दिल्ली डेस्क. वाकई में रजनीकांत की रोबोट का पार्ट टू 2.0 भारतीय सिनेमा की एक लैंड मार्क मूवी बनेगी, हॉलीवुड लेवल के शानदार स्पेशल इफ़ेक्ट्स हैं, आप इस मूवी में 1 मिनट के लिए भी सीट छोड़ने की सोच भी नहीं सकते. बावजूद इसके ये मूवी बाहुबली को मात देने वाली नहीं लगती. इसके लिए स्क्रीनप्ले में पर्याप्त इमोशन्स ना डालने के किये राइटर- डाइरेक्टर शंकर , गीतकार अब्बास टायरवाला और कुछ हद तक संगीतकार ए आर रहमान की मेहनत में कमी को जिम्मेदार बताया जा सकता है.
कहानी एक ऐसे पक्षी विज्ञानी पक्षीराजन (अक्षय कुमार) की है, जो सेलफोन रेडिएशन से पक्षियों की संख्या में आ रही कमी को लेकर सड़क पर उतरता है, लेकिन उसकी आवाज दबा दी जाती है. उसके बाद वो सेल फोन इस्तेमाल करने वालों ही नहीं सेल फोन कंपनियों के खिलाफ जंग छेड़ देता है. 5th फ़ोर्स का इस्तेमाल करके हर सेलफोन को खींच लेता है, तो उसके मुकाबले उतरता है साइंटिस्ट वशीगरन (रजनीकांत) फिर से अपने रोबोट चिट्टी के नए वर्जन 2.0 और फीमेल रोबोट नीला (ऐमी जेक्शन)के साथ.
फिल्म के पहले सीन से ही आप बंधते चले जाते हैं और पच्चीस मिनट का क्लाइमेक्स इतना जबरदस्त है कि आप उसे किसी भी हॉलीवुड मूवी के मुकाबले रखकर देख सकते हैं. शायद कोई हॉलीवुड मूवी आती और उसका हिंदी वर्जन होता तो आप अंतर महसूस भी नहीं कर पाते. ऐसे में पहले सीन से लेकर इंटरवल तक आपको सोचने का मौका भी नहीं देती ये मूवी, थोड़ा सा रिलीफ मिलता है इंटरवल के बाद जब अक्षय कुमार की कहानी शुरू होती है, लेकिन फिर से क्लाइमेक्स आपके दिलोदिमाग पर हावी होने के लिए शुरू हो जाता है.
लेकिन फिर भी मूवी में कई लूप होल्स हैं, जिसी वजह से वो बाहबली को मात नहीं दे सकती, अभी तो कम से कम यही लगता है. बाहुबली की कहानी में काफी ट्विस्ट थे, पूरा देश पूछ रहा था कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा, जो इसमें नहीं था, इमोशंस ना के बराबर दिखते हैं, अगर हैं भी तो वो पक्षियों के लिए, जो बाहुबली में हाईपिच पर थे. बाहुबली के गाने खास तौर पर जय जय कारा, आपको इमोशंस को टॉप लेवल पर ले जाता है, इस मूवी में अब्बास टायरवाला ने एक भी हिंदी गाना ऐसा नहीं लिखा जो चर्चा में आए, हालांकि तीन गाने हैं. अब तो म्यूजिक के मामले में ए आर रहमान भी निराश करने लगे हैं.
एक बड़ी कमी स्क्रीनप्ले के लेवल पर ये दिखती है कि जब आप आत्मा जैसे धार्मिक प्रतीकों या मान्यताओं को इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसे ‘ऑरा’ जैसा साइंटिफिक कलेवर चढ़ाकर आम पब्लिक को कन्फ्यूज कर देते हैं और दूसरी तरफ कई गैर जरूरी तर्कों के साथ साइंस समझाते हैं तो साइंस, टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स आप पर हंस सकते हैं लेकिन फिल्म बाहुबली की तरह विहंगम है, दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में फिल्माया गया क्लाइमेक्स किसी भी भारतीय एक्शन फिल्म के क्लाइमेक्स को तो मीलों पीछे छोड़ता ही हैं, हॉलीवुड की मूवीज को भी टक्कर देने वाला है.
एक्टिंग के मामले में एमी जैक्सन और आदिल हुसैन जैसों को ज्यादा मौका ही नहीं मिला है, लेकिन रजनीकांत अपनी पुरानी स्टाइल में फिर से दिखे हैं, खास तौर पर उनके 2.0 वर्जन में वो काफी शरारती दिखते हैं, स्टाइलिश लगते हैं, उनको जबरा फैंस को उनका ये रूप पसंद आएगा. अलग अलग चार किरदारों में रजनीकांत को निचोड लिया गया है, उसी तरह अक्षय कुमार को मौका मिला है कि वो कम से कम चार ऐसे लुक्स में आपको नजर आएं, जो उनके फैंस के लिए हैरतअंगेज हो सकते हैं। तो ऐसे में मूवी आपके लिए यादगार रहेगी, इमोशंस और लॉजिक घर छोड़कर जाएं तो और ज्यादा मजा आएगा.
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