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पूर्व IPS आचार्य किशोर का हार्ट अटैक से निधन, पटना हनुमान मंदिर समेत कई संस्थानों के रहे संस्थापक

पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल का रविवार सुबह हृदयाघात से निधन हो गया। हार्ट अटैक के बाद उन्हें तुरंत महावीर वत्सला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

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Former IPS Acharya Kishore
  • December 29, 2024 9:36 am Asia/KolkataIST, Updated 2 days ago

पटनाः बिहार के पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। किशोर कुणाल को रविवार की सुबह दिल का दौरा पड़ा। उन्हें तुरंत महावीर वात्सल्य अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया। उन्होंने 74 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। आचार्य किशोर कुणाल भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी थे। वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वे पटना के महावीर मंदिर न्यास के सचिव थे और पटना में ज्ञान निकेतन नामक प्रसिद्ध स्कूल के संस्थापक भी हैं।

समाज सेवी थे आचार्य किशोर

किशोर कुणाल ने पटना में महावीर मंदिर, महावीर कैंसर अस्पताल और महावीर वात्सल्य अस्पताल की स्थापना की। वे अयोध्या मंदिर न्यास के संस्थापक सदस्य भी थे। उन्होंने उसी अस्पताल में अंतिम सांस ली, जिसे उन्होंने खुद बनवाया था। आचार्य किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर में हुई। इसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास और संस्कृत में स्नातक किया। बाद में वे गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी बने। वे पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भी रहे। गृह मंत्रालय में सेवाएं देने के बाद वे सेवानिवृत्त हुए और संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति भी बने। इसके बाद उन्होंने बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने में अपना योगदान दिया।

राम मंदिर अभियान में थी भूमिका

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर दुख जताया है। राम मंदिर विवाद में निभाई थी अहम भूमिका पुलिस करियर के दौरान आचार्य किशोर को अयोध्या विवाद पर विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए विशेष कार्य अधिकारी (अयोध्या) के तौर पर नियुक्त किया गया था। प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी थी। भगवान महावीर में अपनी आस्था के चलते उन्होंने वीआरएस ले लिया। शानदार करियर के बावजूद उन्होंने अपनी नौकरी पूरी नहीं की और खुद को सामाजिक कार्यों में समर्पित कर दिया।

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