Lok Sabha 2019 Elections: लोकसभा 2019 चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर अनुज शर्मा सहित 4 आईपीएस अफसरों का तबादला कर दिया था. इसके बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस फैसले का विरोध किया और कहा कि आयोग सत्तारूढ़ पार्टी से इशारे पर काम करता है यानी भाजपा.
कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कोलकाता पुलिस कमिश्नर अनुज शर्मा सहित चार आईपीएस अधिकारियों के तबादलों का विरोध किया. ममता बनर्जी ने अपने पत्र में चुनाव आयोग के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण, अत्यधिक मनमाना, प्रेरित और पक्षपाती कहा है. ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को फिर से अपने फैसले पर विचार करने को कहा है.
ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि आखिर किसके कहने पर ट्रांसफर का आदेश जारी किया गया. सीएम ने आरोप लगाया कि ये तबादले बीजेपी के इशारे पर लिया गया है. उन्होंने पत्र में ये भी कहा कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री ने एक टीवी शो में बयान दिया कि बंगाल में कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब है और इसलिए 7 चरण के चुनाव का आदेश दिया गया है.
इसके तुरंत बाद अधिकारियों को हटाने पर आयोग का आदेश मिला है. पत्र में लिखा गया है, “आयोग का निर्णय बहुत ही मनमाना, प्रेरित और पक्षपाती है. हमारे पास यह मानने का हर कारण है कि आयोग का फैसला केंद्र में सत्तारूढ़ दल के इशारे पर होता है, यानी भाजपा. दरसअल चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कोलकाता पुलिस कमिश्नर अनुज शर्मा सहित चार आईपीएस अधिकारियों के तबादला कर दिया था.
लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग का रुख काफी सख्त नजर आ रहा है. बीते दिनों 2 अप्रैल को निर्वाचन आयोग के आदेश पर झारखंड सरकार ने एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस स्पेशल ब्रांच अनुराग गुप्ता का ट्रांसफर कर उन्हें दिल्ली भेज दिया है. गुप्ता को मंगलवार दोपहर 1 बजे तक चुनाव आयोग ने दिल्ली के रेजिडेंट कमिश्नर झारखंड को रिपोर्ट करने का फरमान जारी किया है. निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा कि गुप्ता को चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक छुट्टी नहीं दी जानी चाहिए और न ही उन्हें ऐसी ड्यूटी पर लगाया जाए, ताकि उन्हें झारखंड जाना पड़े.
गुप्ता को हटाने की मांग चुनाव आयोग से कई विपक्षी दलों ने की थी. इस बारे में एक ज्ञापन मुख्य चुनाव अधिकारी को सौंपा गया था. दरअसल गुप्ता पर साल 2016 राज्यसभा चुनाव के संबंध में एक एफआईआर दर्ज है. पद का दुरुपयोग, चुनाव प्रक्रिया में दखलअंदाजी और आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ साल 2018 में आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. उनके खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई भी की गई.