इस साल की अंत में होने वाली बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर सभी दलों की तैयारियां तेज हैं। इसी कड़ी में आज दिल्ली में बड़ी बैठक होने जा रही है। मंगलवार को राजद नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की दिल्ली में मुलाकात होगी। इस बैठक में राहुल गाँधी भी शामिल होंगे। बैठक में गठबंधन की मजबूती, सीट शेयरिंग जैसे मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है। लगभग 3 दशक से एक साथ गठबंधन की राजनीति में शामिल राजद और कांग्रेस के रिश्तों पर इन दिंनो कई तरह की चर्चाएं हो रही है। संभव है कि इस मुलाकात के बाद दोनों दल सारे कयासों पर विराम लगा दे.
पिछले कुछ समय में राजद और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही है। इन चर्चाओं की शुरुआत नए प्रभारी की नियुक्ति के साथ शुरू हुई थी। कृष्णा अल्लावारु जब बिहार के प्रभारी नियुक्त हुए तब से उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से एक बार भी मुलाकात नहीं की है। इसके साथ ही लालू यादव के करीबी अखिलेश सिंह के स्थान पर राजेश राम को बिहार में पार्टी की कमान दे दी। कांग्रेस ने पार्टी और संगठन को मजबूत करने के लिए दिल्ली से कन्हैया कुमार को बिहार भेजकर पलायन रोको नौकरी दो यात्रा की शुरुआत करवाई। इस दौरान राहुल गाँधी भी बेगूसराय पहुंचकर यात्रा में शामिल हुए थे। इन घटनाओं के साथ मुख्यमंत्री पद और सीट शेयरिंग के मुद्दों पर दोनों दाल के नेताओं की बयानबाजी ने भी कई चर्चाओं को हवा दिया है।
1997 में राष्ट्रीय जनता दाल के गठन के साथ ही कांग्रेस और राजद एक साथ रही है। हलाकि दोनों दलों ने कई बार अलग चुनाव जरूर लड़ा है लेकिन चुनाव बाद फिर एक साथ आ गई है।2000 के विधान सभा चुनाव में अलग लड़ने के बाद जब सरकार बनाने की बारी आई तो कांग्रेस विधयकों ने राबड़ी देवी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। 2005 के अक्टूबर में हुए चुनाव में सभी सीटों पर गठबंधन नहीं होने का खामियाजा राजद को भुगतना पड़ा और राजद को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। 2010 में भी दोनों दाल अलग अलग चुनाव लड़े। इस चुनाव में राजद ने अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया तो कांग्रेस भी मात्र 4 सीटों पर सिमट गयी थी.2015 और 2020 में दोनों दलों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा।
243 सीटों वाली बिहार विधान सभा का चुनाव अक्टूबर महीने में होना संभावित हैं। चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी लड़ाई होगी। 2020 के विधान सभा चुनाव के परिणाम काफी करीबी रहे थे। एनडीए ने जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी, वहीं राजद विधान सभा में सबसे बड़ी दल के रूप में उभरी थी।
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