पटना। बिहार की राजधानी पटना में बुधवार-26 फरवरी को नीतीश कुमार सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ। इस दौरान बीजेपी के 7 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। मंत्रिमंडल विस्तार की सबसे खास बात यह रही कि मंत्री बनने वाले सभी सात विधायक भारतीय जनता पार्टी (BJP) हैं।
इस विस्तार के बाद साफ हो गया है कि बिहार की सरकार में अब बीजेपी की तूती बोलेगी। भाजपा अब एनडीए सरकार में सबसे ताकतवर पार्टी बन गई है। बता दें कि बिहार की एनडीए सरकार का 13 महीने में यह तीसरा कैबिनेट विस्तार है। नीतीश कुमार सरकार में अब 36 मंत्री हो गए हैं। जिनमें भाजपा के 21, जेडीयू के 13 और हम के एक मंत्री शामिल हैं। इसके अलावा एक निर्दलीय विधायक भी मंत्री हैं।
बिहार की सियासत में हमेशा से जनता दल (यूनाइटेड) सीनियर पार्टनर के रूप में रही हैं। वहीं, बीजेपी को उसका जूनियर पार्टनर कहा जाता रहा है। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी को 74 और जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें मिलीं तब कहा गया कि बीजेपी सीनियर पार्टनर बन गई है। हालांकि उस वक्त मंत्रियों की संख्या और ताकतवर विभागों का बंटवारा दोनों पार्टियों के बीच समान ही हुआ था। लेकिन अब स्पष्ट तौर पर बीजेपी सीनियर और जेडीयू जूनियर पार्टनर बन गई है।
इसके अलावा एनडीए में शामिल जिन छोटे दलों को उम्मीद थी कि कैबिनेट विस्तार में उन्हें भी पूछा जाएगा, ऐसा भी नहींं हुआ। लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के प्रमुख चिराग पासवान और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी भी अब बिहार की सियासत में बीजेपी से कोई सौदेबाजी करने की हैसियत में नहीं हैं। यही वजह है कि इन दलों ने अब चुप्पी साधना ही बेहतर समझा है।