नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव के औपचारिक ऐलान से पहले एक दूसरे को घेरने के लए राजनीतिक दल अलग-अलग एजेंसियों के सर्वे को आधार बनाकर उम्मीदवार उतार रहे हैं. यद्यपि नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से आप ने अभी तक अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि हैट्रिक लगा चुके पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल एक बार फिर यहां से ताल ठोक सकते हैं. एक चर्चा यह भी है कि मनीष सिसोदिया की तरह वह भी अपनी सीट बदल सकते हैं.
आप ने अभी तक 31 उम्मीदवारों की दो सूची जारी की है जबकि कांग्रेस ने 21 उम्मीदवारों की एक सूची. कांग्रेस ने पहली सूची में नई दिल्ली विधानसभा सीट से पूर्वी दिल्ली से दो बार सांसद रहे संदीप दीक्षित को टिकट दिया है. संदीप दीक्षित दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे हैं. स्वर्गीय शीला दीक्षित तीन बार लगातार यहां से चुनाव जीती थीं, पहले यह सीट गोल मार्केट के नाम से थी. नई दिल्ली सीट बनने के बाद वह 2008 में भी जीतीं लेकिन 2013 में श्रीमती दीक्षित, अरविंद केजरीवाल के हाथों लगभग 26000 वोटों से हार गईं थीं. खबर है कि भाजपा यहां से पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है. यदि ऐसा होता है तो फिर यहां पर मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्रियों के वारिसों में होगा.
आम आदमी पार्टी ने अभी तक उम्मीदवारों की दो सूचियां जारी कर 31 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है और 18 विधायकों के टिकट काटे हैं. डिप्टी चीफ मिनिस्टर रहे मनीष सिसोदिया को पटपड़गंज से जंगपुरा शिफ्ट किया है तो डिप्टी स्पीकर राखी बिड़लान को मंगोलपुरी से मादीपुर भेज दिया है. दोनों अपने अपने क्षेत्र से हैट्रिक लगा चुके थे और इस बार एंटी इनकमबेंसी की वजह से हार का खतरा था. अरविंद केजरीवाल की उम्मीदवारी का अभी तक ऐलान नहीं हुआ है, इससे लगता है कि वह भी क्षेत्र बदल सकते हैं. वह भी तीन बार यहां से जीत चुके हैं लेकिन यदि आप अंत में उन्हें यही से लड़ाने का फैसला करती है तो मुकाबला भीषण होगा.
कांग्रेस ने दिल्ली को संवारने वाली और तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को लड़ाने का ऐलान किया है. संदीप दीक्षित पूर्वी दिल्ली से दो बार 2004 व 2009 में लोकसभा सदस्य रह चुके हैं और केजरीवाल के धुर विरोधी हैं. जब भा कांग्रेस आप से समझौता करती है वह विरोध करने वालों की पंक्ति में सबसे आगे रहते हैं. अरविंद केजरीवाल ने उनकी मां शीला दीक्षित को 2013 में लगभग 26 हजार वोटों से हराया था. उस चुनाव में कांग्रेस का सफाया हो गया था और वह महज 8 सीटें ही जीत पाई थी. अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के धुर विरोधी होते हुए भी पहली बार कांग्रेस की बैसाखी के सहारे 49 दिन के लिए सीएम बने थे. भाजपा 31 सीटें जीतकर भी बहुमत से 5 सीट पीछे रह गई थी.
भाजपा इस बार करो या मरो के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरने जा रही है. वह एक एक सीट पर फूंक फूंककर कदम रख रही है. उसने अभी तक एक भी सीट के लिए उम्मीदवार घोषित नहीं किया है अलबत्ता यह चर्चा जरूर है कि नई दिल्ली सीट पर वह पश्चिमी दिल्ली से दो बार 2014 और 2019 के चुनाव में जीतकर सांसद रहे प्रवेश वर्मा को उतार सकती है.
इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वह नई दिल्ली में सक्रिय हो गये हैं और नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं. उन्होंने एक पोस्ट भी डाला है. प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व सीएम स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और 2019 का चुनाव पश्चिमी दिल्ली से रिकार्ड मतों 578486 से जीते थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कट गया था और उनकी जगह कमलजीत सहरावत पश्चिमी दिल्ली से चुनाव लड़कर सांसद बनीं थीं. लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने मनोज तिवारी को छोड़कर बाकी सभी छह सांसदों के टिकट काट दिये थे. विभिन्न राज्यों में केंद्र के मंत्रियों को चुनाव लड़ाया था. उसी तर्ज पर दिल्ली के जिन छह सांसदों के टिकट काटे थे उसमें से 3-4 पूर्व सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है.
नई दिल्ली विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई, उसके पहले यह सीट गोल मार्केट के नाम से जानी जाती थी.
1993 में भाजपा से कीर्ति आजाद ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी.
1998, 2003 और 2008 में कांग्रेस की शीला दीक्षित यहां से चुनाव जीतीं और तीन बार दिल्ली की सीएम रहीं. अरविंद केजरीवाल भी 2013 2015 और 2020 में नई दिल्ली सीट से जीते और 3 बार दिल्ली के सीएम बने.
2015 में आप के अरविंद केजरीवाल ने भाजपा की नूपुर शर्मा को 31,000 से अधिक मतों से हराया
2020 में अरविंद केजरीवाल ने हैट्रिक लगाई और भाजपा के सुनील यादव को 21,000 मतों से हराया. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रोमेश सभरवाल को सिर्फ 3,220 वोट मिले थे.
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