लखनऊ: अतीक अहमद उर्फ़ माफिया डॉन को अब प्रयागराज की MP/MLA कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अतीक अहमद समेत दो और लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अतीक अहमद पर साबरमती जेल में उमेश पाल के क़त्ल की साजिश रचने का भी इल्ज़ाम है। आपको बता दें, अतीक 2019 से साबरमती जेल में बंद है। वहां से सजा सुनाने के लिए प्रयागराज लाया गया था।
बता दें, उमेश पाल अपहरण कांड करीब 17 साल पुराना है। यह मामला 28 फरवरी 2006 का है। अतीक अब 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी करार दिया जा चुका है, ऐसे में समझा जा सकता है कि उसके खिलाफ 99 मामले दर्ज हैं, अभी सुनवाई और फैसला होना बाकी है और इसमें कितना वक्त लगेगा ,आइए अतीक के खिलाफ कुछ बड़े आपराधिक मामलों पर नजर डालते हैं।
माफिया डॉन अतीक अहमद ने महज़ 17 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। 1979 में उसके खिलाफ हत्या का पहला मामला दर्ज किया गया था। कहा जाता है कि सत्तर के दशक में प्रयागराज और उसके आसपास चांद बाबा का खौफ था। उसका गिरोह जिले में अवैध उत्खनन के लिए कुख्यात था। इसी दौरान अतीक की चांद बाबा से मुलाकात और फिर दोस्ती हो गई।
साल 1989 के विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच दुश्मनी बढ़ने लगी। दरअसल दोनों चुनाव में साथ-साथ ही उतरे थे। लेकिन चांद बाबा दुर्भाग्य से हार गए और अतीक अहमद चुनाव जीत गए। बताया जाता है कि इसके बाद अतीक अहमद ने अपना दबदबा बढ़ाना शुरू कर दिया। चांद बाबा सहित उसके गिरोह के सभी एजेंटों को चरणबद्ध तरीके से बाहर कर दिया गया। तभी से अतीक अहमद को वहां का इकलौता माफिया डॉन कहा जाने लगा।
इसके बाद चांद बाबा और उसके गिरोह को रास्ते से हटाने के बाद अतीक अहमद ने राजू पाल को खत्म करने की साजिश रची। क्योंकि राजनीति की दुनिया में राजू पाल उनके लिए चुनौती बनने लगे थे। हालांकि राजू पाल पहले उन्हीं के गिरोह का हिस्सा था। लेकिन 2004 में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा उपचुनाव के दौरान दोनों एक दूसरे के खिलाफ हो गए।
आपको बता दें, फूलपुर से सांसद बनने के बाद, अतीक अहमद ने अपने भाई अशरफ को इलाहाबाद पश्चिम सीट के लिए उपचुनाव में उतारा, लेकिन उन्हें बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले राजू पाल से हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की हत्या कर दी गई। उस समय राजू पाल स्कॉर्पियो में सवार था। गोली लगने से कार में बैठे संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई। इस हत्या का एक मामला अतीक और अशरफ के खिलाफ कोर्ट में चल रहा है।
बता दें, राजू पाल की हत्या से पहले, अतीक अहमद पर 2002 में नैसन की हत्या का आरोप लगाया गया था, और 2004 में, अतीक ने अशरफ की भी हत्या कर दी थी, जिसे भाजपा मुरली नेता मनोहर जोशी का करीबी बताया गया था। जिस किसी ने भी अतीक पर आरोप लगाया या सवाल उठाया, माना जा रहा है कि उसकी हत्या कर दी गई है। 1986 से 2007 तक उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज किए गए।
आपको बता दें, अतीक अहमद एक हाई प्रोफाइल आपराधिक रिकॉर्ड वाला यूपी माफिया डॉन है, जिसका राजनीतिक रसूख भी है। उनका नाम जून 1995 में लखनऊ गेस्टहाउस कांड में भी दर्ज है। मायावती पर हमला करने वालों में उनका नाम भी शामिल था। हालांकि बाद में इस कांड में कई लोगों को माफ कर दिया गया लेकिन अतीक को माफ नहीं किया गया।
अतीक अहमद पर हत्या और हत्या की साजिश रचने के अलावा अपहरण, जबरन वसूली और संपत्ति पर जबरन कब्जा करने के गंभीर आरोप भी हैं। इन सभी मामलों में अतीक के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जिस पर सुनवाई होगी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अतीक अहमद के पूरे परिवार पर 160 मामले दर्ज हैं, जिनमें अकेले उसके ऊपर 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।
उपचुनाव में भाई अशरफ की हार से अतीक अहमद के खेमे में दंगे हो गए थे। लेकिन धीरे-धीरे मामला शांत हो गया था। लेकिन राजू पाल की जीत की खुशी ज्यादा देर नहीं टिक सकी। पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव को भी मौत के घाट उतार दिया गया जबकि दो अन्य लोग बुरी तरह से घायल हो गए। इस सनसनीखेज हत्याकांड ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था। इस सनसनीखेज हत्याकांड में तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सीधे तौर पर सामने आया ।
विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े हत्या से पूरे इलाके में सनसनी थी। बसपा ने सपा सांसद अतीक अहमद पर हमला बोला था। वहीं दिवंगत विधायक राजू पाल की बीवी पूजा पाल ने धूमनगंज थाने में हत्या का मामला दर्ज कराया। उस रिपोर्ट में सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम का नाम था।
मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की जाँच शुरू की।
उमेश पाल इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस का प्रमुख चश्मदीद गवाह था। जैसे-जैसे मामले की जाँच आगे बढ़ी, उमेश पाल को धमकियाँ मिलनी शुरू हो गईं। उसने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा माँगी थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश से यूपी पुलिस ने उमेश पाल की सुरक्षा के लिए दो गनर दे दिए।
विधायक राजूपाल हत्याकांड की छानबीन व जाँच में जुटी पुलिस दिन-रात जुटी रही। पुलिस ने हत्याकांड की जाँच के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था।
इसके बाद मामले की जाँच और सुनवाई जारी रही। लेकिन राजू पाल का परिवार इस मामले की जाँच से संतुष्ट नहीं था इसलिए इस मामले की जाँच CB-CID को सौंपी गई थी।
CB-CID ने 5 अपराधियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दायर किया था। मुस्तकील मुस्लिम उर्फ गुड्डू, गुल हसन, दिनेश पासी और नफीस कालिया को आरोपित किया गया था।
राजू पाल का परिवार भी CB-CID जाँच से खुश नहीं था। निराश होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मामले की जानकारी होने पर देश की सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया था कि इस मामले की जाँच CBI को सौंपी जाए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से CBI ने राजू पाल हत्याकांड में नया केस दर्ज कर जाँच शुरू कर दी। लगभग तीन साल की जाँच के बाद, CBI ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप दायर किया है।
दिवंगत विधायक राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई के दौरान CBI की विशेष अदालत की न्यायाधीश कविता मिश्रा ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। इस हत्याकांड में पूर्व विधायक अतीक अहमद के भाई पूर्व विधायक अशरफ समेत अन्य लोग शामिल थे। सभी अपराधियों पर क़त्ल, क़त्ल की साजिश और क़त्ल के प्रयास का आरोप लगाया गया था। हालाँकि, अदालत के सामने, अपराधियों ने आरोपों से इनकार किया और ट्रायल की माँग की थी।
दरअसल, इस हमले में मारा गया उमेश पाल प्रयागराज में हुए राजूपाल हत्याकांड का प्रमुख चश्मदीद गवाह था। उनकी गवाही के आधार पर ही बाहुबली अतीक अहमद सहित सभी अपराधियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। उमेश पाल को पहले भी मिल चुकी थी धमकी इसीलिए कोर्ट के आदेश से यूपी पुलिस ने उन्हें दो सुरक्षा तत्व यानी गनर मुहैया कराए थे। लेकिन शुक्रवार को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उमेश पाल पर पूरी तैयारी के साथ हमला कर मार डाला गया। पुलिस अब पूरे मामले की जाँच कर रही है।
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