उत्तर प्रदेश: धार्मिक नगरी मथुरा में एक हैरान करने वाला मामला निकलकर सामने आया है। जहाँ पर अपनी बीवी के हत्या के मामले में एक शख्स और उसका दोस्त 18 महीने से जेल में बंद रहा लेकिन फिर हुआ कुछ ऐसा जिसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। दरअसल, जेल से रिहा होने के बाद, पति और उसके दोस्त ने महिला को राजस्थान के दौसा जिले में ढूंढ निकाला। इसके बाद पुलिस उस महिला को गिरफ्तार कर कोर्ट ले गई। फर्जी हत्या के मामले में महिला के जिंदा मिलने के बाद अब पुलिस जांच पर बड़े सवाल उठ रहे हैं. साथ ही उन मां-बाप पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिन्होंने अपनी बेटी के बजाय किसी और की बेटी को पहचाना. यही नहीं, एक सवाल यह भी उठाया गया है कि आखिर वह किसका शव था जिसकी शिनाख्त आरती के रूप में की गई थी.
यह पूरा मामला साल 2015 का है। जालौन निवासी सूरज प्रसाद गुप्ता अपनी बीवी, बेटी आरती और बेटे के साथ वृंदावन में रहते थे. आरती की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने पर उसके माता-पिता उसे इलाज के लिए बालाजी ले गए, जहां उसकी मुलाकात सोनू से हुई। सोनू और आरती को एक दूजे से पहली नजर में प्यार हो गया. प्यार के फूल खिलते ही आरती घर से निकल गई। आरती ने बांदीकुई कोर्ट में बालाजी के रहने वाले सोनू से शादी की। शादी के 3 दिन बाद ही आरती ने सोनू के सामने ऐसी शर्त रख दी जो सोनू के हैसियत से ज्यादा थी. सोनू के मुताबिक, शादी के 3 दिन बाद आरती ने सोनू से 50 हजार रुपये, जमीन का एक हिस्सा और एक कार मांगी। जिसके बाद मांग पूरी नहीं होने पर आरती घर से गायब हो गई।
उधर, जब आरती घर छोड़ के फरार हुई उसी समय आरती के पिता ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी. गुमशुदगी के आधार पर पुलिस मामले की तफतीश में पहले से जुटी थी. इसी बीच पुलिस को मार्च 2016 में नहर में एक महिला की लाश मिलती है. सूचना मिलने पर आरती के पिता थाने पहुंचे और शव देखकर इसकी पहचान अपनी बेटी के तौर पर की. पिता द्वारा शिनाख्त किए जाने के बाद पुलिस ने पहले से दर्ज FIR में हत्या की धारा जोड़ते हुए आरती के पति सोनू और उसके दोस्त गोपाल को गिरफ्तार कर लिया.
करीब डेढ़ साल जेल में रहने के बाद उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई और बाद में लगातार अपनी बीवी आरती की तलाश कर रहे सोनू को राजस्थान के विशाला गांव में आरती मिली। जिसके बाद पति सोनू ने इलाके की पुलिस के साथ-साथ वृंदावन को भी मामले के बारे में सूचित किया पुलिस। दोनों की सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस आरती को जिंदा बरामद कर न्यायालय ले गई। वहीं नामजद आरोपियों का कहना है कि उन्होंने पुलिस की प्रताड़ना और मार-पीट से घबरा कर जुर्म कबूल करने की बात कही थी.
मामले की जानकारी देते हुए एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय ने बताया कि महिला की पहचान उसके माता-पिता ने की थी. शिनाख्त के बाद महिला को पेशी पर लाया गया। अब पुलिस उस महिला के डीएनए की जांच करेगी ताकि पिछली बार की तरह कोई लापरवाही न हो। उधर पुलिस ने सोनू और उसके दोस्त को रिहा करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया भी शुरू की, जो दोषी न होने के बाद भी आरती की हत्या के लिए जेल गए थे।
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