नई दिल्ली: हिंदू धर्म में हनुमान जी और शनिदेव का विशेष महत्व है। एक रोचक मान्यता के अनुसार, शनिदेव हनुमान जी के भक्तों को कभी परेशान नहीं करते। इस मान्यता के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसका संबंध रामायण काल से जुड़ा हुआ है। हनुमान जी और शनि देव के बीच का संबंध हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और अद्वितीय है। शनि देव, जिन्हें ग्रहों के न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है, आमतौर पर उनके कठोर प्रभाव के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन यह कहा जाता है कि शनि देव हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करते। इसके पीछे एक पुरानी कहानी और वचन की बात है जो त्रेतायुग के समय की है।
त्रेतायुग में जब भगवान राम ने रावण से युद्ध करने का संकल्प लिया, तब हनुमान जी उनके प्रमुख सहयोगी थे। रावण ने अपने भाई अहिरावण के साथ मिलकर भगवान राम और लक्ष्मण को बंदी बना लिया। जब हनुमान जी ने इस बारे में सुना, तो वे उन्हें बचाने के लिए पाताल लोक में पहुंचे। पाताल लोक में हनुमान जी को शनि देव बंदी अवस्था में मिले। दरअसल रावण ने शनि देव के अपने महल की किसी गुप्त जगह पर बंदी अवस्था में रखा हुआ था। शनि देव को रावण ने अत्यंत पीड़ा दी थी, क्योंकि रावण ने उन्हें अपने मायावी जाल में बाँध रखा था। शनिदेव ने हनुमान जी से मदद मांगी। हनुमान जी ने उन्हें मुक्त कराया और बदले में शनिदेव ने वचन दिया कि वे कभी भी हनुमान जी के भक्तों को कष्ट नहीं देंगे। हनुमान जी ने शनि देव को मुक्त कर दिया और उनकी पीड़ा दूर की।
इस मुक्ति के उपरांत शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया कि वे उनके भक्तों को कभी परेशान नहीं करेंगे। शनि देव ने कहा कि जो व्यक्ति हनुमान जी की पूजा करेगा, हनुमान चालीसा का पाठ करेगा और मंगलवार के दिन व्रत करेगा, उन पर उनकी अशुभ दृष्टि नहीं पड़ेगी। धार्मिक विशेषज्ञ पंडितों का मानना है कि यह कथा हनुमान जी की महानता और दयालुता को दर्शाती है। वे सिर्फ राम भक्त ही नहीं, बल्कि सभी प्राणियों के रक्षक भी हैं। यह कथा हालांकि प्रचलित है, लेकिन इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण या अन्य प्राचीन ग्रंथों में नहीं मिलता। फिर भी, यह मान्यता लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। कहा जा सकता है कि हनुमान जी और शनिदेव की यह कथा धार्मिक विश्वासों और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करती है।
इस वचन के बाद से हनुमान जी के भक्तों पर शनि देव की कृपा बनी रहती है। माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि देव की दशा में सुधार होता है और उनके कष्ट दूर होते हैं। यही कारण है कि हनुमान जी को ‘शनि पीड़ा निवारण’ के रूप में भी पूजा जाता है। हनुमान जी और शनि देव के बीच यह संबंध हिंदू धर्म की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यह कहानी हमें बताती है कि भक्ति और सेवा से किसी भी ग्रह के प्रभाव को कम किया जा सकता है। हनुमान जी के प्रति भक्ति और समर्पण से शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
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