चुनाव

योगी उतारेंगे अखिलेश की जीत वाली खुमारी, 2 सीटों पर समेटने की तैयारी!

लखनऊ. महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ 14 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव भी हो रहे हैं. इसमें सबसे अधिक चर्चे में है यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव. लोकसभा चुनाव में बुरी तरह झटका खाई भाजपा ने दो महीने पहले से ही रणनीति बनानी शुरू कर दी थी और उपचुनाव की कमान सीएम योगी ने अपने हाथ में ले ली थी.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में शुरू हुए जीत के सिलसिला को बरकरार रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाये हैं तो योगी ने अपने कार्यकर्ताओं ने साफ कह दिया है कि पुरानी गलतियां नहीं दोहरानी है. मतदाताओं को सीधा संदेश दिया है कि बंटोगे तो कटोगे. खास बात यह है कि इस बार बसपा भी उप चुनाव लड़ रही है और चुनावी मैदान में एआईएमआईएम और अजाद समाज पार्टी भी मैदान में है. आइये जानते  हैं कि 9 विधानसभा सीटों का क्या हाल है-

फूलपुर सीट पर भगवा हावी

प्रयागराज का फूलपुर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और राम मनोहर लोहिया से जुड़ा है. हालांकि ये बड़े नेता लोकसभा चुनाव लड़े थे और ये विधानसभा चुनाव है. यहां से सपा ने मोहम्मद मुस्तफा सिद्दीकी को उतारा है जबकि भाजपा ने दीपक पटेल को. बसपा ने जितेंद्र सिंह को उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है. सपा ने लोकसभा चुनाव में यहां से अमरनाथ मौर्य को लड़ाया था, तब उसे फूलपुर विधानसभा में बढ़त मिली थी। पटेल-मौर्य बिरादरी के लोगों का तादाद यहां ज्यादा है और इस बात का भाजपा ने पूरा ध्यान रखा है लिहाजा सवर्ण ब्राह्मण-राजपूत में थोड़ी बहुत नाराजगी है लेकिन सीएम योगी का नारा बंटोगे तो कटोगे का असर दिख रहा है. सपा यादव-मुस्लिम के भरोसे हैं तो भाजपा को पूरी उम्मीद है कि पटेल-मौर्य के साथ साथ उसे सवर्णों का समर्थन मिलेगा.

सीसामऊ कहीं निकल न जाए हाथ से

कानपुर की सीसामऊ सीट चर्चित सीटों में से एक है. सपा ने यहां से पूर्व सपा विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को मैदान में उतारा है. इरफान को 7 साल की सजा होने के बाद यह सीट खाली हुई थी. सपा ने लोगों की सहानुभूति का फायदा उठाने के लिए नसीम सोलंकी को मैदान में उतार दिया है. फिलहाल, संवेदनाओं के सहारे नसीम सोलंकी मजबूत दिख रही हैं। इस मुस्लिम बहुल सीट पर उनके आंसू वोटर को कनेक्ट कर रहे हैं।

हालांकि, भाजपा ने अगर अपना भितरघात रोक लिया। तो जातीय समीकरण पार्टी के पक्ष में माहौल बना सकते हैं। इस सीट पर 22 साल से सोलंकी परिवार काबिज है. भाजपा ने यहां से सुरेश अवस्थी को चुनावी वैतरणी पार लगाने की जिम्मेदारी दी है. यहां पर लड़ाई हिंदू-मुस्लिम होती दिख रही है और भाजपा की पुरजोर कोशिश है कि सपा से यह सीट छीन ली जाए लेकिन सब कुछ निर्भर करेगा संगठन में एकजुटता पर. सपा प्रत्याशी जहां एक तरफ आंसू बहा रही हैं वही दूसरी तरफ भोलेबाबा पर जलाभिषेक भी कर रही हैं.

क्या कहता है कुंदरकी

भाजपा ने इस सीट पर रामवीर सिंह को टिकट दिया है जो कि राजपूत समाज से हैं. सपा ने हाजी रिजवान, बसपा ने रफ़्तुल्लाह जान, एआईएमआईएम ने तुर्क प्रत्याशी हाफिज मोहम्मद वारिस और आजाद समाज पार्टी ने चांद बाबू को मैदान में उतारा है. 60 फीसद मुस्लिम मतदाता वाले क्षेत्र में इस बार माहौल बदला बदला सा है. सपा प्रत्याशी का अच्छा प्रभाव है लेकिन उनके बेटे हाजी कल्लन की दबंगई से मुस्लिमों का एक वर्ग उनसे नाराज दिखता है. रामवीर सिंह भाजपा के सत्ता में रहते हुए यह चुनाव लड़ रहे हैं और हाजी रिजवान को खुली चुनौती दे रहे हैं. इस क्षेत्र में ओवैसी का भी प्रभाव है लिहाजा सपा प्रत्याशी को नुकसान पहुंचाते दिख रहे हैं.

मीरापुर में रालोद

मुजफ्फरनगर की मीरापुर में भाजपा और सपा दोनों ने महिला प्रत्याशियों पर दांव लगाया है. भाजपा यहां से खुद चुनाव नहीं लड़ रही है बल्कि सहयोगी दल रालोद यहां से कुलांचे भर रहा है. रालोद ने मिथिलेश पाल को उतारा है जबकि सपा ने सुम्बुल राणा को. यहां बसपा और एआईएमआईएम के अलावा चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी ने भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर सपा का गणित बिगाड़ दिया है।

रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने यहां पर खतौली वाला प्रयोग किया है और गड़ेरिया समाज के मिथिलेश पाल को टिकट दिया है. ऐसे में रालोद का पलड़ा भारी नजर आता है. भाजपा-रालोद 2009 का सफल प्रयोग दोहराने के लिए मेहनत कर रहे हैं. तब यहां हुए उपचुनाव में रालोद ने मिथलेश पाल को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की। रालोद के चंदन चौहान के बिजनौर से सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई थी.

कटेहरी में दिलचस्प मुकाबला

अंबेडकरनगर के कटेहरी विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है. भाजपा ने धर्मराज निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि सपा ने अपने सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को. भाजपा ने 2022 और 2017 के चुनाव से बहुत कुछ सीखा है और निषाद पर दांव खेला है लिहाजा लड़ाई सवर्ण बनाम ओबीसी की बजाय ओबीसी vs ओबीसी हो गया है. भितरघात दोनों दलों में हैं और बसपा भी एक फैक्टर है जिसने अमित वर्मा को उतार दिया है. सपा परिवारवाद के आरोपों का सामना कर रही है लेकिन ये आरोप उसके लिए ज्यादा मायने नहीं रखते. वजह यह है कि पार्टी में ऊपर से नीचे तक यही हाल है.

मझवां सीट पर भाजपा मजबूत

मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट पर दो महिलाओं में मुकाबला है. भाजपा ने सुचिस्मिता पर दांव लगाया है. सपा ने पूर्व विधायक डा. रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद को उतारा है जबकि बसपा ने दीपक तिवारी को. नामांकन पत्रों की जांच के बाद 13 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं, बसपा की कोशिश है कि लड़ाई त्रिकोणीय हो लेकिन भाजपा और सपा में आमने सामने का मुकाबला होता दिख रहा है. इस चुनाव में संजय निषाद द्वारा टिकट दिलाने के लिए 10 लाख रुपये लेने की भी खूब चर्चा है. उनकी पार्टी के हरिशंकर निषाद बेधड़क होकर कह रहे हैं कि उन्होंने पैसे दिये लेकिन टिकट नहीं मिला.

करहल में भाजपा का मास्टर स्ट्रोक

मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट वो सीट है जहां से अखिलेश यादव विधायक थे. उनके कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई लिहाजा लंबे समय से लाइन में लगे भतीजे तेज प्रताप यादव को उतार दिया. भाजपा भी मौके की ताक में थी कि कैसे शेर को उसके माद में मात दिया जाए लिहाजा उसने धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश यादव पर दांव लगा दिया. मैनपुरी से सपा का इमोशन कनेक्ट है, मुलायम सिंह यादव निधन से पहले तक यहीं से सांसद थे.

अब मुलायम की जगह उनकी बहू डिंपल यादव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. करहल मैनपुरी में ही आता है. भाजपा चाहकर भी सांसदी के उपचुनाव और चुनाव में सपा से यह सीट नहीं छीन पाई थी लेकिन करहल सीट भाजपा पहले जीत चुकी है. भाजपा 2002 के फार्मूले से इस सीट को जीतना चाहती है. तब सपा के टिकट पर अनिल यादव लड़े थे जबकि सोबरन सिंह यादव सपा छोड़कर भाजपा में आ गये थे. तब मुलायम सिंह यादव से लकेर शिवपाल ने खूब जोर लगाया था लेकिन वे सोबरन सिंह यादव की आंधी को रोक नहीं पाये थे और वह लगभग एक हजार वोट से यह सीट जीतने में कामयाब हो गये थे.

खैर में सपा की खैर नहीं

लीगढ़ की खैर सीट पर 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। यहां भाजपा ने पूर्व सांसद राजवीर सिंह दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर को टिकट दिया है और सपा ने बसपा, कांग्रेस में रह चुकीं डॉक्टर चारू कैन पर दांव लगाया है. बसपा से पहल सिंह और आजाद समाज पार्टी से नितिन कुमार चोटेल मैदान हैं. सपा जिन दो सीटों को कांग्रेस को देना चाहती थी उसमें यह सीट भी शामिल थी.

कांग्रेस इस बात से नाराज हो गई थी कि खैर और गाजियाबाद में जीत की गुंजाइश कम है इसलिए सपा इन सीटों को कांग्रेस के लिए छोड़ रही है. खैर में सामान्य वर्ग ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के वोट लगभग 30 फीसद है जबकि दलित 27 फीसद. ओबीसी के तहत आने वाले जाट, लोधी राजपूत और यादव आते हैं, जो 36 फीसद हैं, जबकि 27% एससी में जाटव और वाल्मीकि. पिछड़े वर्ग का वोट बंट रहा है और सपा का पीडीए फार्मूला सफल होता नहीं दिख रहा है. चूंकि रालोद भाजपा के साथ है इसलिए भगवा पार्टी की बांछें खिली हुई है.

गाजियाबाद भाजपा का गढ़

गाजियाबाद की सदर सीट पर भाजपा के संजीव शर्मा, बसपा के पीएन गर्ग और सपा के सिंह राज जाटव के बीच मुकाबला होता दिख रहा है। हालांकि, आजाद समाज पार्टी के सत्यपाल चौधरी लड़ाई को चतुष्कोणीय बनाने में लगे हैं.  इस सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है. हालांकि इस सीट से कांग्रेस और बसपा के भी विधायक रहे हैं लेकिन फिलहाल यहां औरों के लिए गुंजाइश नहीं दिख रही.  पिछले चुनाव में यहां सपा दूसरे नंबर पर रही थी. भाजपा को लग रहा है कि दलित वोट बंटने का उसे फायदा मिलेगा. सीएम योगी बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि यह सीट भाजपा के मुफीद है लेकिन उन्होंने कोई जोखिम नहीं लिया है और कई बार दौरा कर चुनावी तैयारियों का जायजा ले चुके हैं.

Vidya Shanker Tiwari

प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल में 33 साल का अनुभव. खबर के साथ अपनी विश्वसनीयता हरहाल में कायम रखना और जन सरोकार की बात करना पहली प्राथमिकता है. सहज व सरल भाषा में गंभीर मुद्दों पर बात करना अच्छा लगता है. वर्तमान में इनखबर डिजिटल के संपादक की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा हूं और कोशिश है कि खबरों में ईमानदारी, विश्वसनीयता व जनहित का भाव जरूर रहे. Media is the most powerful network to communicate to the large audience and convert big issues into country wide phenomenon. I ( Vidya Shanker Tiwari) have learned the art of communication for the past two & half decades working with most widely read national daily newspapers and TV channels. I started my career from Dainik Jagran Group where I spent several years before switching over to Rashtriya Sahara Hindi daily. My stint with this newspaper and news channel Sahara Samay as Chief reporter/ Metro Editor of Delhi and NCR spanned for eleven years. Thereafter, I joined Amar Ujala as Bureau Chief in Delhi where I contributed the newspaper a distinct image in political coverage. Though I am a craftsman of words but have strong leanings for television journalism. I have worked with A2Z News Channel (24X7) as Executive Editor cum political Editor for five years. I left strong imprint on electronic media as well as Print Media. I worked with Chronicle Group political Magazine Pratham Pravakta as Executive Editor cum political Editor & embarked upon another domain and participated in contemporary and political discussions on issues of national importance on several national news channels. Presently, I am working with iTV digital wing Inkhabar as Editor. As the media is facing the challenge of having credible and knowledgeable people of eminence, I am working hard to give my best and qualitative information to the viewers.

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