मुंबई : मसान जैसी फिल्म में शानदार अभिनय करने वाली ऋचा चड्ढा का एक बयान मुश्किल में डाल सकता है. उनका कहना है महिलाओं को लेकर भारत की संस्कृति में सिर्फ पाखंड है.
रिचा ने कहा कि जिस देश में इतनी देवियों की पूजा होती हो, वहां महिलाओं के मामले में दोहरा मापदंड अपनाया जाता है. लड़कियों के जन्म लेने से पहले उनके साथ पेट में ही अत्याचार शुरू कर दिया जाता है.
उन्होंने कहा ‘हमें अपनी संस्कृति को इस पाखंड से निकलना होगा. रिचा ने समझाते हुए कहा कि नवरात्रों में नौ दिनों तक व्रत रखकर सभी देवियों को पूजा करते हैं. लेकिन जैसे ही बेटियों, पत्नियों, मां की बात है तो हमारा रवैया दूसरा हो जाता है. ऐसी बातों से मुझे बचपन से ही गुस्सा आता है.
आपको बता दें कि रिचा ‘जेंडर बेस्ड वायलेंस इन इंडिया’ पर आयोजित एक पैनल डिस्कशन में बोल रही थीं. उन्होंने कहा हमें पुरुषों को शिक्षित करना होगा कि वह महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करें. इसके साथ ही हमें लड़कियों में भी आत्मविश्वास पैदा करना चाहिए कि वह जिंदगी में जो पाना चाहती हैं या करना चाहती हैं, उसे कर सकती हैं.
फिल्म एक्ट्रेस ने कहा कि हालांकि ऐसा बदलाव में आने में वक्त लगेगा क्योंकि लिंग के आधार पर भेदभाव हमारे धर्मों और संस्कृति में घुस गया है.
उन्होंने कहा कि हमारी फिल्मों में भी काफी समय तक रेप को ‘इज्जत लूटना’ ही बताया जाता है. जिसका मतलब था कि किसे के सम्मान को लूट लिया गया है. ऐसी ही वजहों से समाज में रेप पीड़िता का नाम छुपाने की परंपरा चल पड़ी. ऐसे मामले में पीड़िता को हमें शर्म नहीं महसूस करानी चाहिए. इसमें इसकी कोई गलती नहीं है.