अभिनेता मनोज कुमार को ‘दादा साहेब फाल्के सम्मान’

गुजरे जमाने के सबसे बड़े सुपरस्टार मनोज कुमार को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा. हिन्दी सिनेमा जगत में मनोज कुमार का नाम कभी अभिनय के लिए नहीं बल्कि उनकी फिल्मों के लिए लिया जाता है.

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अभिनेता मनोज कुमार को ‘दादा साहेब फाल्के सम्मान’

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  • March 4, 2016 11:34 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago

नई दिल्ली. गुजरे जमाने के सबसे बड़े सुपरस्टार मनोज कुमार को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा. हिन्दी सिनेमा जगत में मनोज कुमार का नाम कभी अभिनय के लिए नहीं बल्कि उनकी फिल्मों के लिए लिया जाता है.

बॉलीवुड में जब भी देश प्रेम की बात की जाती है तो प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार को जरूर याद किया जाता है. अपने देश के लिए मर मिटने की भावना को फिल्मों में मूर्त रूप प्रदान करने के लिए मनोज कुमार का भारतीय सिनेमा जगत में प्रमुख स्थान रहा हैय

1967 में बनी फिल्म ‘उपकार’ से देशप्रेम पर बनी फिल्मों की सफल शुरुआत के पश्चात, उन्होंने देशभक्ति की खुशबू में डूबी पूरब और पश्चिम, शोर व क्रांति जैसी कई हिट फिल्में दीं. मनोज कुमार ने अपनी फिल्मों के जरिए लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से एहसास कराया, जिसने उन्हें हर दिल अजीज फिल्मकार बना दियाय इसी देशप्रेम की बदौलत उनके चाहने वाले उन्हें ‘मिस्टर भारत’ कहकर पुकारा करते थे.

यूं तो मनोज कुमार की हर फिल्म यादगार रही परंतु उन्हें हरियाली और रास्ता, वो कौन थी?, हिमालय की गोद में, दो बदन, उपकार, पत्थर के सनम, नीलकमल, पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है.

फिल्म जगत के इस प्रसिद्ध फिल्मकार मनोज कुमार (वास्तविक नाम : हरिकिशन गिरि गोस्वामी) का जन्म 24 जुलाई 1937 को अबोटाबाद, पाकिस्तान में हुआ. दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से स्नातक करने के बाद मनोज ने फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश करने का निर्णय लिया. अपनी जवानी के दिनों में वे बॉलीवुड सुपरस्टार दिलीप कुमार से इतने प्रभावित थे कि शबनम (1949) फिल्म में दिलीप कुमार के नाम मनोज कुमार को हमेशा के लिए अपना लिया.

निर्देशक लेखराज भाकरी की 1955 में बनी फिल्म ‘फैशन’ से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत करने वाले मनोज कुमार के करियर को इस फिल्म ने कोई खास फायदा नहीं पहुंचाया था. करियर की इस खराब शुरुआत के बाद वह दौर भी आया जब उन्हें 1960 में बनी फिल्म ‘कांच की गुड़िया’ में अभिनेत्री सईदा खान के अपोजिट पहला लीड रोल मिला. इस फिल्म से दर्शकों के बीच मिली पहचान का मनोज कुमार ने पूरा फायदा उठाया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

इसके बाद पिया मिलन की आस, रेशमी रुमाल, हरियारी और रास्ता, वो कौन थी और हिमालय की गोद में जैसी हिट फिल्मों की लाइन लगा दी. सस्पेंस थ्रिलर फिल्म ‘वो कौन थी’ में मनोज कुमार ने साधना के साथ काम किया था. इस फिल्म को, ‘लग जा गले’ और ‘नैना बरसे’ जैसे सदाबहार गीतों के लिए आज भी याद किया जाता है.

1999 में अपने बेटे कुनाल गोस्वामी को लेकर ‘जय हिंद’ बनाई, जो सुपरफ्लॉप रही. लेकिन यही साल मनोज के लिए खुशी भी लेकर आया, जब उन्हें बॉलीवुड को दिए गए अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए फिल्मफेयर के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया. अपने उत्कृष्ट फिल्मी करियर के लिए कई राज्यस्तरीय व राष्ट्रीय अवॉर्ड जीत चुके मनोज कुमार को 1992 में, भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

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