नई दिल्ली. श्रद्धा हत्याकांड रोज़ नए मोड़ ले रहा है, इस मामले में रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं. पुलिस को आरोपी आफ़ताब के खिलाफ सबूत तो मिले हैं लेकिन अब तक पुलिस को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे आफ़ताब को दोषी सिद्ध किया जा सके. इस मामले में सच की तह तक […]
नई दिल्ली. श्रद्धा हत्याकांड रोज़ नए मोड़ ले रहा है, इस मामले में रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं. पुलिस को आरोपी आफ़ताब के खिलाफ सबूत तो मिले हैं लेकिन अब तक पुलिस को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे आफ़ताब को दोषी सिद्ध किया जा सके. इस मामले में सच की तह तक पहुँचने के लिए पुलिस आफ़ताब का नार्को टेस्ट करवाने वाली है. पहले आज ही आफ़ताब का नार्को टेस्ट होने वाला था लेकिन फिर इसे टाल दिया गया.
इस संबंध में फोरेंसिक साइकोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ पुनीत पुरी ने बताया कि नार्को टेस्ट से पहले पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाता है और इसके लिए अदालत की मंजूरी चाहिए होती है. फ़िलहाल, अदालत ने नार्को टेस्ट की मंजूरी दी थी. अगर आज कोर्ट से पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए मंजूरी मिल जाती है, तो 10 दिन में आफताब के नार्को और पॉलीग्राफी टेस्ट की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. आइए आपको बताते हैं कि ये पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है-
भारत में प्रोलिग्राफ टेस्ट का इस्तेमाल किसी के ऊपर करने से पहले कोर्ट से इज़ाज़त लेना बहुत ज़रूरी है. देश में इसका सफल परीक्षण किया लोगों पर किया जा चुका है, लेकिन कुछ लोग इससे भी चालाकी कर के बच जाते हैं. बता दें पॉलिग्राफ टेस्ट से यह भी पता लग जाता है कि कौन झूठ बोल रहा है या कौन सच बोल रहा है, इस तरह से बहुत सी चीज़ों को पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान परखा जाता है, जैसे व्यक्ति कि हर्ट रेट, ब्लड प्रेशर आदि से अनुमान लगाया जाता है. अगर, इस पॉलीग्राफ परीक्षण के दौरान कोई झूठ बोलता है तो हर्ट रेट और ब्लडप्रेशर में बदलाव आता है, जिसके आधार पर ये तय हो जाता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या फिर झूठ, इसके अलावा एड्रेनालाईन हार्मोन में भी बदलाव होता है.
सांस की गति
ब्लडप्रेशर
प्लस रेट
शरीर से निकले वाला पसीना
हाथ-पैर की मूवमेंट
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