मुंबई. बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को जब इस साल की शुरुआत में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था तो उन्होंने अवार्ड लेने के बाद अपने पिता व मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण की खुद को व अपनी बहन को लिखी एक चिट्ठी पढ़ी और जब वो इसे पढ़ रही थीं तो लगातार रो रही थीं. पढ़िए हिन्दी में वो चिट्ठी.
प्रिय दीपिका और अनिषा,
कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और जुनून का कोई विकल्प नहीं है. आप जो भी करें, दिल से करें, और कुछ भी मायने नहीं रखता. ना पुरस्कार, ना मुआवजा. ना ही अखबारों या टेलीविजन पर अपनी तस्वीर दिखने से. जब मैंने ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में 3000 पाउंड जीता जो उन दिनों में बहुत बड़ी राशि हुआ करती थी जिससे मैं विचलित नहीं हुआ क्योंकि मैं खुश था कि भारत का इस खेल में विश्व स्तर पर प्रतिनिधित्व कर सका.
दीपिका जब तुम 18 साल की थी और मॉडलिंग के लिए मुंबई जाना चाहती थी तब हमें लगा कि तुम बहुत छोटी और अनुभवहीन थी एक बड़े शहर में अकेली रहने के लिए. एक ऐसे व्यवसाय में जिसके बारे में हम अनजान थे. आखिरकार हमने निर्णय लिया कि तुम्हें तुम्हारे दिल की सुननी चाहिए. हमने सोचा कि हम बहुत निर्दयी होंगे अगर हम हमारी बेटी को उसके सपने पूरा करने का मौका नहीं देंगे. अगर तुम सफल होगी तो हमारे लिए गर्व की बात होगी और नहीं भी होगी तो कोशिश न करने का पछतावा तो नहीं होगा.
मैं हमेशा बोलता हूं कि अपने माता-पिता की मदद के बिना इस दुनिया में अपनी पहचान बनाने का क्या महत्व होता है. मेरा यह मानना है कि बच्चों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए खुद कड़ी मेहनत करनी चाहिए. तुम जब घर आती हो दीपिका, तुम अपना बिस्तर खुद लगाती हो. भोजन के बाद मेज साफ कर देती हो. अगर घर में मेहमान हों तो फर्श पर भी सोती हो. अगर तुम कभी सोचती हो कि क्यों हम तुम्हें एक स्टार की तरह ट्रीट नहीं करते तो वो इसलिए क्योंकि तुम पहले हमारी बेटी हो और बाद में एक फिल्म स्टार.
ये कैमरे जो हर वक्त तुम्हारे पीछे भागते हैं, ये चकाचौंध की दुनिया एक समय के बाद खत्म हो जाएगी. जो रहेगी वो है एक असली दुनिया. दीपिका, मैंने सीखा है कि तुम जिंदगी में हमेशा जीत नहीं सकती, हर चीज़ तो तुम्हें चाहिए वो शायद ना मिले. हर चीज़ हमारे हिसाब से नहीं चलती. कुछ जीतने के लिए कुछ हारना पड़ता है और जिंदगी के उतार-चढ़ाव को अपने जीवन का हिस्सा समझना सीखो. वास्तव में जो चीज जीवन में सही मायने रखती है वह है रिश्ता, ईमानदारी, माता-पिता और बड़ों का सम्मान. भौतिक सफलता महत्वपूर्ण है लेकिन खुशी और मन की शांति के लिए आधारभूत चीज़ नहीं.
मैं प्रार्थना की शक्ति और विश्वास के बारे में बहुत ज्यादा नहीं बता सकता लेकिन अपने दिन से कुछ समय निकालकर ध्यान करो और भगवान को याद करो, फिर तुम्हें उनपे भरोसा रखने की शक्ति का अंदाजा हो जाएगा. अंत में जब तुम्हारा करियर तुम्हारे पीछे होगा, जो रहेगा वो है परिवार और दोस्त. एक स्वस्थ जीवन जीना और जो तुम्हें अपने अंतरात्मा के हिसाब से जीने दे, बाकी सब क्षणिक है. और याद रखना, हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं.
प्यार से,
पापा