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VI और Airtel को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, चुकाने होंगे 92,000 करोड़ रुपये

नई दिल्ली: वोडाफोन-आइडिया (VI) और भारती एयरटेल जैसी प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनकी क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी है, जिसमें 2019 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई थी। इस फैसले में कहा गया था कि एजीआर (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) तय करते वक्त कंपनियों के नॉन-कोर रेवेन्यू (जिनसे कंपनी को सीधा मुनाफा नहीं होता) को भी शामिल किया जाएगा।

92,000 करोड़ रुपये की देनदारी

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इन कंपनियों को अब पिछले 15 सालों से लंबित एजीआर बकाया के रूप में 92,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम सरकार को चुकानी होगी। एयरटेल और वोडाफोन की ये याचिकाएं इस मामले में उनके पास आखिरी कानूनी सहारा थीं। कोर्ट ने 2019 में साफ कर दिया था कि एजीआर की गणना में नॉन-कोर रेवेन्यू को भी जोड़ा जाएगा, जिसके आधार पर सरकार को टेलीकॉम कंपनियों से लाइसेंसिंग और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क मिलता है।

कोर्ट का बयान

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने इस मामले पर विचार करते हुए कहा कि क्यूरेटिव याचिकाओं में हमें कोई दम नहीं दिखा। कोर्ट ने रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा मामले के फैसले का हवाला देते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया। अब वोडाफोन को 58,254 करोड़ रुपये और भारती एयरटेल को 43,980 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना पड़ेगा।

क्या है AGR विवाद?

टेलीकॉम सेक्टर में एजीआर विवाद 2005 से चल रहा है। भारत की टेलीकॉम नीति के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियों को सरकार के साथ राजस्व साझाकरण के तहत लाइसेंसिंग और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क देना होता है। यह शुल्क एजीआर के आधार पर तय होता है। सवाल यह था कि क्या एजीआर में गैर-मुख्य आय को भी शामिल किया जाएगा? इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में सुलझाते हुए कहा कि गैर-मुख्य राजस्व को भी एजीआर में जोड़ा जाएगा।

2019 का ऐतिहासिक फैसला

अक्टूबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि एजीआर की गणना में टेलीकॉम कंपनियों के नॉन-कोर रेवेन्यू को शामिल किया जाएगा। कोर्ट ने 2020 में कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया, जिसमें मार्च 2021 तक 10% भुगतान करने का आदेश था और बाकी रकम मार्च 2031 तक चुकानी थी।

शेयर बाजार पर असर

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का भारती एयरटेल के शेयर पर ज्यादा असर नहीं पड़ा और शेयर 1700 के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया, जो एक दिन का सबसे बड़ा उछाल था। दूसरी ओर, वोडाफोन आइडिया के शेयर में 14% की भारी गिरावट देखी गई और यह 11 रुपये पर ट्रेड कर रहा है।

निवेशकों के लिए कड़ा समय

इस फैसले से टेलीकॉम सेक्टर में बड़ी हलचल मची हुई है। वोडाफोन आइडिया और एयरटेल के निवेशकों को आने वाले समय में सतर्क रहने की जरूरत है।

 

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Anjali Singh

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