नई दिल्ली: कैश के लिए जिस तरह एटीएम का नाम सबसे दिमाग में आता है. ठीक वैसे ही डिजिटल पेमेंट के लिए लोगों को पेटीएम याद आता है. आपको बता दें कि साल 2016 में नोटबंदी के बाद जब डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिला तो लोगों के घर-घर पेटीएम पहुंच गया. वहीं पेटीएम ने 8 […]
नई दिल्ली: कैश के लिए जिस तरह एटीएम का नाम सबसे दिमाग में आता है. ठीक वैसे ही डिजिटल पेमेंट के लिए लोगों को पेटीएम याद आता है. आपको बता दें कि साल 2016 में नोटबंदी के बाद जब डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिला तो लोगों के घर-घर पेटीएम पहुंच गया. वहीं पेटीएम ने 8 नवंबर की तारीख को जश्न की तरह मनाया और 8 नवंबर 2021 को अपना आईपीओ भी लॉन्च किया, लेकिन पेटीएम में भरपूर निवेश करने वाली चीनी कंपनियों ने अपने हाथ सिकोड़ना शुरू किए तो कंपनी की परतें खुलने लगीं।
पेटीएम के आईपीओ के समय सबसे बड़ी शेयर होल्डर चीन की अलीबाबा और जापान की सॉफ्टबैंक थीं. ऐसे में पेटीएम की स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग का लाभ भी सबसे अधिक इन्हीं दोनों कंपनियों को हुआ. पेटीएम के आईपीओ से कंपनी के फाउंडर विजय शेखर शर्मा को 402 करोड़ रुपए जहां हासिल हुए, वहीं सॉफ्टबैंक को 1,689 करोड़ रुपए और अलीबाबा ग्रुप को 5,488 करोड़ रुपए मिले. वहीं अलीबाबा ग्रुप के शेयर होल्डिंग में एंट ग्रुप के 4700 करोड़ रुपए भी शामिल थे।
पेटीएम का आईपीओ 18 हजार करोड़ रुपए का था जिसमें सिर्फ 8 हजार करोड़ रुपए के ही नए शेयर जारी हुए. बाकी शेयर उसके इंवेस्टर्स ने ऑफर फॉर सेल में रखे यानी पेटीएम की सबसे बड़ी शेयर होल्डर अलीबाबा एंड एंट ग्रुप ने उससे बाहर निकलना शुरू कर दिया. आईपीओ का 30% सिर्फ अलीबाबा और एंट ग्रुप के शेयर को बेचने से ही आया और यहीं से पेटीएम के खराब दिन भी शुरू हो गए।