लखनऊ: यूपी का माफिया डॉन कहे जाने वाला अतीक अहमद अब जेल के पिंजरे में बंद है। बीते दिनों उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक अहमद की सुनवाई हुई थी। प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट ने अतीक अहमद को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। यह उमेश पाल वही शख्स है जिसे फरवरी में सरेआम मौत के घाट उतार दिया गया था। कहा जाता है कि साल 2005 में अतीक अहमद ने ही राजू पाल का क़त्ल करवाया था। राजू पाल के क़त्ल के मामले में उमेश पाल इकलौता गवाह था।
माफिया अतीक अहमद ने 17 साल पहले उमेश पाल का अपहरण किया था। इस मामले में उमेश पाल ने पुलिस को जानकारी दी थी। उमेश पाल ने अतीक अहमद पर सीधा इल्ज़ाम लगाया था और कहा था कि साल 2006 में अतीक ने ही कुछ लोगों के साथ मिलकर उसका अपहरण किया था।
उस वक़्त यूपी में मायावती का राज था। इसके बाद उमेश पाल ने मायावती को पत्र लिखा था। इस पत्र के जरिए उमेश पाल ने CM मायावती को घटना की जानकारी दी थी। उमेश पाल ने पत्र में लिखा, ‘माननीय मुख्यमंत्री, आपसे आग्रह है कि मैं उमेश पाल एक शांतिप्रिय नागरिक हूं। मैं बहुजन समाजवादी पार्टी का एक सक्रिय कार्यकर्ता होने के साथ-साथ जिला पंचायत सदस्य भी हूं।”
…..”तारीख 25 जनवरी 2005 को विधायक राजू पाल का क़त्ल हुआ था। यह क़त्ल किसी और ने नहीं बल्कि अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ और बाकी कुछ लोगों ने मिलकर इस क़त्ल को अंजाम दिया था। इस हत्याकांड का मैं इकलौता चश्मदीद गवाह हूं। अब चूंकि मैं क़त्ल का गवाह हूं तो सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ मुझे जान से मरने की धमकी दे हैं। न सिर्फ मुझे बल्कि मेरे परिवार को भी लगातार धमकी दी जा रही है।”
….” अशरफ ने मुझे बार-बार फ़ोन कॉल किया और कई बार जान से मारने की धमकी दी। मैं धमकी से नहीं डरा तो 28 फरवरी 2006 को मेरे साथ एक और घटना हुई। इस दिन करीब 2 बजे जब मैं अपनी मोटर साइकिल से शहर जा रहा था तो सुलेमसराय फांसी इमली (जगह का नाम) के पास अतीक अहमद ने लैंड क्रूजर गाड़ी से मेरा रास्ता रोका था। सिर्फ लैंड क्रूजर ही नहीं बल्कि वहां पर एक गाड़ियों का एक काफिला था। इन सभी गाड़ियों ने मुझे पीछे से घेर लिया था। उसी गाड़ी में दिनेश पासी, अन्सार बाबा और एक आदमी भी बैठे हुए थे। उन्होंने गाड़ी से पिस्टल दिखाकर मुझे लैंड क्रूज में पटक दिया।”
अब आपको बता दें, मार्च की शुरुआत में पुलिस की एक टीम ने अतीक अहमद के फ्लैट पर छापा मारा था। यह छापेमारी उमेश पाल हत्याकांड के मामले में की गई थी। हालांकि उस समय पर अतीक के फ्लैट पर ताला लगा था। पुलिस को ऐसी खबर थी कि प्रयागराज में उमेश पाल पर जिन शूटरों ने गोली चलाई थी, वो सभी शूटर इसी अपार्टमेंट में रुके थे।
आपको बता दें, छापेमारी के दौरान पुलिस की नजर पार्किंग में खड़ी लैंड क्रूजर और मर्सिडीज पर पड़ी। पुलिस ने इन गाड़ियों को अपने कब्ज़े में ले लिया। यह वही लैंड क्रूजर था। जिसके बारे में उमेश पाल ने मायावती को लिखे पत्र में बताया था। इसी कड़ी में यह लैंड क्रूजर अतीक अहमद के गले की फांस बन गया। आखिर में यह सबूत अतीक अहमद पर भारी पड़ गया। इस गाड़ी ने ही अतीक को उम्र कैद की सजा दिलवा दी।
आपको बता दें, माफिया डॉन और बाहुबली अतीक के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उसे लग्जरी गाड़ियां चलाने का बेहद शौक है। देश में पेश होने वाली बेशकीमती गाड़ियां अक्सर अतीक के काफिले में नज़र आती रहती है। कई बार अतीक बेहद ही महंगी गाड़ियों की सवारी करते नज़र आता था तो कई बार ड्राइविंग सीट पर भी बैठा दिखाई पड़ता था। अतीक कई सारी लैंड क्रूजर, मर्सिडीज और एसयूवी गाड़ियों का मालिक है। साथ ही उसके पास आठ करोड़ रूपये की एक अमेरिकन कार भी है।
अतीक अहमद की कहानी साल 1979 से शुरू होती है। उस समय फिरोज अहमद का परिवार इलाहाबाद के चाकिया शहर में रहता था जो परिवार के गुजारे के लिए तांगा चलाता था। फिरोज का बेटा अतीक हाई स्कूल में फेल हो गया था। इसके बाद उनका मन पढ़ाई से हट गया। उसे अमीर बनने का लालच था। इसलिए वह गलत धंधे में पड़ गया और रंगदारी वसूली करने लगा। 17 साल की उम्र में अतीक पर पहला क़त्ल का आरोप लगा।
आपको बता दें, अतीक अहमद का नाम जून 1995 में लखनऊ गेस्टहाउस कांड में मुख्य था। गेस्टहाउस कांड में अतीक ने मायावती पर हमला किया था। इस कांड में मायावती ने कई आरोपियों को माफ कर दिया , लेकिन अतीक अहमद को नहीं बख्शा। मायावती के सत्ता में आने के बाद अतीक अहमद की उलटी गिनती शुरू हो गई थी, इसलिए जब भी बसपा सत्ता में आई तो अतीक हमेशा उनके निशाने पर रहे। यूपी में मायावती के शासन के दौरान अतीक अहमद सलाखों के पीछे रहे। बसपा के दौर में अतीक का दफ्तर तोड़ा गया और उनकी संपत्ति कुर्क की गई और उन्हें जेल भेज दिया गया और प्रयागराज पर उनकी राजनीतिक पकड़ न सिर्फ कमजोर हुई बल्कि पूरी तरह से खत्म हो गई।
उपचुनाव में भाई अशरफ की हार से अतीक अहमद के खेमे में दंगे हो गए थे। लेकिन धीरे-धीरे मामला शांत हो गया था। लेकिन राजू पाल की जीत की खुशी ज्यादा देर नहीं टिक सकी। पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव को भी मौत के घाट उतार दिया गया जबकि दो अन्य लोग बुरी तरह से घायल हो गए। इस सनसनीखेज हत्याकांड ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था। इस सनसनीखेज हत्याकांड में तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सीधे तौर पर सामने आया ।
विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े हत्या से पूरे इलाके में सनसनी थी। बसपा ने सपा सांसद अतीक अहमद पर हमला बोला था। वहीं दिवंगत विधायक राजू पाल की बीवी पूजा पाल ने धूमनगंज थाने में हत्या का मामला दर्ज कराया। उस रिपोर्ट में सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम का नाम था।
मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।
उमेश पाल इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस का प्रमुख चश्मदीद गवाह था। जैसे-जैसे मामले की जांच आगे बढ़ी, उमेश पाल को धमकियाँ मिलनी शुरू हो गईं। उसने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा माँगी थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश से यूपी पुलिस ने उमेश पाल की सुरक्षा के लिए दो गनर दे दिए।
विधायक राजूपाल हत्याकांड की छानबीन व जांच में जुटी पुलिस दिन-रात जुटी रही। पुलिस ने हत्याकांड की जांच के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था।
इसके बाद मामले की जांच और सुनवाई जारी रही। लेकिन राजू पाल का परिवार इस मामले की जांच से संतुष्ट नहीं था इसलिए इस मामले की जांच CB-CID को सौंपी गई थी।
CB-CID ने 5 अपराधियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दायर किया था। मुस्तकील मुस्लिम उर्फ गुड्डू, गुल हसन, दिनेश पासी और नफीस कालिया को आरोपित किया गया था।
राजू पाल का परिवार भी CB-CID जांच से खुश नहीं था। निराश होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मामले की जानकारी होने पर देश की सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया था कि इस मामले की जांच CBI को सौंपी जाए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से CBI ने राजू पाल हत्याकांड में नया केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी। लगभग तीन साल की जांच के बाद, CBI ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप दायर किया है।
दिवंगत विधायक राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई के दौरान CBI की विशेष अदालत की न्यायाधीश कविता मिश्रा ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। इस हत्याकांड में पूर्व विधायक अतीक अहमद के भाई पूर्व विधायक अशरफ समेत अन्य लोग शामिल थे। सभी अपराधियों पर क़त्ल, क़त्ल की साजिश और क़त्ल के प्रयास का आरोप लगाया गया था। हालांकि , अदालत के सामने, अपराधियों ने आरोपों से इनकार किया और ट्रायल की माँग की थी।
दरअसल, इस हमले में मारा गया उमेश पाल प्रयागराज में हुए राजूपाल हत्याकांड का प्रमुख चश्मदीद गवाह था। उनकी गवाही के आधार पर ही बाहुबली अतीक अहमद सहित सभी अपराधियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। उमेश पाल को पहले भी मिल चुकी थी धमकी इसीलिए कोर्ट के आदेश से यूपी पुलिस ने उन्हें दो सुरक्षा तत्व यानी गनर मुहैया कराए थे। लेकिन शुक्रवार को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उमेश पाल पर पूरी तैयारी के साथ हमला कर मार डाला गया। पुलिस अब पूरे मामले की जांच कर रही है।
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