नागपुर में 17 मार्च की रात हुई हिंसा और आगजनी मामले में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. मास्टरमाइंड फहीम खान के तार चर्चित कमलेश तिवारी हत्याकांड के आरोपी सैयद आसिम अली से जुड़ रहे हैं. अली वही शख्स है जिसने पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी करने पर हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की जीभ काटने का ऐलान किया था और उसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी.
नागपुर/नई दिल्ली. नागपुर में 17 मार्च की रात को भड़की हिंसा के मामले में मास्टरमाइंड फहीम खान के तार चर्चित कमलेश तिवारी हत्याकांड के आरोपी सैयद आसिम अली से जुड़ रहे हैं. माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (MDM) का शहर अध्यक्ष फहीम खान कुछ महीने पहले मालेगांव भी गया था. फहीम खान की मालेगांव की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. उसने विधानसभा चुनावों के दौरान अपनी माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी के पार्टी कार्यालय का उद्घाटन भी किया था.
सैयद आसिम अली का कनेक्शन सामने आने के बाद इस केस की जांच एनआईए कर सकती है. पुलिस को शक है कि सैयद आसिम अली इस हिंसा और आगजनी का दूसरा मास्टरमाइंड है. फहीम की तरह वह भी माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी का पदाधिकारी है. वह भी नितिन गडकरी के खिलाफ नागपुर में चुनाव लड़ा चुका है. फहीम खान समेत छह लोगों पर देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है.
नागपुर के झिंगाबाई टाकली इलाके में रहने वाला सैयद सैयद आसिम अली फहीम की तरह ही माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी का पदाधिकारी है. वह पहले यूट्यूब चैनल भी चलाता था. वह औरंगजेब का कट्टर समर्थक है. 2015 में उत्तर प्रदेश के हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी ने पैगंबर मोहम्मद पर जब बयान दिया तो अली ने कमलेश तिवारी की जीभ काटने की बात कही थी. इसके बाद ही कमलेश तिवारी की लखनऊ में हत्या कर दी गई थी. अली इस मामले में 2024 तक जेल में रहा था. इसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. कमलेश तिवारी के कातिलों ने आसिम को फाेन किया था और उस कॉल से सब कुछ खुलकर सामने आ गया था.
इस हिंसा में बांग्लादेश और कश्मीर पैटर्न के सामने आने के बाद पुलिस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है. अभी तक की जांच में पता चला है कि इस हिंसा और आगजनी को अंजाम देने के लिए कश्मीर की तर्ज पर पत्थरबाजी के लिए भाड़े के लोग लाए गये थे. इसकी पुष्टि जो वीडियो सामने आये हैं उससे भी हो रही है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पहले ही कह चुके हैं कि यह दंगा नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश का परिणाम है. पूरी प्लानिंग से हिंसा, आगजनी व पत्थरबाजी को अंजाम दिया गया.
कश्मीर पैटर्न इसे इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि वहां स्टोन पेल्टिंग लंबे समय से विरोध प्रदर्शन का एक प्रमुख तरीका रहा. इसे ‘कश्मीर पैटर्न’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह एक संगठित और रणनीतिक तरीके से किया जाता है.पुलिस कमिश्नर रविंदर सिंघल के मुताबिक इस बात की जांच की जा रही है कि हिंसा कैसे शुरू हुई और कुछ लोगों द्वारा अचानक भड़काने का काम कैसे किया गया. क्या सोशल मीडिया का इस्तेमाल अफवाह फैलाने के लिए किया गया था?
यह भी पढ़ें-
नागपुर हिंसा पर सबसे बड़ा खुलासा! दंगा शुरू करने से पहले दंगाइयों का वीडियो आया सामने