लखनऊ: उत्तरप्रदेश का बाहुबली माफिया अतीक अहमद अब गुजरात की साबरमती जेल में कैद है। अतीक अहमद पर आरोप है कि उसने जेल में रहते हुए उमेश पाल की हत्या की पूरी साजिश रची थी। उसके ही इशारे पर उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। हमले में उमेश पाल और उनके दो गनर […]
लखनऊ: उत्तरप्रदेश का बाहुबली माफिया अतीक अहमद अब गुजरात की साबरमती जेल में कैद है। अतीक अहमद पर आरोप है कि उसने जेल में रहते हुए उमेश पाल की हत्या की पूरी साजिश रची थी। उसके ही इशारे पर उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। हमले में उमेश पाल और उनके दो गनर मारे गए। अतीक के खिलाफ इस तरह के संगीन जुर्म की यह कहानी कोई पहली नहीं है, इससे पहले भी कई मामलों में उसका नाम आया था। ऐसे में आइए जानते हैं बाहुबली अतीक अहम और पूर्व सांसद की पूरी क्रिमिनल कुंडली।
अतीक अहमद की कहानी साल 1979 से शुरू होती है। उस समय फिरोज अहमद का परिवार इलाहाबाद के चाकिया शहर में रहता था जो परिवार के गुजारे के लिए तांगा चलाता था। फिरोज का बेटा अतीक हाई स्कूल में फेल हो गया था। इसके बाद उनका मन पढ़ाई से हट गया। उसे अमीर बनने का लालच था। इसलिए वह गलत धंधे में पड़ गया और रंगदारी वसूली करने लगा। 17 साल की उम्र में अतीक पर पहला क़त्ल का आरोप लगा।
आपको बता दें, अतीक अहमद का नाम जून 1995 में लखनऊ गेस्टहाउस कांड में मुख्य था। गेस्टहाउस कांड में अतीक ने मायावती पर हमला किया था। इस कांड में मायावती ने कई आरोपियों को माफ कर दिया , लेकिन अतीक अहमद को नहीं बख्शा। मायावती के सत्ता में आने के बाद अतीक अहमद की उलटी गिनती शुरू हो गई थी, इसलिए जब भी बसपा सत्ता में आई तो अतीक हमेशा उनके निशाने पर रहे। यूपी में मायावती के शासन के दौरान अतीक अहमद सलाखों के पीछे रहे। बसपा के दौर में अतीक का दफ्तर तोड़ा गया और उनकी संपत्ति कुर्क की गई और उन्हें जेल भेज दिया गया और प्रयागराज पर उनकी राजनीतिक पकड़ न सिर्फ कमजोर हुई बल्कि पूरी तरह से खत्म हो गई।
उपचुनाव में भाई अशरफ की हार से अतीक अहमद के खेमे में दंगे हो गए थे। लेकिन धीरे-धीरे मामला शांत हो गया था। लेकिन राजू पाल की जीत की खुशी ज्यादा देर नहीं टिक सकी। पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव को भी मौत के घाट उतार दिया गया जबकि दो अन्य लोग बुरी तरह से घायल हो गए। इस सनसनीखेज हत्याकांड ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था। इस सनसनीखेज हत्याकांड में तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सीधे तौर पर सामने आया ।
विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े हत्या से पूरे इलाके में सनसनी थी। बसपा ने सपा सांसद अतीक अहमद पर हमला बोला था। वहीं दिवंगत विधायक राजू पाल की बीवी पूजा पाल ने धूमनगंज थाने में हत्या का मामला दर्ज कराया। उस रिपोर्ट में सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम का नाम था।
मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की जाँच शुरू की।
उमेश पाल इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस का प्रमुख चश्मदीद गवाह था। जैसे-जैसे मामले की जाँच आगे बढ़ी, उमेश पाल को धमकियाँ मिलनी शुरू हो गईं। उसने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा माँगी थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश से यूपी पुलिस ने उमेश पाल की सुरक्षा के लिए दो गनर दे दिए।
विधायक राजूपाल हत्याकांड की छानबीन व जाँच में जुटी पुलिस दिन-रात जुटी रही। पुलिस ने हत्याकांड की जाँच के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था।
इसके बाद मामले की जाँच और सुनवाई जारी रही। लेकिन राजू पाल का परिवार इस मामले की जाँच से संतुष्ट नहीं था इसलिए इस मामले की जाँच CB-CID को सौंपी गई थी।
CB-CID ने 5 अपराधियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दायर किया था। मुस्तकील मुस्लिम उर्फ गुड्डू, गुल हसन, दिनेश पासी और नफीस कालिया को आरोपित किया गया था।
राजू पाल का परिवार भी CB-CID जाँच से खुश नहीं था। निराश होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मामले की जानकारी होने पर देश की सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया था कि इस मामले की जाँच CBI को सौंपी जाए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से CBI ने राजू पाल हत्याकांड में नया केस दर्ज कर जाँच शुरू कर दी। लगभग तीन साल की जाँच के बाद, CBI ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप दायर किया है।
दिवंगत विधायक राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई के दौरान CBI की विशेष अदालत की न्यायाधीश कविता मिश्रा ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। इस हत्याकांड में पूर्व विधायक अतीक अहमद के भाई पूर्व विधायक अशरफ समेत अन्य लोग शामिल थे। सभी अपराधियों पर क़त्ल, क़त्ल की साजिश और क़त्ल के प्रयास का आरोप लगाया गया था। हालाँकि, अदालत के सामने, अपराधियों ने आरोपों से इनकार किया और ट्रायल की माँग की थी।
दरअसल, इस हमले में मारा गया उमेश पाल प्रयागराज में हुए राजूपाल हत्याकांड का प्रमुख चश्मदीद गवाह था। उनकी गवाही के आधार पर ही बाहुबली अतीक अहमद सहित सभी अपराधियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। उमेश पाल को पहले भी मिल चुकी थी धमकी इसीलिए कोर्ट के आदेश से यूपी पुलिस ने उन्हें दो सुरक्षा तत्व यानी गनर मुहैया कराए थे। लेकिन शुक्रवार को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उमेश पाल पर पूरी तैयारी के साथ हमला कर मार डाला गया। पुलिस अब पूरे मामले की जाँच कर रही है।