नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा वक्फ बिल पेश किए जाने के बाद मुस्लिम समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां एक ओर कई मुस्लिम संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भोपाल में इस बिल के समर्थन में अनोखा नज़ारा देखने को मिला। बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे, हाथों में गुलाब और ‘शुक्रिया मोदी सरकार’ के बोर्ड लिए मुस्लिम महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने बिल के समर्थन में जमकर जश्न मनाया।
भोपाल में वक्फ बिल के समर्थन में उतरे मुस्लिम समाज ने पटाखे फोड़े और जमकर आतिशबाजी की। इस दौरान एक बुजुर्ग मुस्लिम चाचा ढोल-नगाड़ों की धुन पर झूमते नजर आए। उनका कहना था कि यह बिल वक्फ संपत्तियों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करेगा। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस कानून के लागू होने से वक्फ की जमीनों का उपयोग अस्पतालों, स्कूलों और अन्य जनहितकारी कार्यों के लिए किया जा सकेगा, जिससे गरीब मुस्लिम समाज को सीधा लाभ मिलेगा।
जहां भोपाल में मुस्लिम समुदाय ने वक्फ बिल का समर्थन किया, वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थिति अलग रही। वक्फ बिल को लेकर प्रदेश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यूपी पुलिस ने फ्लैग मार्च किया और पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
Bhai #WaqfAmendmentBill par itna khush to BJP wale bhi nahi hain 😭😭 pic.twitter.com/IJtidEUIKG
— Prayag (@theprayagtiwari) April 2, 2025
गौरतलब है कि इस बिल को लेकर मुस्लिम समाज में दो राय बन गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं, जबकि कई अन्य संगठन इसके समर्थन में भी उतर आए हैं जमीयत हिमायत उल इस्लाम, ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल, पसमांदा मुस्लिम समाज और मुस्लिम महिला बौद्धिक समूह जैसे संगठनों ने इस बिल को समर्थन दिया है। जमीयत हिमायत उल इस्लाम के सदर कारी अबरार जमाल ने कहा, “इस बिल से सिर्फ वही लोग परेशान हैं जिन्होंने वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर रखा है। अगर वक्फ की संपत्तियों का मालिक अल्लाह है, तो कुछ लोग इसके माफिया कैसे बन गए?”
अजमेर शरीफ दरगाह के सूफी चिश्ती सैयद नसरुद्दीन ने भी इस बिल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि वक्फ की संपत्तियों का सही उपयोग समाज के लिए फायदेमंद साबित होगा। वक्फ बिल को लेकर देशभर में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां कुछ संगठन इसे मुस्लिम समाज के लिए हितकारी मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ बता रहे हैं। आने वाले दिनों में इस बिल को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस और तेज़ होने की संभावना है।
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