भोपाल: एक ऐसे दौर में जब बाज़ारवाद हर एक आम इंसान पर हावी होता चला जा रहा है और उपभोक्तावाद हर आम और ख़ास की दिमाग़ों में घर कर चुका है, अब इंसान केवल संसाधनों को ही ज़िंदगी की ख़ुशियों का एकमात्र ज़रिया मानता है। बाज़ारवाद के हमारे ऊपर हावी होने की बड़ी वजह सिनेमा […]
भोपाल: एक ऐसे दौर में जब बाज़ारवाद हर एक आम इंसान पर हावी होता चला जा रहा है और उपभोक्तावाद हर आम और ख़ास की दिमाग़ों में घर कर चुका है, अब इंसान केवल संसाधनों को ही ज़िंदगी की ख़ुशियों का एकमात्र ज़रिया मानता है। बाज़ारवाद के हमारे ऊपर हावी होने की बड़ी वजह सिनेमा और टेलीविज़न का हमारे घरों में ज़रुरत से ज़्यादा इस्तेनाल की वजह से हुआ है। मध्य प्रदेश के खरगोन में 9वीं कक्षा के प्रकाश की जान भी कुछ इन्हीं हालातों में चली गई।
क्या थी ख़ुदकुशी की असल वजह?
खरगोन का यह बच्चा अपने साथ मोबाइल फोन स्कूल ले कर जाना चाहता था, माँ ने ऐसा करने से मना किया और मोबाइल फोन स्कूल ले जाने की इजाज़त नहीं दी। माँ की इस बात से बच्चा इतना आहत हो गया कि उसने खाना-पीना छोड़ दिया। इसी क्रम में इस बच्चे ने घर के बाहर जाकर एक ऐसा फैसला ले लिया जिसकी वजह से उसके माँ-बाप पूरी ज़िंदगी के लिए दुखों के सागर में डूब गए।
घर वालों के मुताबिक प्रकाश अर्धवार्षिक परीक्षा देने के लिए गया था। इस बीच 4 दिनों तक इसे ढूढ़ने के प्रयास किए गए और आख़िर में चौथे दिन उसकी लाश रेलवे की पटरियों पर पड़ी मिली। प्रकाश की लाश को जानवरों ने नोंचना और खाना शुरु कर दिया था, जिस वजह से उसका मृत शरीर पूरी तरह से ख़राब हो गया था। इस ख़बर के बाद पूरे इलाके में मातम छा गया। आसपास के लोग इस मौत के बाद बेहद ग़मगीन हैं और यह पूरा मामला लोगों की सोच से भी परे है।
क्या कहा प्रकाश के पिता ने इस घटना के बारे में?
प्रकाश के पिता भृत्य राजेश शर्मा पीडब्ल्यूडी विभाग में काम करते हैं। उन्होंने इस मामले पर जानकारी दी कि उनकी पत्नी ने उनके बेटे प्रकाश को महज़ मोबाइल फोन स्कूल ले जाने से रोका था जिस बात पर उनके बच्चे ने अपनी जान देना दे दी, इस घटना के बारे में बताते हुए वो पूरी तरह से स्तब्ध दिख रहे थे। फिलहाल प्रकाश का पूरा परिवार घोर शोक में डूबा हुआ है, उन्हें अब इस दुख के साथ ही अपनी सारी ज़िंदगी गुज़ारनी है।
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