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Winter Seasion : मोदी सरकार के मंत्रियो पर भड़के ओम बिरला, कहा आप ही सारे जवाब दे दो’

आज (3 दिसंबर, 2024) संसद के शीतकालीन सत्र का छठा दिन था, और सदन की शुरुआत से पहले ही विपक्षी नेताओं ने अडाणी और संभल हिंसा को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया

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Om birla Parliament house speaker
  • December 3, 2024 7:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

 नई दिल्ली :  लोकसभा में मंगलवार (3 दिसंबर, 2024) को शून्यकाल से पहले विभिन्न मंत्रियों के दस्तावेज़ संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा प्रस्तुत किए जाने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संबंधित मंत्रियों को सदन में मौजूद रहना चाहिए। सामान्यत: प्रश्नकाल के बाद, दोपहर 12 बजे कार्यसूची में शामिल दस्तावेज़ संबंधित मंत्री सदन में पेश करते हैं।

मंत्री जब सदन में नहीं होते हैं, तो संसदीय कार्य राज्य मंत्री इन दस्तावेज़ों को पेश करते हैं। इस दिन जब दस्तावेज़ पेश हो रहे थे, तो वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद का दस्तावेज़ अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया। बिरला ने टिप्पणी की कि उद्योग मंत्री पीयूष गोयल सदन में मौजूद थे, और उन्हें ही दस्तावेज़ प्रस्तुत करना चाहिए था।

सदन में नाराज हुए स्पीकर

इसके बाद, गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार के दस्तावेज़ प्रस्तुत करने में कुछ परेशानी आई, और अन्य मंत्री उन्हें सहायता कर रहे थे। इस पर बिरला ने मंत्रियों से कहा, “आप एक-दूसरे को मत समझाइए,” और मेघवाल से ही दस्तावेज़ पेश करने को कहा। जब मेघवाल ने ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान के नाम से संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत किया, तो बिरला ने फिर नाखुशी जताते हुए कहा, “संसदीय कार्य मंत्री जी, सुनिश्चित करें कि जिन मंत्रियों के नाम कार्यसूची में हैं, वे सदन में उपस्थित रहें। अगर ऐसा नहीं होता है, तो आप ही सारे जवाब दे दीजिए।” इस समय सदन में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू भी उपस्थित थे।

सत्र से पहले विपक्षी नेताओं का विरोध प्रदर्शन

आज (3 दिसंबर, 2024) संसद के शीतकालीन सत्र का छठा दिन था, और सदन की शुरुआत से पहले ही विपक्षी नेताओं ने अडाणी और संभल हिंसा को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हुए, हालांकि समाजवादी पार्टी और टीएमसी के नेता इसमें शामिल नहीं थे। वहीं, संभल हिंसा को लेकर अखिलेश यादव ने इसे एक सोची-समझी साजिश करार दिया, खासकर यूपी में चुनाव को ध्यान में रखते हुए।

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