दो राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में हुए चुनाव के परिणाम शनिवार को आ जाएंगे. दोनों गठबंधन महायुति और महाविकास अघाड़ी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. ज्यादातर एक्जिट पोल महायुति के आने की संभावना जता रहे हैं लेकिन किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो महाराष्ट्र के सबसे बड़े मौसम वैज्ञानिक की लॉटरी निकल जाएगी. उनके पोस्टर अभी से लहराने लगे हैं.
नई दिल्ली. बात नवंबर 2019 की है, महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव हो गया था और भाजपा व शिवसेना ने बहुमत भी हासिल कर लिया था लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर बात अटक गई थी. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके समर्थक कह रहे थे कि चुनाव के दौरान भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने जो वायदा किया था उसे पूरा करें. भाजपा को लगा कि बाला साहब ठाकरे रहे नहीं और शिवसेना का पहले वाला जलवा भी नहीं रहा लिहाजा कमलाबाई क्यों झुके. अपना सीएम बनाने का यह सही मौका है. भाजपा अपना सीएम बनाने पर अड़ी थी और शिवसेना अपना. इस खींचतान में सरकार बन नहीं पा रही थी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया. तभी 19 नंवबर की सुबह अचानक गवर्नर हाउस में हलचल शुरू हुई और देवेंद्र फडणवीस सीएम तथा अजित पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेते दिखाई दिये.
शरद पवार की पार्टी टूट गई और चाचा से भतीजा कोसों आगे निकल गया था लेकिन बड़े पवार तो बड़े ठहरे, रिश्तेदारों नातेदारों से लेकर सभी कनेक्शन का इस्तेमाल कर विधायकों को एकजुट कर लिया और अजित पवार जरूरी संख्या नहीं जुटा पाये. यह सरकार महज 80 घंटे की मेहमान रही और उसे इस्तीफा देना पड़ा. उसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी. राजनीति की तासीर समझिए कि वही अजित पवार महाविकास अघाड़ी की सरकार में फिर डिप्टी सीएम बनें.
एक बार फिर अजित पवार के लिए पोस्टर लग गये हैं लेकिन इस बार डिप्टी सीएम के लिए नहीं सीएम बनाने के लिए पोस्टर लगे हैं. चुनाव के दौरान जब भी भाजपा की अगुआई वाली महायुति सरकार और सीएम की बात चली परिणाम आने के बाद सबने नेता चुनने का राग अलापा लेकिन अपने अपने तरीके से महायुति के तीनों दलों ने सीएम पद पर दावा ठोका. देवेंद्र फडणवीस के लिए अमित शाह ने आवाज उठाई, जबकि एकनाथ शिंदे के लिए उनके समर्थकों ने लेकिन अजित पवार अपने लिए खुद मैदान में आ गये. योजना के मुताबिक अजित पवार के लिए पोस्टर लग गये हैं. महाविकास अघाड़ी में भी काग्रेस, शिवसेना और एनसीपी तीनों ने दावा ठोका. कांग्रेस के नाना पटोले, शिवसेना से उद्धव ठाकरे और एनसीपी से सुप्रिया सुले के नाम चले. इधर से भी वही बात दोहराई गई कि परिणाम आने के बाद तय कर लेंगे.
आपको बता दें कि 2022 के मध्य में जब महाविकास अघाड़ी सरकार गिरी, उद्धव के हाथ से सत्ता फिसली, उस समय भाजपा के सामने इस सरकार को गिराने की चुनौती थी, अपना सीएम बनाने की नहीं. देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम की बजाय कार्यकर्ता बनकर काम करना चाहते थे लेकिन दिल्ली से निर्देश गया कि अभी एकनाथ शिंदे को सीएम नहीं बनाया तो सरकार टिकाऊ नहीं होगी. फडणवीस मान गये लेकिन इस गठबंधन को मजबूत करने के लिए 2023 आते आते एक बार फिर से अजित को महायुति ने मिला लिया और उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया.
अब जबकि जनता फैसला सुनाने जा रही है भाजपा की कोशिश अपना सीएम बनाने की है. एकनाथ शिंदे के मन में भले फिर से सीएम बनने की चाहत हो लेकिन उन्होंने साफ कहा है कि वह सीएम रेस में नहीं हैं लेकिन ये बात अजित पवार ने कभी नहीं कहा कि वह सीएम रेस में नहीं है. सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि तीनों घटक दलों को कितनी सीटें मिलती है. यही हाल महाविकास अघाड़ी का है, तीनों दल अपनी दावेदारी जता रहे हैं.
अजित पवार फिर मार सकते हैं पलटी
ठीक यही हाल महाविकास अघाड़ी का है. शरद पवार और सुप्रिया सूले सीएम पद को लेकर गंभीर है. कोई हल्का बयान नहीं दे रहे हैं लेकिन कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी में रार मची है. कांग्रेस नेता नाना पटोले कुछ बोले तो संजय राउत सामने आ गये कि कांग्रेस के बड़े नेता क्यों नहीं बोलते. माना जा रहा है कि शिवसेना को ठीकठाक सीटें मिली तो उद्धव की दावेदारी मजबूत रहेगी लेकिन दोनों गठबंधनों में से किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो अजित पवार कुर्सी के लिए फिर पलटी मारने में देर नहीं लगाएंगे.
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