नई दिल्ली: तिहाड़ जेल का नाम सुनते ही हर किसी के दिमाग में एक ऐसी तस्वीर बन जाती है, जहां देश के बड़े और खूंखार अपराधी कैद हैं। पहरा इतना सख्त है कि एक परिंदा भी नहीं मारा जा सकता। लेकिन 2 मई को तिहाड़ जेल में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हुई हत्या ने इन […]
नई दिल्ली: तिहाड़ जेल का नाम सुनते ही हर किसी के दिमाग में एक ऐसी तस्वीर बन जाती है, जहां देश के बड़े और खूंखार अपराधी कैद हैं। पहरा इतना सख्त है कि एक परिंदा भी नहीं मारा जा सकता। लेकिन 2 मई को तिहाड़ जेल में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हुई हत्या ने इन दावों पर संदेह पैदा कर दिया है। इस हत्याकांड के बाद जेल से छूटी तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। टिल्लू की हत्या ने सबको चौंका दिया क्योंकि तिहाड़ जेल के अंदर हर जगह CCTV कैमरे लगे हुए हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी हाईटेक सुरक्षा के बीच और तिहाड़ जेल की हाई सिक्योरिटी सेल में कैद टिल्लू ताजपुरिया का क़त्ल कैसे हुआ? टिल्लू की हत्या के बाद मची उथल-पुथल ने जेल प्रशासन को कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया। मामले के बाद आठ कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया और करीब 179 का ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन इसके बाद भी यह सवाल बना हुआ है कि आखिर टिल्लू को जेल के अंदर इतनी आसानी से कैसे मार दिया गया।
तिहाड़ जेल में लगे हिडन कैमरे के बारे में जो भी पता चला वो और भी हैरान करने वाला है। जेल के अंदर से आई खबरों की मानें तो, हत्या के बाद इमरजेंसी अलार्म बजाने की भी कोशिश की गई, लेकिन वह खराब था। ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि क्या इमरजेंसी अलार्म की खराबी सिर्फ एक हादसा था या फिर हत्या की सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। मामला सिर्फ अलार्म के खराब होने तक ही नहीं है, बल्कि तिहाड़ में लगे वीडियो सर्विलांस सिस्टम का भी है।
खबरों की मानें तो, तिहाड़ की जेल नंबर-2 के एक रसोइये ने भी बड़ा हैरान करने वाला खुलासा किया। खबर के मुताबिक, टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के महज 3 दिन पहले भी टिल्लू को मारने की कोशिश की गई थी। टिल्लू के खाने में जहर मिला दिया गया था। लेकिन उस दिन टिल्लू ताजपुरिया की किस्मत अच्छी थी और उसे कहीं से इस बात की खबर मिल गई थी कि उसके खाने में जहर मिला हुआ है। जहर किसने डाला था इस बारे में एक नौकर पर शक जताया जा रहा है।
इस बारे में खबर है कि अधिकारी ही जेल के अंदर कैदियों को सामान पहुंचाते हैं। अगर एक बड़ा सेल फोन जेल के अंदर भेजा जाता है, तो कोई भी आम कर्मचारी की हिम्मत नहीं है कि वो इसे अंदर ले जाए। यह काम अफसर ही करते हैं। बता दें कि दिल्ली-NCR समेत कई सारे गैंग आपस में गठजोड़ कर क्राइम सिंडिकेट के तौर पर काम कर रहे हैं। ये सभी गैंग अपनी-अपनी रंजिश के हिसाब से एक-दूसरे के दुश्मन हैं। इन गिरोहों के ज्यादातर गुर्गे या नेता तिहाड़ जेल में बंद हैं। ऐसे में जेल के अंदर गैंगवार फिर दोहराई जा सकती है।
जेल के अंदर एक तरफ जहां लॉरेंस बिश्नोई गैंग, जितेंद्र गोगी गैंग, राजस्थान का आनंदपाल गैंग, काला जठेड़ी गैंग और सुब्बे गुर्जर गैंग का सिंडिकेट है। वहीं, दूसरी तरफ हरियाणा के देवेंद्र बंबीहा गैंग, टिल्लू ताजपुरिया गैंग, संदीप ढिल्लू गैंग, नीरज बवानिया गैंग और कौशल जाट गैंग का एक और सिंडिकेट है। ये सभी गैंग आपस में अक्सर लड़ते रहते हैं और एक-दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं। इन गिरोहों के गुर्गे तिहाड़ जेल में दशकों से लड़ रहे हैं और अपनी जान गंवा चुके हैं।