नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बहुचर्चित ‘माझीलाडकीबहिन योजना’ को लेकर विवाद तेज हो गया है। विधानसभा चुनाव से पहले महायुति गठबंधन ने एमपी की तर्ज पर इस योजना को महाराष्ट्र में लागू किया और इसे चुनावी प्रचार का हिस्सा बनाया। चुनाव से पहले महिलाओं के बैंक खातों में 1500 रुपये की 5 किस्तें डाली गईं और दावा किया गया कि चुनाव जीतने के बाद यह राशि बढ़कर 2100 रुपये हो जाएगी।
इसके बाद आरोप लगने लगे हैं कि बड़ी संख्या में महिलाओं ने इस योजना में दो बार पंजीकरण कराया और दो बार पैसे प्राप्त किए। एक ही घर की कई महिलाओं ने इस योजना का लाभ लिया, जबकि कुछ लाभार्थी ऐसे थे जिनके पास चार पहिया वाहन थे या जो शादी के बाद दूसरे राज्य में चले गए थे। इसके अलावा, जिनकी सालाना आय 2.5 लाख रुपये से अधिक थी, उन्होंने भी इस योजना का लाभ लिया। सरकार अब ऐसे लाभार्थियों की सूची तैयार कर रही है और उन्हें योजना से हटा रही है।
अब तक 1.5 करोड़ से अधिक महिलाएं इस योजना से जुड़ी थीं, लेकिन सूची छांटने के बाद यह संख्या लगभग 25 लाख घटने की संभावना है। महिला और बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे का कहना है कि पात्र लाभार्थियों को क्रॉस वेरिफिकेशन प्रक्रिया से घबराने की जरूरत नहीं है। उनका कहना था कि कुछ शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनकी जांच आईटी विभाग के सहयोग से की जा रही है। आधार कार्ड का क्रॉस वेरिफिकेशन किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना का लाभ वास्तविक पात्र लाभार्थियों को ही मिले।
विपक्ष और राज्य के कृषि मंत्री ने इस योजना पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह योजना चुनावी लाभ के लिए बिना उचित जांच के शुरू की गई थी, जिसके कारण कई अपात्र लाभार्थियों को भी इसका फायदा मिला। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि यह योजना केवल चुनावी फायदा लेने के लिए बनाई गई थी, जिससे वोट प्राप्त किए गए और फिर यह मामला खत्म हो गया।
महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने आरोप लगाया कि इस योजना के कारण किसानों के लिए कई अहम योजनाएं प्रभावित हुईं। उनका कहना था कि सरकार हर साल इस योजना पर 45 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जबकि किसान कर्ज योजना पर केवल 15 हजार करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। कोकाटे का कहना था कि इस योजना का पैसा केवल घर के खर्चों पर खर्च हो रहा है और यह महिलाओं को लाभ नहीं पहुंचा रहा है।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्पष्ट किया है कि ‘लाडकी बहिन योजना’ को बंद नहीं किया जाएगा, और पात्र लाभार्थियों को योजना का लाभ मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने इस योजना में रुकावट डालने की कोशिश की थी, लेकिन सरकार ने इसे जारी रखने का निर्णय लिया है। साथ ही, सरकार पात्रता मानदंडों को सख्ती से लागू करेगी, ताकि केवल सही लाभार्थी ही इसका लाभ उठा सकें.
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