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हरियाणा में किसकी सरकार: नतीजों से पहले जानिए 90 सीटों का पूरा हिसाब

चंडीगढ़.‘कुरुक्षेत्र’ के सियासी महाभारत के आज नतीजे घोषित हो रहे हैं. इसको लेकर सियासी सरगर्मी तेज है. सबकी नजर इस बात पर लगी है कि 10 साल राज करने के बाद भाजपा हैट्रिक लगाएगी या कांग्रेस की लॉटरी निकलेगी. एक्जिट पोल आने के बाद से ही इस पर बहस हो रही है कि कांग्रेस और […]

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Haryana Election Result
  • October 7, 2024 9:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

चंडीगढ़.‘कुरुक्षेत्र’ के सियासी महाभारत के आज नतीजे घोषित हो रहे हैं. इसको लेकर सियासी सरगर्मी तेज है. सबकी नजर इस बात पर लगी है कि 10 साल राज करने के बाद भाजपा हैट्रिक लगाएगी या कांग्रेस की लॉटरी निकलेगी. एक्जिट पोल आने के बाद से ही इस पर बहस हो रही है कि कांग्रेस और भाजपा को कितनी सीटें मिलेगी और कौन कौन सी सीटें फंसी कांटे के मुकाबले में?

किसको कितनी सीटें

अभी तक जितने एक्जिट पोल आये हैं उसमें कांग्रेस की बढ़त दिख रही है और 50+ सीटें दी जा रही है जबकि भाजपा को 20+सीटें. इनेलो, जेजेपी, आप समेत अन्य दलों और निर्दलियों को लेकर कोई खम नहीं ठोक रहा है. इसकी मुख्य वजह यह है कि कई सीटें फंसी हुई है और कांटे का मुकाबला है. अंबाला संभाग से शुरू करें तो अंबाला सिटी सीट पर इस बार भाजपा के असीम गोयल की हैट्रिक मुश्किल लग रही है. हाथ का साथ लेकर चुनाव लड़ रहे निर्मल सिंह की बढ़त दिख रही है जबकि अंबाला कैंट में निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा भाजपा के बड़े नेता अनिल विज का रास्ता रोकने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाये हुए हैं. हालांकि विज भारी नजर आते हैं.

अंबाला में भाजपा को सिर्फ 1 सीट

अंबाला की नारायणगढ़ में कांग्रेस की शैली चौधरी भाजपा के पवन सैनी पर भारी दिखती है. पवन सैनी को क्षेत्र में घुसने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही थी. रही बात अंबाला की चौथी सीट मुलाना की तो वहां से मौजूदा कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी की पत्नी पूजा चौधरी मजबूत हैं और उन्हें टक्कर दे रही हैं भाजपा की संतोष चौहान. अंबाला संभाग की कालका सीट पर भाजपा की शक्तिरानी शर्मा और कांग्रेस के प्रदीप चौधरी तथा पंचकूला सीट पर भाजपा के ज्ञानचंद गुप्ता व कांग्रेस के चंद्रमोहन में मुकबला है.

यमुनानगर में इनेलो भारी

यमुनानगर सीट इनेलो के खाते में जा सकती है, इनेलो प्रत्याशी दिलबाग सिंह बीजेपी के विधायक खनश्याम दास अरोड़ा को पानी पिला रहे हैं. दिलबाग सिंह पिछला चुनाव महज 1400 वोटों से हारे थे. यहीं की राडौर सीट बीजेपी के खाते में जाती दिख रही है तो जगाधरी सीट में कांग्रेस के अकरम खान भाजपा के कंवरपाल गुर्जर पर भारी हैं.

सढौरा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. कांग्रेस के बागी और बसपा से चुनाव लड़ रहे बृजपाल छप्पर खेल बिगाड़ रहे हैं. कुरुक्षेत्र की चार विधानसभा सीटों मे से पेहोवा, थानेसर और शाहबाद कांग्रेस की सीट मानी जा रही है जबकि लाडवा सीट जहां से सीएम नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ रहे हैं वो फंसी हुई है.

सीएम सिटी में क्या होगा

बात करें करनाल संभाग की तो कैथल से कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला पिता का हिसाब बराबर करते नजर आ रहे हैं. बाकी यहां की तीनों सीटें कलायत, पूंडरी और गुहला कांटे के मुकाबले में फंसी हुई है. पूंडरी में 1996 से निर्दलीय जीत रहे हैं, इस बार भी ऐसा ही फैसला आये तो आश्चर्य नहीं.

करनाल के इन्द्री व असंध से कांग्रेस, करनाल से भाजपा तथा नीलोखेड़ी व घरौंडा में कांटे का मुकाबला है. पानीपत की चार सीटों पानीपत शहर, पानीपत ग्रामीण समालखा में भाजपा भारी है तो इसराना में कांटे का मुकाबला. हालांकि समालखा में निर्दलीय रबींद्र मछरौली खेल बिगाड़ रहे हैं.

सोनीपत में गुरु पर भारी चेला

रोहतक संभाग के सोनीपत जिले की छह सीटों में सोनीपत में गुरु-चेला यानी कि कांग्रेस के सुरेंद्र पवार और कांग्रेस से भाजपा में आये निखिल मदान में लड़ाई है जहां चेला भारी पड़ रहा है. इसी तरह गोहाना में भाजपा के अरविंद शर्मा कांग्रेस के पांच बार के विधायक जगबीर मलिक को पटकनी दे सकते हैं. खरखौदा में भी भाजपा की लॉटरी निकल सकती है. बाकी तीन सीटें गनौर, राई, व बड़ौदा कांग्रेस की झोली में जा सकती है.

हुड्डा के गढ़ में भारी भाजपा

हरियाणा में दो बार सीएम रहे भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ रोहतक सीट फंसी हुई है जबकि महम, गढ़ी-सांपला-किलोई व कलानौर हाथ का साथ दे सकते हैं. गढ़ी-सांपला-किलोई से भूपेंद्र हुड्डा खुद चुनाव लड़ रहे हैं. झज्जर की बादली, बेरी और झज्जर में कांग्रेस के निकलने की संभावना है जबकि बहादुरगढ़ में भाजपा-कांग्रेस में फाइट है. चरखी दादरी की दादरी सीट कांग्रेस की झोली में जबकि बाढरा की सीट कांटे के मुकाबले में फंसी है.

भिवानी जिले में भाजपा का बोलबाला है, भिवानी, लोहारू और बवानीखेड़ा भाजपा निकाल सकती है जबकि किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी की सीट तोशाम फंस सकती है. श्रुति का मुकाबला भाई अनिरुद्ध चौधरी से हैं.

हिसार संभाग के जिंद जिले में जिंद, सफीदों, जुलाना कांग्रेस की सीट मानी जा रही है. जुलाना से विनेस फोगाट चुनाव लड़ रही हैं जबकि दुष्यंत चौटाला का मुकाबला बिजेंद्र चौधरी से है और यह सीट फंसी हुई है. नरवाना में भी कड़ा मुकाबला है. फतेहाबाद सीट पर कांटे का मुकाबला है अलबत्ता टोहना और रतिया कांग्रेस की झोली में जा सकती है. हिसार की आदमपुर सीट से भाजपा के भव्य विश्नोई बाजी मार सकते हैं. भव्य पूर्व सीएम स्वर्गीय भजनलाल के पोते हैं.

हिसार में अमीर महिला ने मचाया तहलका

हिसार सीट निर्दलीय के खाते में जा सकती है. देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं और वह बाजी मार सकती हैं. नलवा, नारनौंद, उकलाना में कांग्रेस भारी है तो हांसी, बरवाला में तगड़ी फाइट है. सिरसा की ऐलानाबाद में इनेलो नेता अभय चौटाला कांटे के मुकाबले में फंस गये हैं. पिछला चुनाव वह महज 6700 वोटों से जीते थे. सिरसा और कलावली में कांग्रेस की गुंजाइश बन रही है. डबवाली से इनेलो बाजी मार सकती है जबकि रानिया में दादा पोते में लड़ाई है.

गुरुग्राम में महासंग्राम

गुरुग्राम संभाग के महेंद्रगढ़ जिले में अटेली सीट से अहिरवाल के बड़े नेता राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव चुनाव लड़ रही हैं लेकिन यहां पर बसपा के मास्टर अतरलाल ने उनके नाक में दम कर दिया है. अटेली और नारनौल भाजपा के खाते में तो महेंद्रगढ़ और नांगल चौधरी सीट हाथ का साथ दे सकती है.

रेवाड़ी में लालू यादव के दामाद राव चिरंजीव इस बार लक्ष्मण यादव से कांटे के मुकाबले में फंसे हैं. अन्य दो सीटें कोसली और बावल कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं. गुरुग्राम की चार सीटें पटौदी और बादशाहपुर भाजपा की मानी जा रही है जबकि सोहना सीट भाजपा के हाथ से निकल रही है. गुरुग्राम सीट पर तगड़ी फाइट है.

फरीदाबाद में 50-50

फरीदाबाद संभाग की फरीदाबाद जिले की छह सीटों में इस बार 3-3 का गणित बन रहा है. फरीदाबाद, बल्लभगढ़ और तिगांव भाजपा के खाते में जा सकती है जबकि पृथला, एनआईटी व बड़खल कांग्रेस जीत सकती है. नूंह जिले की तीनों सीटें नूंह-मेवात, फिरोजपुर व पुन्हाना पिछली बार की तरह कांग्रेस के हाथ का साथ दे सकती हैं. हालांकि पुन्हाना में निर्दलीय रइसा खान भी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं. पलवल की तीनों सीटें पलवल, होडल और हथीन पिछली बार भाजपा के पास थी. इस बार ये हाथ का साथ दे सकती हैं.

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