घर में कैद रहने को मजबूर परिवार, वजह जानने के बाद भी प्रशासन सुस्त

पटना: बिहार के भागलपुर से एक हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है। ज़रा सोचिए कि किसी वजह से आपको अपने ही घर में कैद होकर रहना पड़े तो आपको कैसा महसूस होगा? जाहिर तौर पर हम सब खुले में रहना पसंद करेंगे न कि कैद की ज़िंदगी जीना। यहां के बाबरगंज इलाके से […]

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घर में कैद रहने को मजबूर परिवार, वजह जानने के बाद भी प्रशासन सुस्त

Amisha Singh

  • May 19, 2023 4:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

पटना: बिहार के भागलपुर से एक हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है। ज़रा सोचिए कि किसी वजह से आपको अपने ही घर में कैद होकर रहना पड़े तो आपको कैसा महसूस होगा? जाहिर तौर पर हम सब खुले में रहना पसंद करेंगे न कि कैद की ज़िंदगी जीना। यहां के बाबरगंज इलाके से भी ऐसी ही खबर निकल कर सामने आ रही है। जी हां, बरसूलीगंज में एक पिता अपनी बीवी और तीन बेटियों के साथ अपने ही घर में कैद होकर जीने को मजबूर है। लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है?

 

दबंगों का खौफ सर चढ़कर बोल रहा

तो आपको बता दें, दबंगों के डर से यह परिवार अपने घर से निकलने से पहले भी सोच रहा हैं। कुछ स्थानीय दबंगो ने 6 महीने पहले उनकी एक नाबालिग बेटी को घर से अगवा कर लिया था और फरार हो गए थे। उसके बाद उसके लाचार पिता ने अपराधियों के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। इस मामले में एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में शातिर दबंगों के साथी और उसके रिश्तेदारों ने बबलू तांती के परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी दे दी।

 

प्रशासन का ढूलमूल रवैया

आपको बता दें, बेख़ौफ़ दबंगों ने बाकी की तीन बेटियों को अगवा करने की धमकी दी। लिहाजा पूरा परिवार जेल की जिंदगी जीने को मजबूर है। यही नहीं, यह परिवार बता दें कि ये परिवार लगातार SP और DSP के दफ्तरों पर थाने के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अभी तक उन दबंगो को नहीं पकड़ा गया है। पीड़ित पिता ने अपनी एक बेटी व बीवी के साथ DSP ऑफिस में रिपोर्ट दी। इसके बाद DSP ने भी मामले की जांच का आश्वासन दिया। आपको बता दें कि किसी तरह घर से छुप कर बचते-बचाते यह परिवार DSP के पास मिलने पहुंचा था।

…. लेकिन अभी तक इस परिवार की मदद के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे में प्रशासन का सुस्त रवैया साफ नज़र आ रहा है लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। चुनावी दौड़ की तैयारी कर रहे जनप्रतिनिधि अगर उन लोगों पर भी ध्यान दें जिनके लिए वे सत्ता में हैं तो शायद इन बेसहारा लोगों के दिन बदल जाएं।

 

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