दिल्ली में अपनी खोई हुई सियासी जमीन फिर से हासिल करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपना पूरा जोर लगा दिया है। कई राज्यों के कांग्रेसी नेता दिल्ली में पार्टी का प्रचार करने पहुंचे हैं।
नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा को लेकर सियासी पारा बढ़ा हुआ है। एक ओर सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) लगातार तीसरी बार बहुमत हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई है। वहीं बीजेपी दिल्ली में 26 साल के सूखे को खत्म करना चाहती है। इन दोनों दलों के साथ कांग्रेस पार्टी भी दिल्ली में चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है।
मालूम हो कि कांग्रेस दिल्ली की सत्ता पर सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाली पार्टी है। साल 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी।
दिल्ली में अपनी खोई हुई सियासी जमीन फिर से हासिल करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपना पूरा जोर लगा दिया है। कई राज्यों के कांग्रेसी नेता दिल्ली में पार्टी का प्रचार करने पहुंचे हैं। पार्टी ने आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित और कालिका जी से सीएम आतिशी के खिलाफ अलका लांबा का नाम शामिल है।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी की नजर दिल्ली के करीब 13 फीसदी मुस्लिम वोटों पर है। बता दें कि पहले मुस्लिम समुदाय कांग्रेस को वोटर हुआ करता था, लेकिन आम आदमी पार्टी के आने के बाद लगभग पूरा मुस्लिम वोट AAP की ओर शिफ्ट हो गया। कांग्रेस की कोशिश है कि इस वोटबैंक को फिर से आप से छीना जाए।
इस बीच कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में अपनी ताकत फिर से हासिल करने के लिए बड़ा ऐलान कर दिया है। बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने दिल्ली में पार्टी के लिए प्रचार करते हुए ऐलान किया है कि अगर उनकी सरकार आई तो दिल्ली में कुंभ की तर्ज पर यमुना किनारे छठ महापर्व आयोजित होगा। इसके अलावा दिवंगत लोकगायिका शारदा सिन्हा के नाम एक जिला भी बनाया जाएगा।
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