हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर एक साल से चल रहे किसान आंदोलन को भगवंत मान सरकार ने एक झटके में खत्म करा दिया है. किसान केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल से बातचीत कर रहे थे और मान सरकार ने उनके तंबू और बंबू उखाड़ फेंकने के लिए पुलिस के 3000 जवान उतार दिये. किसान कुछ समझ पाते उससे पहले पुलिस ने उन्हे हिरासत में लेकर चलता कर दिया.
चंडीगढ़/दिल्ली. हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर एक साल से चल रहे किसान आंदोलन को पंजाब की भगवंत मान सरकार ने एक झटके में खत्म करा दिया है. किसानों का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय टीम से चंडीगढ़ में बात कर रहा था और इधर मान सरकार के निर्देश पर पंजाब पुलिस के 3000 जवान दोनों सीमाओं पर उतार दिये गये. सीएम भगवंत मान ने पहले पूरी स्थिति का आकलन किया और उसके बाद रणनीति बनाकर यह एक्शन लिया. किसानों की केंद्र से बातचीत के लिए 4 मई को फिर से मिलने की बात हुई थी, इसी बीच किसान उठाकर फेंक दिये गये.
Punjab Police removes protesting farmers from Shambhu Border, several leaders detained
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— ANI Digital (@ani_digital) March 19, 2025
जानकारी के मुताबिक सीएम भगवंत मान ने पूरी तैयारी के साथ किसानों का तंबू और बंबू उखाड़ा है. 3 मार्च को मान और किसानों के बीच एक बैठक हुई थी जिसमें सीएम नाराज होकर बैठक बीच में छोड़कर चले आये थे. उसके बाद किसानों का चंडीगढ़ कूच रोक दिया था और पहले किसानों की जो मांगें मान ली थी उसे भी रद्द कर दिया था. इसके बाद उन्होंने बॉर्डर से धरना खत्म कराने की ठान ली. इसके लिए पुलिस अफसरों के साथ बैठककर रणनीति बनाई और लगभग दो हफ्ते का इंतजार किया.
धरना खत्म कराने के लिए 19 मार्च के उस दिन को चुना जिस दिन किसान नेता केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल से बात करने गये थे. यह समय मुफीद था .दोनों बॉर्डर पर किसान बहुत कम थे और नेता वार्ता करने गये थे. सरकार और पुलिस को लगा कि धावा बोलने का यही सही मौका है और एक ही झटके में किसानों का साजो समान उठाकर फेंक दिया. वार्ता कर लौट रहे किसान नेताओं को रास्ते में ही हिरासत में ले लिया. भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि पंजाब के सीएम भगवंत मान को शर्म आनी चाहिए. वह नहीं चाहते थे कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत से कोई समाधान निकले. पंजाब के लोग भगवंत मान को किसी भी गांव में घुसने नहीं देंगे.
बेशक बिट्टू सीएम भगवंत मान पर आरोप लगा रहे हैं लेकिन जिस तरह से हरियाणा पुलिस पंजाब पुलिस के एक्शन के बाद एक्टिव हुई उससे साफ है कि सीएम मान ने केंद्र और हरियाणा सरकार से भी किसी न किसी स्तर पर तालमेल बिठा लिया था. पंजाब के एक्शन के बाद हरियाणा पुलिस के बुलडोजर तत्काल बॉर्डर पर पहुंच गये थे और रास्ता साफ करने लगे थे. केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार कोई भी इस आंदोलन को झेलने के लिए तैयार नहीं था. किसान जिस एमएसपी गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं उसे मानना केंद्र सरकार के बूते की बात नहीं है. किसानों की 18 मांगों को मानने की स्थिति में पंजाब सरकार भी नहीं है. उसकी माली हालत खस्ता है. हरियाणा सरकार इस आंदोलन को लेकर हमेशा दबाव में रहती है कि पता नहीं कब किसान दिल्ली कूच करने लगे.
इस टकराव के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली में धरने की वकालत करने वाली आप सरकार ने किसानों को उठाकर क्यों फेंका. दरअसल मान सरकार का मानना है कि पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर पिछले एक साल से धरने पर बैठे किसानों के रवैये में लचीलापन नहीं है. वे चाहते हैं कि जो वो कहें वो सरकार मान ले. समझौते में कभी भी एक पक्ष की बात नहीं मानी जाती है. दूसरी वजह यह है कि सरकार को लगने लगा है कि किसानों में न तो एकजुटता है और न ही उनके आंदोलन में अब वो दम है जो 2020-21 में दिखा था. किसी भी सरकार के लिए किसानों की सभी मांगों को पूरा करना संभव नहीं है.
लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर उप चुनाव होना है. आप विधायक रहे गुरप्रीत गोगी की मौत हो जाने के कारण यह सीट खाली हुई है. बेशक अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई है लेकिन आप ने उपचुनाव में अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी और कांग्रेस का आरोप है कि आम आदमी पार्टी संजीव अरोड़ा को चुनाव लड़ाकर उनका सीट खाली कराना चाहती है. आप मुखिया अरविंद केजरीवाल को पंजाब से राज्यसभा भेजने की तैयारी चल रही है लेकिन लुधियाना पश्चिम सीट अब आप के लिए इतनी आसान नहीं रह गई है. लोकसभा चुनाव में आप उम्मीदवार अशोक पराशर तीसने नंबर पर थे. यहां के व्यापारी किसानों के आंदोलन से नाराज हैं लिहाजा कार्रवाई का एक कारण चुनाव को भी माना जा रहा है.
सीएम भगवंत मान का मानना है कि किसानों ने समाज के अन्य वर्गों की सहानुभूति खो दी है. मान को पता है कि ग्रामीण इलाकों में उनकी सरकार के खिलाफ काफी असंतोष है लिहाजा वह शहरी तबके को खोना नहीं चाहते. यही वजह है कि वह कह रहे हैं कि किसानों के विरोध प्रदर्शन से पंजाब के बाकी हिस्सों में असुविधा हो रही है.
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