ये तो 100 गुनाहों की पहली सजा है…. फैसला सुनते-सुनते गुजर जाएगी उम्र

लखनऊ: अतीक अहमद उर्फ़ माफिया डॉन को अब प्रयागराज की MP/MLA कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अतीक अहमद समेत दो और लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अतीक अहमद पर साबरमती जेल में उमेश पाल के क़त्ल की साजिश रचने […]

Advertisement
ये तो 100 गुनाहों की पहली सजा है…. फैसला सुनते-सुनते गुजर जाएगी उम्र

Amisha Singh

  • March 28, 2023 4:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ: अतीक अहमद उर्फ़ माफिया डॉन को अब प्रयागराज की MP/MLA कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अतीक अहमद समेत दो और लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अतीक अहमद पर साबरमती जेल में उमेश पाल के क़त्ल की साजिश रचने का भी इल्ज़ाम है। आपको बता दें, अतीक 2019 से साबरमती जेल में बंद है। वहां से सजा सुनाने के लिए प्रयागराज लाया गया था।

 

➨ अपहरण कांड 17 साल पुराना

बता दें, उमेश पाल अपहरण कांड करीब 17 साल पुराना है। यह मामला 28 फरवरी 2006 का है। अतीक अब 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी करार दिया जा चुका है, ऐसे में समझा जा सकता है कि उसके खिलाफ 99 मामले दर्ज हैं, अभी सुनवाई और फैसला होना बाकी है और इसमें कितना वक्त लगेगा ,आइए अतीक के खिलाफ कुछ बड़े आपराधिक मामलों पर नजर डालते हैं।

 

➨ चांद बाबा हत्याकांड

माफिया डॉन अतीक अहमद ने महज़ 17 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। 1979 में उसके खिलाफ हत्या का पहला मामला दर्ज किया गया था। कहा जाता है कि सत्तर के दशक में प्रयागराज और उसके आसपास चांद बाबा का खौफ था। उसका गिरोह जिले में अवैध उत्खनन के लिए कुख्यात था। इसी दौरान अतीक की चांद बाबा से मुलाकात और फिर दोस्ती हो गई।

 

➨ दोस्ती के बाद हुई दुश्मनी

साल 1989 के विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच दुश्मनी बढ़ने लगी। दरअसल दोनों चुनाव में साथ-साथ ही उतरे थे। लेकिन चांद बाबा दुर्भाग्य से हार गए और अतीक अहमद चुनाव जीत गए। बताया जाता है कि इसके बाद अतीक अहमद ने अपना दबदबा बढ़ाना शुरू कर दिया। चांद बाबा सहित उसके गिरोह के सभी एजेंटों को चरणबद्ध तरीके से बाहर कर दिया गया। तभी से अतीक अहमद को वहां का इकलौता माफिया डॉन कहा जाने लगा।

 

➨ राजू पाल हत्याकांड

इसके बाद चांद बाबा और उसके गिरोह को रास्ते से हटाने के बाद अतीक अहमद ने राजू पाल को खत्म करने की साजिश रची। क्योंकि राजनीति की दुनिया में राजू पाल उनके लिए चुनौती बनने लगे थे। हालांकि राजू पाल पहले उन्हीं के गिरोह का हिस्सा था। लेकिन 2004 में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा उपचुनाव के दौरान दोनों एक दूसरे के खिलाफ हो गए।

 

➨ भाई अशरफ पर भी मुक़दमे

आपको बता दें, फूलपुर से सांसद बनने के बाद, अतीक अहमद ने अपने भाई अशरफ को इलाहाबाद पश्चिम सीट के लिए उपचुनाव में उतारा, लेकिन उन्हें बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले राजू पाल से हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की हत्या कर दी गई। उस समय राजू पाल स्कॉर्पियो में सवार था। गोली लगने से कार में बैठे संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई। इस हत्या का एक मामला अतीक और अशरफ के खिलाफ कोर्ट में चल रहा है।

 

➨ अशरफ और नासन का क़त्ल

बता दें, राजू पाल की हत्या से पहले, अतीक अहमद पर 2002 में नैसन की हत्या का आरोप लगाया गया था, और 2004 में, अतीक ने अशरफ की भी हत्या कर दी थी, जिसे भाजपा मुरली नेता मनोहर जोशी का करीबी बताया गया था। जिस किसी ने भी अतीक पर आरोप लगाया या सवाल उठाया, माना जा रहा है कि उसकी हत्या कर दी गई है। 1986 से 2007 तक उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज किए गए।

 

➨ गेस्ट हाउस कांड में भी आया नाम

आपको बता दें, अतीक अहमद एक हाई प्रोफाइल आपराधिक रिकॉर्ड वाला यूपी माफिया डॉन है, जिसका राजनीतिक रसूख भी है। उनका नाम जून 1995 में लखनऊ गेस्टहाउस कांड में भी दर्ज है। मायावती पर हमला करने वालों में उनका नाम भी शामिल था। हालांकि बाद में इस कांड में कई लोगों को माफ कर दिया गया लेकिन अतीक को माफ नहीं किया गया।

 

➨ जब तक ज़िंदा तब तक कोर्ट मैटर

अतीक अहमद पर हत्या और हत्या की साजिश रचने के अलावा अपहरण, जबरन वसूली और संपत्ति पर जबरन कब्जा करने के गंभीर आरोप भी हैं। इन सभी मामलों में अतीक के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जिस पर सुनवाई होगी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अतीक अहमद के पूरे परिवार पर 160 मामले दर्ज हैं, जिनमें अकेले उसके ऊपर 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।

 

➨ 25 जनवरी, 2005 – राजू पाल की हत्या

उपचुनाव में भाई अशरफ की हार से अतीक अहमद के खेमे में दंगे हो गए थे। लेकिन धीरे-धीरे मामला शांत हो गया था। लेकिन राजू पाल की जीत की खुशी ज्यादा देर नहीं टिक सकी। पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव को भी मौत के घाट उतार दिया गया जबकि दो अन्य लोग बुरी तरह से घायल हो गए। इस सनसनीखेज हत्याकांड ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था। इस सनसनीखेज हत्याकांड में तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सीधे तौर पर सामने आया ।

 

 

➨ राजूपाल की बीवी पूजा पाल ने दर्ज कराई थी FIR

विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े हत्या से पूरे इलाके में सनसनी थी। बसपा ने सपा सांसद अतीक अहमद पर हमला बोला था। वहीं दिवंगत विधायक राजू पाल की बीवी पूजा पाल ने धूमनगंज थाने में हत्या का मामला दर्ज कराया। उस रिपोर्ट में सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम का नाम था।
मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की जाँच शुरू की।

 

➨ अहम गवाह था उमेश पाल

उमेश पाल इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस का प्रमुख चश्मदीद गवाह था। जैसे-जैसे मामले की जाँच आगे बढ़ी, उमेश पाल को धमकियाँ मिलनी शुरू हो गईं। उसने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा माँगी थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश से यूपी पुलिस ने उमेश पाल की सुरक्षा के लिए दो गनर दे दिए।

 

➨ अप्रैल 6, 2005

विधायक राजूपाल हत्याकांड की छानबीन व जाँच में जुटी पुलिस दिन-रात जुटी रही। पुलिस ने हत्याकांड की जाँच के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था।

 

➨ 12 दिसम्बर 2008

इसके बाद मामले की जाँच और सुनवाई जारी रही। लेकिन राजू पाल का परिवार इस मामले की जाँच से संतुष्ट नहीं था इसलिए इस मामले की जाँच CB-CID ​​को सौंपी गई थी।

 

➨ 10 जनवरी 2009

CB-CID ​​​​ने 5 अपराधियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दायर किया था। मुस्तकील मुस्लिम उर्फ ​​गुड्डू, गुल हसन, दिनेश पासी और नफीस कालिया को आरोपित किया गया था।

 

➨ जनवरी 22, 2016

राजू पाल का परिवार भी CB-CID ​​जाँच से खुश नहीं था। निराश होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मामले की जानकारी होने पर देश की सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया था कि इस मामले की जाँच CBI को सौंपी जाए।

 

➨ अगस्त 20, 2019

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से CBI ने राजू पाल हत्याकांड में नया केस दर्ज कर जाँच शुरू कर दी। लगभग तीन साल की जाँच के बाद, CBI ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप दायर किया है।

 

 

➨ 1 अक्टूबर, 2022

दिवंगत विधायक राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई के दौरान CBI की विशेष अदालत की न्यायाधीश कविता मिश्रा ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। इस हत्याकांड में पूर्व विधायक अतीक अहमद के भाई पूर्व विधायक अशरफ समेत अन्य लोग शामिल थे। सभी अपराधियों पर क़त्ल, क़त्ल की साजिश और क़त्ल के प्रयास का आरोप लगाया गया था। हालाँकि, अदालत के सामने, अपराधियों ने आरोपों से इनकार किया और ट्रायल की माँग की थी।

 

➨ फरवरी 24, 2023

दरअसल, इस हमले में मारा गया उमेश पाल प्रयागराज में हुए राजूपाल हत्याकांड का प्रमुख चश्मदीद गवाह था। उनकी गवाही के आधार पर ही बाहुबली अतीक अहमद सहित सभी अपराधियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। उमेश पाल को पहले भी मिल चुकी थी धमकी इसीलिए कोर्ट के आदेश से यूपी पुलिस ने उन्हें दो सुरक्षा तत्व यानी गनर मुहैया कराए थे। लेकिन शुक्रवार को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उमेश पाल पर पूरी तैयारी के साथ हमला कर मार डाला गया। पुलिस अब पूरे मामले की जाँच कर रही है।

 

 

यह भी पढ़ें

Relationship: क्या है तलाक-ए-हसन? जानिए इस्लाम में कितने तरीके के होते हैं तलाक

 

 

Advertisement