नई दिल्ली:दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। विधानसभा की 70 सीटों के लिए वोटिंग 5 फरवरी को होगी और परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। इस बार का चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। आम आदमी पार्टी इस बार तीसरी बार सत्ता में आने की उम्मीद कर रही है और यदि वो जीतती है तो यह AAP की तीसरी जीत यानी हैट्रिक होगी। वहीं कांग्रेस भी अपनी वापसी की कोशिश में है, लेकिन मुख्य चुनौती भारतीय जनता पार्टी के सामने है, जो जीत के लिए पूरी ताकत झोंकने को तैयार है। अगर भाजपा जीतती है, तो दिल्ली में उसका 27 साल का सत्ता से बाहर रहने का वनवास समाप्त हो जाएगा।
भा.ज.पा. इस बार पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरी है और किसी भी हाल में जीत हासिल करना चाहती है। दिल्ली में 1993 में भाजपा ने सरकार बनाई थी और मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री नियुक्त किया था। हालांकि, भाजपा को सत्ता बनाए रखने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उस समय पार्टी को 49 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन पांच साल में तीन बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े। इसके बाद भाजपा दिल्ली में कभी सत्ता में नहीं आ पाई। अब पार्टी की नजर इस बार के चुनाव पर है, जिससे उनका 27 साल पुराना सूखा खत्म हो सकता है।
1993 के बाद 1998 में विधानसभा चुनाव हुआ और इस बार दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला। भाजपा ने सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया, लेकिन जनता ने शीला दीक्षित को चुना और वे दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद से कांग्रेस ने 1998 से 2013 तक दिल्ली में सत्ता संभाली। इस बार कांग्रेस भी अपनी वापसी का दावा कर रही है और उम्मीद जता रही है कि वह सत्ता में लौट सकती है।
2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से नकार दी गई और शीला दीक्षित को सत्ता गंवानी पड़ी। उस समय आम आदमी पार्टी ने शीला दीक्षित की सरकार को हराया और 28 सीटें जीती। भाजपा ने 32 सीटें जीती, लेकिन बहुमत से दूर रही। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बनाई और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन ज्यादा समय नहीं चला। 2013 में कांग्रेस के समर्थन से बनी आम आदमी पार्टी की सरकार केवल 49 दिन तक ही चल सकी। फिर केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने रिकॉर्ड 67 सीटों पर जीत हासिल की और अरविंद केजरीवाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने विपक्ष को पूरी तरह से हराया था। अगर इस बार भी पार्टी जीतती है, तो यह उनकी तीसरी जीत यानी हैट्रिक होगी। हालांकि, पार्टी पर कई आरोप लगाए गए हैं, जिनका जवाब वह चुनाव के परिणाम से देना चाहती है।
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