September 19, 2024
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क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और सीआरआर, आम आदमी पर कैसे पड़ता है असर

नई दिल्ली, रिजर्व बैंक ने बुधवार को अचानक रेपो रेट बढ़ाने का ऐलान कर हर किसी को चौका दिया है. बुधवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दोपहर 2 बजे अचानक प्रेस कांफ्रेंस कर रेपो रेट 0.40 फीसदी बढ़ाने की घोषणा की. केंद्रीय बैंक के इस फैसले के बाद अब रेपो रेट 4 फीसदी से बढ़कर 4.40 फीसदी हो गया है. आरबीआई गवर्नर ने रेपो रेट के पीछे महंगाई को एक बड़ा कारण बताया है. आइए, आज हम आपको रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, कैश रिज़र्व रेशियो और एलएसआर के बारे में बताएंगे:

रेपो रेट क्या है?

आसान शब्दों में अगर बात करें तो रेपो रेट वह रेट है जिस रेट पर आरबीआई अन्य बैकों को कर्ज देता है. और बैंक इसी चार्ज से कस्टमर्स को लोन देते हैं. जब आरबीआई बैंक्स को कम दर पर कर्ज देती है, तब बैंक भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी ब्याज दरों को कम कर देती है, ताकि कर्ज लेने वाले ग्राहकों में ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ोतरी की जा सके, और ज़्यादा रकम लोन पर दी जा सके. इसी तरह यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करती है, तो बैंकों के लिए लोन लेना महंगा हो जाता है और बैंक भी अपने ग्राहकों से वसूल की जाने वाली ब्याज दरों को बढ़ा देती है.

रिवर्स रेपो रेट क्या है?

जैसा कि शब्द से ही स्पष्ट होता है, इसका अर्थ उस रेट से है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा किए गए धन पर ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी के लिक्विडिटी को नियंत्रित करता है, यानि जब आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ाता है तब बैंक ज्यादा कमाने के लिए ज्यादा रकम आरबीआई में जमा करते हैं, जिससे मार्किट में लिक्विडिटी कम हो जाती है. इसीलिए, महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई ने रिज़र्व रेपो रेट बढ़ा दिया है, जिससे मार्केट में लिक्विडिटी कम की जा सके.

कैश रिज़र्व रेशियो (सीआरआर) क्या है?

कैश रिज़र्व रेशियो यानि सीआरआर का अर्थ उस धन से है जो बैंक अपनी कुल नकदी का कुछ हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखता है.

एसएलआर क्या है?

SLR (एसएलआर) बैंकों के पास मौजूद जमा का वह हिस्सा होता है, जिसमें उन्हें अपनी जमा पूंजी पर लोन जारी करने से पहले अपने पास राशि रखनी होती है. SLR (एसएलआर) बैंकों के पास नकदी, गोल्ड रिजर्व सरकारी प्रतिभूतियों जैसे किसी भी रूप में हो सकती है.

 

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