पटना: बिहार के गया में जदयू जिलाध्यक्ष सुनील सिंह का बेख़ौफ़ गोली मारकर क़त्ल कर दिया गया। अपराधियों ने घर में घुसकर फायरिंग कर दी, जिसके बाद सुनील सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। अभी दो दिन पहले राजधानी पटना में बदमाशों ने चेन लूट के दौरान एक महिला समेत चार लोगों की […]
पटना: बिहार के गया में जदयू जिलाध्यक्ष सुनील सिंह का बेख़ौफ़ गोली मारकर क़त्ल कर दिया गया। अपराधियों ने घर में घुसकर फायरिंग कर दी, जिसके बाद सुनील सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। अभी दो दिन पहले राजधानी पटना में बदमाशों ने चेन लूट के दौरान एक महिला समेत चार लोगों की हत्या कर दी थी। सीवान में भी को-ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रामायण चौधरी के घर में घुसकर बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियाँ दाग दी।
उसी राजधानी पटना के एक खगौल व्यवसायी की दुकान पर बंदूक की तस्वीर वाला पोस्टर चिपका कर “यादव गैंग” ने 5 लाख की रंगदारी माँगी। कई अन्य ज़िलों से भी अपराध की ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं। हाल के दिनों में इस तरह के मामले इतने बढ़ गए हैं कि इसे फिर से ”जंगलराज की वापसी” बताया जा रहा है। खासतौर पर विपक्षी दल बीजेपी राजद-जदयू गठबंधन पर लगातार हमले करते है। भाजपा नेताओं का कहना है कि राजद के दोबारा सरकार में आने के बाद से अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है।
बीते दिनों छपरा के मुबारकपुर पंचायत में तीन युवकों को पोल्ट्री फार्म में बंद कर बुरी तरह पीटा गया। इसका आरोप मुखिया के पति पर लगा है। तीनों की लोहे की सरिया, पाइप आदि से बर्बरता से पीटा गया। इस मामले में पहले एक युवक की मौत हुई, फिर दूसरे की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। पिटाई का वीडियो वायरल होने पर प्रशासन ने स्थिति बिगड़ने की आशंका से 10 फरवरी तक इंटरनेट को ही बंद कर करवा दिया। इसे लेकर विपक्ष ने भी निशाना साधा था।
कहा गया है कि “बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है…” नीतीश कुमार के लिए प्रचार का नारा भले ही बाद में आया हो, लेकिन यह छवि बिहार में 2005 से दिखाई दे रही है। साल 2005 और 2010 में, नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन में CM के पद पर कार्य किया।
साल 2015 में वह भाजपा से अलग होकर राजद में शामिल हुए और सरकार बनाई और दोबारा CM बने। जब खटपट हुई तो 2017 में अलग होकर भाजपा में शामिल हो गए। 2020 में नीतीश बीजेपी के साथ लड़े और चुनाव भी जीते। राजद बहुमत से दूर रहा है। लेकिन इस बार भी जदयू-भाजपा का मिलाप नहीं हुआ और अगस्त 2022 में फिर से राजद में शामिल हो गए।
आपको बता दें, राजद की सरकार बने अभी 6 महीने ही हुए हैं और इन 6 महीनों के दौरान लगातार जुर्म की बेख़ौफ़ घटनाएँ सामने आती रहती हैं। खासकर हत्या, लूटपाट और फिरौती की घटनाएँ…. बिहार मुखिया संघ भी अपराध बढ़ने को लेकर सरकार पर हमलावर है। जनप्रतिनिधियों की बढ़ती हत्याओं को लेकर CM और DCM से सुरक्षा की माँग की थी और बंदूक का लाइसेंस भी माँगा था।
➨ हाल के दिनों में जुर्म के ख़ौफ़नाक मामले #bihar
• 3 फरवरी: जहानाबाद में जदयू की पूर्व जिलाध्यक्ष का पति नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार
• 30 जनवरी: आरा में रिटायर्ड हुए प्रोफेसर और उसकी बीवी का धारदार हथियार से क़त्ल
• 25 जनवरी: मधुबनी में मामूली लड़ाई के बाद पति-पत्नी की गोली मारकर हत्या
• 24 जनवरी: पटना में दो गुटों के बीच खूरेंजी जंग, गोलीबारी में एक की मौत
• 24 जनवरी: वैशाली में RJD नेता के बेटे को गाड़ी से उतार गोली मारी
• 18 जनवरी: पूर्णिया में उधार के पैसे वापस माँगने पर नाबालिग लड़की को पीट-पीट कर मौत के घाट उतारा
• 18 जनवरी: छपरा में एकतरफा इश्क़ में ममेरी बहन का धारदार चाकू से गोद कर क़त्ल
• 17 जनवरी: वैशाली में 10 साल की मासूम बच्ची पर मिट्टी-तेल छिड़क आग लगा दी
• 17 जनवरी: पटना में ऑनलाइन सट्टा के मामले में युवक पर ताबड़तोड़ गोलियाँ दागी
• 16 जनवरी: लखीसराय में एक क़त्ल के बदले एक अधेड़ का गोली मारकर किया क़त्ल
• 13 जनवरी: बेगूसराय में पान खाने गए युवक की बेरहमी से पीट-पीट कर क़त्ल
• 3 जनवरी: पूर्णिया में विधानसभा उम्मीदवार व कारोबारी का क़त्ल कर पेड़ से लटकाई लाश
मिली जानकारी के मुताबिक़, जैसे ही विपक्ष बिहार में जंगल राज लौटने का आरोप लगाते है, CM नीतीश कुमार असहज महसूस करने लगते हैं। पिछले साल राजद के साथ गठबंधन करने के बाद अगस्त में जब उनसे यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने बस इतना कहा, “समय आने पर मैं माकूल जवाब दूँगा।” लगता है मुख्यमंत्री जी का यह सही समय अभी तक आया नहीं है।
छपरा के मुबारकपुर कांड के बाद विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष नेता सम्राट चौधरी का बयान आया। उन्होंने CM नीतीश कुमार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस मामले में एक्शन लिया जाना चाहिए लेकिन उनसे कोई उम्मीद नहीं है! उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार रिमोट से चलाई जा रही है। CM का इकबाल खत्म हो गया है। नीतीश CM हैं, लेकिन सुपर CM कोई और। उन्होंने कहा कि समाधान यात्रा के ज़रिए वह सिर्फ नाटक कर रहे हैं। ज़रा जवाब तो दें कि उनका सुशासन कहाँ है।
➨ क्या कहता है NCRB का डेटा?
अपराध और जुर्म के अनगिनत मामले में बिहार का नाम अव्वल राज्यों में शुमार किया गया है। राजद की वापसी से पहले ही देश भर के कई राज्यों से अपराध का ग्राफ ऊँचा रहा। NCRB के जारी के गए ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, IPC के तहत दर्ज मामलों में बिहार देश में सातवें स्थान पर है। NCRB ने अगस्त में अपनी 2021 की रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक महाराष्ट्र, यूपी और तमिलनाडु टॉप 3 राज्यों में हैं जबकि बिहार 1.86 लाख जुर्म के मामलों के साथ सातवें स्थान पर है।
• बिहार में एक साल में 3,336 भूमि विवाद के मामले दर्ज किए गए, जो सबसे ज्यादा हैं। प्रति लाख आबादी पर ज़मीन विवाद दर 2.7 है।
• साल 2021 में, उत्तर प्रदेश में 3,717 हत्या के मामले दर्ज किए गए, जबकि बिहार 2,799 मामलों के साथ देश में दूसरे स्थान पर है।
• चोरी के मामले में बिहार का तीसरा स्थान है। महाराष्ट्र (67,218 मामले) सबसे आगे हैं, इसके बाद यूपी (40,944 मामले) और फिर बिहार (38,277 मामले) हैं।
• आपको बता दें, आपराधिक घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी निभाने वाले भी पुलिस अफ़सर भी बिहार में महफूज़ नहीं हैं।