससे पहले वो भाग निकलता है. बाद में काफी मशक्कतों के बाद वो पकड़ लेते हैं. दोनों उसे दिल्ली लाने के लिए एयरपोर्ट तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. लेकिन उनके आदमियों को पहले ही हर बात की खबर लग जाती है, क्योंकि, शिव केके यानि सोनाक्षी सिन्हा की घड़ी में एक चिप लगा देता है. इसके बाद फिल्म दिलचस्प मोड़ पर आ जाती है और बाद में साधारण क्लाइमैक्स के साथ फिल्म खत्म होती है.