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अब वेश्या नहीं, पीड़िता मानी जाएंगी महिलाएं, होटल संचालक और मालिक होंगे कार्रवाई के दायरे में, सरकार का बड़ा फैसला

मध्यप्रदेश में सेक्स वर्कर्स को लेकर एक बड़ा और संवेदनशील फैसला लिया गया है. राज्य के ढाबों और होटलों में चलने वाले कथित अनैतिक देह व्यापार के मामलों अब सेक्स वर्कर्स को आरोपी नहीं बनाया जाएगा. यह आदेश पुलिस मुख्यालय (PHQ) की ओर से जारी हुआ है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुरूप है और महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है.

New law on prostitute
inkhbar News
  • April 5, 2025 4:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 week ago

भोपाल: मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने महिला सेक्स वर्कर्स से जुड़ा एक अहम निर्णय लिया है, जिससे उन्हें राहत मिलने जा रही है। अब प्रदेश में किसी भी ढाबे, होटल या अन्य स्थानों पर छापेमारी के दौरान पकड़ी गई महिला सेक्स वर्कर्स को पुलिस द्वारा आरोपी नहीं बनाया जाएगा। पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों और इंदौर व भोपाल के पुलिस आयुक्तों को लिखित निर्देश जारी किए हैं।

अपराधी के तौर पर नहीं देखा जाएगा

निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि महिला सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार करने या उनके साथ कठोरता बरतने की बजाय, उन्हें एक पीड़ित और शोषित की तरह देखा जाएगा। स्पेशल डीजी महिला सुरक्षा प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव द्वारा जारी इन निर्देशों में कहा गया है कि पुलिस को महिलाओं के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाना होगा और उन्हें अपराधी के तौर पर नहीं देखा जाएगा।

अधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई

पुलिस मुख्यालय का कहना है कि कार्रवाई के दौरान ऐसी महिलाएं जो अक्सर मजबूरी, शोषण या अन्य सामाजिक कारणों से इस पेशे में आती हैं, उन्हें कानून के दायरे में लाकर और भी अधिक पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए। इन निर्देशों के तहत पुलिस अधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई है कि वे इन आदेशों का पूरी गंभीरता से पालन करें और महिला सेक्स वर्कर्स के अधिकारों का सम्मान करें। इसके साथ ही, कार्रवाई के दौरान उनके साथ सहानुभूति और संवेदनशीलता से पेश आने को भी प्राथमिकता दी जाए।

सकारात्मक कदम माना जा रहा है

इस फैसले को महिला अधिकारों की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इससे न केवल महिलाओं को न्याय मिलने की संभावना बढ़ेगी, बल्कि पुलिस और समाज के बीच एक नई सोच भी विकसित होगी। राज्य में अब ऐसे मामलों में पीड़ित महिलाओं को कानूनी संरक्षण के तहत सहायता मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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