नई दिल्ली: हिंडनबर्ग जो अपने खुलासे के नाम से सुर्खियों में बना रहता है। जब से हिंडनबर्ग नाम की चर्चा तेज हो रही है, वैसे ही ‘शॉर्ट सेलिंग’ की भी चर्चा तेज हो गई है. ‘शॉर्ट सेलिंग’ के जरिए अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग खूब कमाई करती है. अगर बात करें शॉर्ट सेलिंग की तो यह एक […]
नई दिल्ली: हिंडनबर्ग जो अपने खुलासे के नाम से सुर्खियों में बना रहता है। जब से हिंडनबर्ग नाम की चर्चा तेज हो रही है, वैसे ही ‘शॉर्ट सेलिंग’ की भी चर्चा तेज हो गई है. ‘शॉर्ट सेलिंग’ के जरिए अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग खूब कमाई करती है. अगर बात करें शॉर्ट सेलिंग की तो यह एक तरह की ट्रेडिंग या निवेश की रणनीति है, लेकिन इसे हथियार बनाकर हिंडनबर्ग जैसी कंपनियां अरबों रुपए कमाती हैं।
खास बात यह है कि शॉर्ट सेलिंग का पूरा खेल शॉर्ट सेलर द्वारा उधार लिए गए शेयरों से खेला जाता है। सबसे पहलेआपको बता दें कि नाथन एंडरसन की हिंडनबर्ग रिसर्च एक निवेश फर्म होने के साथ-साथ शॉर्ट सेलर कंपनी भी है। जैसा कि इसके नाम से ही साफ है कि यह शॉर्ट सेलिंग के जरिए कमाई करती है।अगरआप हिंडनबर्ग कंपनी की प्रोफाइल देखें तो यह एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है और यही इसकी अरबों रुपए की कमाई का अहम जरिया भी है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जनवरी में जब हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, तो एक तरफ अडानी स्टॉक्स में सुनामी आई थी, लेकिन दूसरी तरफ हिंडनबर्ग ने करीब 4 मिलियन डॉलर यानी करीब 33.58 करोड़ रुपए छापे थे। हालांकि, इस बार अडानी के शेयरों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। गौरतलब है कि हिंडनबर्ग ने सेबी को लेकर जो नई रिपोर्ट जारी की है, वह भी पिछले साल शेयरों को शॉर्ट करके की गई मोटी कमाई से जुड़ी है। इसी कमाई को लेकर मार्केट रेगुलेटर सेबी ने हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
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