ग़ाज़ियाबाद. वसुंधरा में तेज रफ्तार कार ने एक बच्ची को कुचलकर मार डाला. यह घटना रविवार 21 अगस्त सुबह 11 बजे तब हुई जब चार वर्षीय मिष्ठी सड़क पार कर रही थी. इस दौरान एक नौसिखिया चालक तेज रफ्तार से आया और अपनी गाड़ी से बच्ची को निर्ममतापूर्वक कुचल दिया, जब तक आसपास के लोग उसे उठाने के लिए पहुंचे तब तक कार चालक फरार हो चुका था. मिष्टी को तत्काल अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
नौसिखिये ने जब बच्ची को कुचला उस दौरान वहां कई लोग मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी उसके लिए इंसाफ माँगना या कार सवार को रोकना ज़रूरी नहीं समझा. इस मामले में पुलिस थोड़ी एक्टिव हुई तब हुई जब इनखबर ने पूरे मामले का भंडाफोड़ किया और बताया कि कैसे रईसजादे को बचाया जा रहा है. लेकिन पुलिस एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने की बजाय तहरीर का इंतजार कर रही है.
ऐसे में सोचने वाली बात ये है कि जिन केसेज़ में कोई तहरीर देने वाला नहीं होता उसमें एफआईर दर्ज नहीं होती. पूर्व स्थानीय विधायक रूप चौधरी ने जब सीएम योगी को चिट्ठी लिखकर न्याय की गुहार लगाई तो पुलिस उनसे ऐसा न करने के लिए मिन्नतें करने लगी.
किसी भी व्यक्ति के पास किसी संज्ञेय वारदात की जानकारी है तो वह नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवा सकता है. ऐसा जरूरी नहीं है कि जिसके साथ वारदात हुई है, वही व्यक्ति FIR दर्ज कराए. अगर किसी पुलिस अधिकारी को संज्ञेय अपराध की जानकारी मिलती है तो वो खुद भी FIR फाइल कर सकता है. आपके सामने कोई वारदात हुई है, आप मौके पर मौजूद थे तो आप भी FIR दर्ज करा सकते हैं. खुद पुलिस भी एफआईआर कर सकती है.
ऐसे में ग़ाज़ियाबाद पुलिस का ये कहना कि कोई फरियादी नहीं है इसलिए एफआईआर दर्ज नहीं की गई गले के नीचे नहीं उतरता. नियम कानून के मुताबिक, जिसके साथ वारदात हुई है अगर वो मौजूद नहीं है तो कोई अन्य व्यक्ति भी एफआईआर दर्ज करवा सकता है. या फिर किसी पुलिस अधिकारी को संज्ञेय अपराध की जानकारी मिलती है तो वो खुद भी FIR कर सकता है. सीआरपीसी की धारा 154 में सूचना देने की बात है चाहें जिस किसी स्रोत से मिले. अधिवक्ता महेंद्र मुदगल ने बतााया कि लिखित या मौखिक सूचना देनी होती है. FIR को प्रथम सूचना रिपोर्ट कहते हैं. खास बात है कि इस मामले में 112 पर भी काल हुई थी लेकिन पुलिस शिकायत का इंतजार कर रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मृतका गरीब परिवार से है. ये घटना किसी बड़े आदमी के साथ हुई होती तो पुलिस अभी तक आकाश पाताल छान ली होती.
इस मामले में इंदिरापुरम सीओ अभय कुमार मिश्रा का कहना है कि मृतक बच्ची के पिता से उनकी बात हुई है और बच्ची के पिता का कहना है कि जब वो आएँगे तब तहरीर देंगे, सीओ का कहना है कि वो न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार चलेंगे और मृतका के माता-पिता के आने पर ही एफआईआर दर्ज की जाएगी, उन्होंने अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि क्या पिता एक महीने बाद आएंगे तब एफआईआर होगी?
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