कोलकाता, पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी का नाम अब तस्करी से भी जोड़ा जा रहा है. ईडी के अधिकारियों को शेल कंपनी की जांच से इस बात की जानकारी मिली है. जांच एजेंसी पहले ही ‘अनंत टेक्स फैब प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की कंपनी के […]
कोलकाता, पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी का नाम अब तस्करी से भी जोड़ा जा रहा है. ईडी के अधिकारियों को शेल कंपनी की जांच से इस बात की जानकारी मिली है. जांच एजेंसी पहले ही ‘अनंत टेक्स फैब प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की कंपनी के बारे में बता चुकी है. ईडी के अधिकारियों का दावा है कि पैसा उस कंपनी से पार्थ चटर्जी के परिवार और अर्पिता के पास गया था, बता दें अर्पिता मुखर्जी ‘अनंत टेक्स फैब प्राइवेट लिमिटेड कंपनी’ की 100 प्रतिशत शेयरधारक है. उनकी कंपनी ‘इच्छे एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ है जबकि साल 2017 तक कंपनी के 100 प्रतिशत शेयर पार्थ चट्टोपाध्याय की पत्नी और बेटी और उनके दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य के पास थे.
इस ‘अनंत टेक्स फैब प्राइवेट लिमिटेड’ के दस्तावेजों के मुताबिक इसके दो निदेशक मृण्मय मालाकार और रनेश कुमार सिंह हैं और रजिस्टर ऑफ कंपनीज के रिकॉर्ड के मुताबिक मृण्मय मालाकार का घर तेघरिया में है, जो एक मध्यम वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखते हैं.
जांच में मृण्मय मालाकार स्वीकार किया है कि वह उन तीन कंपनियों यानी अनंत टेक्स फैब, व्यू मोर हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड और काली फैब्रिक्स के निदेशक नहीं हैं, लेकिन ईडी के अधिकारियों को जो भी दस्तावेज मिले हैं उसमें बतौर निदेशक उन्हीं का नाम है. यह भी देखा गया है कि ‘अनंत टेक्स फैब कंपनी’ के विभिन्न एजीएम, बैलेंस शीट और अन्य दस्तावेजों में मृण्मय मालाकार के ही हस्ताक्षर हैं. वहीं, मृण्मय ने स्वीकार किया कि उनके कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे उन सभी कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था इसलिए उन्होंने साइन कर दिया था. मृण्मय मालाकार ने बताया कि पिछले 17 वर्षों से मृणमय मालाकार ‘गोदावरी कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी में काम करते थे.