मुंबई. आठ नवंबर को अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की एक साथ आखिरी फिल्म अकेला को 25 साल हो जाएंगे. यूं तो दोनों ने शान, दीवार, त्रिशूल, सुहाग, सिलसिला, काला पत्थर, कभी कभी और रोटी कपड़ा और मकान जैसी कई यादगार, शानदार सुपरहिट फिल्में दीं.
लेकिन ‘अकेला’ उनकी आखिरी फिल्म थी, जिसमें शशि कपूर ने उम्र में उनसे छोटे होने के बावजूद एक सीनियर पुलिस ऑफिसर का रोल किया. इस फिल्म के बाद शशि कपूर एक हिंदी फिल्म, दो इंग्लिश फिल्म और एक मिनी टीवी सीरीज ही कर पाए. इन दोनों की ये आखिरी फिल्म 25 साल पहले यानी 1991 में 8 नवंबर को रिलीज हुई थी.
आम तौर पर फिल्मों में शशि या तो बिग बी के छोटे भाई का रोल करते दिखे या दोस्त का. लेकिन अकेला में अमिताभ बच्चन पुलिस इंस्पेक्टर के लीड रोल में और शशि कपूर पुलिस कमिश्नर के छोटे से रोल में थे यानी दोनों की फिल्मी परदे पर दोस्ती की एंडिंग बच्चन की फिल्म में शशि कपूर के एक छोटे से रोल से हुई थी.
लेकिन असल जिंदगी में दोनों की दोस्ती की शुरूआत कैसे हुई थी, इसका खुलासा 2009 में खुद अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में किया था. पृथ्वीराज कपूर से तो हरिवंश राय बच्चन की दोस्ती थी ही, शशि कपूर के ससुर ज्योफ्री केंडल जो एक थिएटर ग्रुप चलाते थे, से भी अमिताभ बच्चन की जान पहचान थीं.
ऐसे में शशि से अमिताभ का परिचय तो था, लेकिन उस वक्त शशि एक तरह से सुपरस्टार थे. उनकी सात आठ फिल्में तब तक सुपरहिट हो चुकी थीं.
उस वक्त मोबाइल फोन होते नहीं थे और अमिताभ को ये पता था कि शशि संडे को शूट नहीं करते और अपने बच्चों के साथ उस दिन सन एंड सैंड होटल में स्विमिंग करने जाया करते थे.
ऐसे में अमिताभ बीच के रास्ते से होटल के करीब जाकर खड़े हो जाते थे, ताकि शशि का ध्यान खींचने की कोशिश कर सकें. उस वक्त शशि को इस्माइल मर्चेंट ने किसी इंगलिश फिल्म के लिए साइन किया था, उस फिल्म में किसी छोटे से रोल के लिए बच्चन ने शशि से एप्रोच लगाई. एक दिन प्रोडयूसर इस्माइल ने उन्हें बुलाया और एक छोटे से सीन के लिए पांच सौ रुपए में अमिताभ को साइन कर लिया लेकिन बाद में वो सीन भी फिल्म से काटना पड़ गया, लेकिन अमिताभ अपने पांच सौ के मेहनताने से खुश थे.
उन्हें बाद में फिर से बुलाया गया, शशि कपूर की अर्थी का सीन था, बच्चन को शवयात्रा में उनकी अर्थी को कांधा देना था और उस भीड़ में शामिल रहना था. सीन शूट भी हो गया, लेकिन जब बाद में शशि कपूर ने देखा तो उसे प्रोडयूसर से डिलीट करने को कहा और बच्चन से कहा, ‘यू आर मेड फॉर बैटर थिंग्स’ और एक दिन वो आया जब दोनों एक साथ ‘दीवार’ में काम कर रहे थे और शशि कपूर डायलॉग बोल रहे थे, ‘मेरे पास मां है’.
जब ‘धूम’ सीरीज की आमिर खान वाली मूवी रिलीज हुई तो जिन लोगों ने अमिताभ-शशि की ‘अकेला’ देखी थी, वो चौंक गए. धूम की कहानी का मेन कॉंसेप्ट अकेला से उठाया गया था. जिस तरह अकेला में मेन विलेन अपने हमशक्ल जुडवां भाई का इस्तेमाल अपराध करने और पुलिस की गिरफ्त में आने से बचने के लिए करता है, ठीक वैसा ही धूम में दिखाया गया है.
फर्क इतना था कि धूम में आमिर के चलते रोल को ग्लेमराइज कर दिया गया था और उसमें एक हीरोइन जोड़ दी गई थी. फिल्म धूम में पुलिस ऑफिसर का रोल भी अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन ने ही निभाया है.
दिलचस्प बात ये भी है कि अकेला में भी रमेश सिप्पी कीथ स्टीवेंशन को नहीं बल्कि कमल हासन जैसे सुपरस्टार को लेना चाहते थे, लेकिन डेट्स नहीं मिल पाईं. कीथ का भी हिंदी टेस्ट लेने के बाद ही ओके किया गया, कीथ को रमेश सिप्पी से सलीम खान ने मिलवाया था.
एक और दिलचस्प बात इस फिल्म से ये जुड़ी थी कि जहां ये शशि कपूर की बच्चन के साथ आखिरी फिल्म थी, वहीं जैकी श्रॉफ की बच्चन के साथ ये पहली फिल्म थी, जिसमें जैकी ने बच्चन के करीबी दोस्त का रोल किया था.
हालांकि इस फिल्म के बाद जैकी की बिग बी के साथ कोहराम, एकलव्य और तीन पत्ती जैसी कई फिल्में आईं. फिल्म में दो हीरोइनें थीं अमृता सिंह और मीनाक्षी शेषाद्रि, जो बच्चन के साथ पहले भी ‘तूफान’ में एक साथ आ चुकी थीं. अमृता की अमिताभ के साथ जोड़ी थी तो मीनाक्षी ने जैकी की पत्नी का रोल किया था.
अकेला फिल्म कई और वजहों से भी खास थी. सबसे बड़ी बात ये रमेश सिप्पी की फिल्म थी, रमेश इससे पहले बच्चन के साथ शोले, शान और शक्ति जैसी ब्लॉक बस्टर फिल्मों में काम कर चुके थे और अकेला भले ही ब्लॉक बस्टर साबित ना हुई हो लेकिन 1991 की ये कमाई करने वाली 5 बड़ी फिल्मों में शामिल थी.
इस फिल्म में रमेश सिप्पी ने किरन जुनेजा को भी आदित्य पांचोली के अपोजिट ब्रेक दिया, जो बाद ‘बुनियाद’ सीरियल के जरिए घर घर में जाना पहचाना चेहरा बन गईं.
एक और खास बात थी इस फिल्म की, 6 साल के लम्बे गैप के बाद हैलन इस फिल्म के जरिए बड़े परदे पर फिर से नजर आईं. वैसे हैलन के पति सलीम खान की भी ये रमेश सिप्पी और अमिताभ की जोड़ी के साथ आखिरी फिल्म थी.
फिल्म को बनने में काफी वक्त लग गया, 1988 में मुहूर्त होने के बाद फिल्म तीन साल बाद रिलीज हो पाई. रमेश सिप्पी अमिताभ बच्चन के छोटे भाई के रोल के लिए आदित्य पांचोली की जगह कुमार गौरव को लेना चाहते थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
रमेश सिप्पी अमिताभ के साथ ये मूवी तब लेकर आए थे, जब अमिताभ बॉलीवुड में अलग थलग पड़ते जा रहे थे. वो लम्बे ब्रेक से पहले अपने कुछ आखिरी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे.
1991 में हम, अजूबा, इंद्रजीत की रिलीज के बाद सबसे आखिर में रिलीज हुई अकेला. अगले साल ‘खुदा गवाह’ के बाद उनकी कोई बड़ी फिल्म नहीं आई. ऐसे में रमेश सिप्पी ने काफी सोच समझकर मूवी का टाइटल रखा था- अकेला. यानी बच्चन बॉलीवुड में अकेले पड़ गए थे. तभी रमेश सिप्पी ने इस फिल्म के पोस्टर्स पर अकेला के नीचे एक टैगलाइन भी लिखवाई थी और वो ये थी— ‘’He fights best when he fights alone’’.
फिल्म की कहानी एक ऐसे पुलिस इंस्पेक्टर की थी, जो काफी ईमानदार है. लेकिन हमशक्ल और जुड़वां भाई की मदद से मेन विलेन उसको फंसा कर रखता है, गिरफ्तार करने के बावजूद उसे सजा नहीं दिलवा पाता.
परेशान होकर विलेन उसे इस दुनियां में अकेला करने की ठान लेता है, पहले उसके करीबी दोस्तों को ठिकाने लगाता है, फिर उसकी प्रेमिका और इकलौते भाई को टारगेट पर लेता है. ऐसे में कैसे बच्चन उस किरदार के जरिए अपनी जिंदगी की उन दिनों की असल कश्मकश को बड़े परदे पर उतारते हैं, ये उस फिल्म में दिखाया गया था.
फिल्म में सुदेश भोंसले की आवाज में दो गाने चल चल री मेरी रामप्यारी और मुझे कुछ ना कहना .. बच्चों को काफी पसंद आए थे. लेकिन रमेश सिप्पी की बाकी फिल्मों जैसा करिश्मा वो अमिताभ के लिए नहीं कर पाई. दूसरे शशि कपूर का भी रोल एक सीनियर की तरह कानून को हाथ में ना लेने जैसी नसीहतें देने भर जैसा ही था.
लेकिन किस को पता था कि एक दिन यश राज फिल्म आमिर खान जैसे सुपरस्टार को इस फिल्म के विलेन के रोल से इंस्पायर होकर साइन करेगा और शायद तब किसी को ये भी यकीन नहीं था कि ये फिल्म शशि कपूर और अमिताभ बच्चन की जोड़ी की आखिरी फिल्म साबित होगी, वो भी पुलिस वाले के रोल में. इससे पहले सुहाग और दीवार में भी शशि कपूर पुलिस वाले के रोल में थे.