शंघाई (चीन). चीन ही नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर शंघाई की पूरी दुनिया कायल है. आर्थिक विकास और आधुनिक नगरीय सुविधाओं के मामले में शंघाई की कामयाबी बेमिसाल है. मुंबई के विकास की जब भी बात होती है, तो यही मिसाल दी जाती है कि मुंबई को शंघाई जैसा बनाया जाएगा.
इंडिया न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया ने शंघाई जाकर वहां के विकास की ज़मीनी सच्चाई देखी. उन्होंने शंघाई में बसे भारतीय मूल के लोगों से ये जानने की कोशिश की कि क्या मुंबई को शंघाई जैसा बनाया जा सकता है?
शंघाई जैसी मुंबई !
शंघाई और मुंबई की तुलना करने के लिए बहुत कुछ है. मुंबई की तरह शंघाई भी समंदर के किनारे बसा है. मुंबई अगर भारत की आर्थिक राजधानी है, तो यही दर्ज़ा चीन में शंघाई को हासिल है. मुंबई अगर हिंदी फिल्मों की जन्मभूमि है, तो चीन में सिनेमा की शुरुआत शंघाई से हुई. भारत का सबसे बड़ा शेयर मार्केट बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है, तो चीन में शंघाई स्टॉक एक्सचेंज.
मुंबई और शंघाई में आर्थिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक समानताएं तो हैं, लेकिन जब बात शहर में क्वॉलिटी ऑफ लाइफ की होती है, तो शंघाई और मुंबई के बीच का फासला बहुत ज्यादा नज़र आता है. शंघाई में साफ-सफाई, बिजली-पानी और कारोबार के लिहाज से जो सुविधाएं हैं, उनकी बराबरी करने में मुंबई को बरसों लग जाएंगे.
शंघाई की कायल पूरी दुनिया
शंघाई में बसे भारतीय मूल के लोग हों या फिर इज़रायल, यूरोप और अमेरिका से कारोबार के लिए आए लोग, सबकी नज़र में शंघाई दुनिया का सबसे बेहतर शहर है. अमेरिका की सरकार तक मानती है कि रहने और घूमने-फिरने के लिए शंघाई चीन का सबसे सुरक्षित शहर है. चीन में भारी उद्योग, ऑटोमोबाइल और फाइनेंशियल सेक्टर के गढ़ के रूप में मशहूर शंघाई अपनी नाइट लाइफ, शॉपिंग मॉल्स और म्यूजियम के चलते दुनिया भर के पर्यटकों को भी बेहद पसंद आता है. आज मुंबई, लंदन, दुबई, शिकागो, इस्तांबुल समेत दुनिया के 66 देशों की चाहत शंघाई बनने की है, जिन्होंने शंघाई के साथ ‘सिस्टर सिटी’ समझौता किया है.
शंघाई की हसीन शाम, जगमग रात
शंघाई की खासियत ये भी है कि यहां की इमारतें रोज़ शाम ढलते ही रोशनी से चकाचौंध हो जाती हैं. जैसी सजावट बाकी शहरों में किसी खास त्यौहार या उत्सव के दिन होती है, वैसा नज़ारा शंघाई में रोज़ देखने को मिलता है. शंघाई में लोग दिन भर कड़ी मेहनत करते हैं और शाम होते ही शंघाई की सड़कों पर मस्ती के मूड में निकल जाते हैं. खाना-पीना, घूमना और नाच-गाना यहां के लोगों की आदत में शुमार है.
सिर्फ 15 साल, शंघाई बना मिसाल
भारत में बहुत से लोगों को ये जानकार हैरानी हो सकती है कि शंघाई की जगमगाती तस्वीर सिर्फ 15 साल में बनी. चीन की सरकार और शंघाई म्यूनिसिपल गवर्नमेंट ने विकास की योजनाएं बनाईं, जिन्हें शंघाई के लोगों की मदद से अंज़ाम तक पहुंचाया गया. शंघाई में ये नियम लागू है कि लोग अपने घर, दुकान और दफ्तर की सफाई का इंतज़ाम खुद करेंगे. घर और दफ्तर के बाहर सार्वजनिक जगहों की साफ-सफाई भी लोगों की ही जिम्मेदारी है. शंघाई का प्रशासन सिर्फ कूड़े का निस्तारण करता है.
जनता चाहे तो मुंबई भी शंघाई!
शंघाई में बसे भारतीय मूल के लोगों से दीपक चौरसिया ने पूछा कि क्या मुंबई को शंघाई जैसा बना पाना संभव है? जवाब मिला कि हां, मुंबई को शंघाई बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सिर्फ सरकार पर निर्भर रहने से काम नहीं चलेगा. जनता को भी इसमें अपनी भागीदारी निभानी होगी.