नई दिल्ली: बीते कुछ सालों में लव जिहाद के मामले खूब सुर्ख़ियों में रहे हैं. कई सारे राज्यों में इसे लेकर कानून बन चुके हैं तो कई राज्यों में कानून बनाने की पुरजोर कोशिश चल रही है. लेकिन ऐसे मामले क्या सिर्फ कानून के जरिये रोके जा सकते हैं? बता दें, शादी करने के लिए/शादी […]
नई दिल्ली: बीते कुछ सालों में लव जिहाद के मामले खूब सुर्ख़ियों में रहे हैं. कई सारे राज्यों में इसे लेकर कानून बन चुके हैं तो कई राज्यों में कानून बनाने की पुरजोर कोशिश चल रही है. लेकिन ऐसे मामले क्या सिर्फ कानून के जरिये रोके जा सकते हैं?
बता दें, शादी करने के लिए/शादी करने के बाद जबरन धर्म परिवर्तन कराने के मामलों पर तो फिर भी कानून की मदद से रोक लगाई जा सकती है. लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि तब क्या…जब पसंद ही अपनी हो तो? हिंदू-मुस्लिम जोड़े हों या फिर दूसरे अंतर धार्मिक विवाह… बड़ी तादाद में महिलाएं ही हिंसा, यौन शोषण, शारीरिक शोषण व मारपीट का शिकार होती रही हैं. यह बात हम ऐसे ही नहीं बोल रहे हैं…बल्कि आंकड़े भी इसी बात की तस्दीक करते हैं.
• इस मामले में आंकड़े क्या कहते हैं आइये आपको बताते हैं:
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की ओर से जारी किये आंकड़ों में करीबन हर धर्म में महिलाएं ही शारीरिक, मानसिक और यौन हिंसा का शिकार हो रही हैं. जानकारी के लिए बता दें, हिंदू व मुस्लिम दोनों धर्म में ये आंकड़े लगभग बराबर हैं.
हिंदू युवती व मुस्लिम युवकों की शादी के आंकड़ों के बारे में बात करें तो इसमें करीब 35.6 फीसदी पत्नियां शारीरिक, मानसिक तरीके से घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं.
वहीं उसके उलट, यदि युवती मुस्लिम हो और युवक हिंदू तो उनके बीच भी शादी के बाद की ज़िंदगी ठीक नहीं है. इनमें से शारीरिक, मानसिक व अन्य तरीके से घरेलू हिंसा की शिकार होने वाली महिलाओं की संख्या 41.2 फीसदी है.
वहीं इसके बाद अन्य अंतर धार्मिक विवाह में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा की बात करें तो इसमें से करीब तो 27.7 फीसदी पत्नियां किसी न किसी रूप से घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं.
साथ ही आपको देश के उन 5 राज्यों के बारे में भी बता देते हैं जहां पर महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा शारीरिक, मानसिक और यौन हिंसा अंजाम दी जाती है.
• कर्नाटक- 44 फीसद
• बिहार- 40 फीसद
• मणिपुर- 40 फीसद
• तमिलनाडु- 38 फीसद
• तेलंगाना- 37 फीसद
• उत्तर प्रदेश- 35 फीसद