नई दिल्ली: मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठक में कई बड़े-बड़े फैसले लिए हैं. एक तरफ पैन 2.0 को मंजूरी दी गई है, वहीं दूसरी तरफ वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन को लागू किया गया है. इसके अलावा किसानों को लेकर भी अहम फैसला लिया गया है, और तीन बड़ी रेलवे परियोजनाओं को भी मंजूरी दे दी गई है.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बैठक में तीन बड़ी रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है.160 किलोमीटर लंबी मनमाड-जलगांव चौथी लाइन बनाई जाएगी. इससे प्रत्येक वर्ष आठ करोड़ लीटर डीजल की बचत होगी. दूसरी परियोजना में 131 किलोमीटर लंबी भुसावल से खंडवा तक तीसरी और चौथी लाइन बनाई जाएगी. इससे पूर्वांचल और मुंबई के बीच क्षमता बढ़ेगी. इसके अलावा तीसरी परियोजना में 84 किलोमीटर लंबी प्रयागराज (इरदतगंज)-मानिकपुर तीसरी लाइन शामिल है. इन परियोजनाओं पर कुल 7,927 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इससे रोजगार पैदा होगा और किसानों, छोटे उद्योगों को मदद मिलेगी.
कैबिनेट ने PAN 2.0 को भी मंजूरी दे दी है. इसके तहत PAN जारी करने के लिए डिजिटल और पेपरलेस प्रक्रिया और शिकायत निवारण तंत्र बनाने पर ध्यान दिया गया है. इससे सिस्टम को और अधिक कुशल और यूजर फ्रेंडली बनाया जा सकेगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन को लेकर कहा कि देश के युवाओं और छात्रों के लिए आज एक बहुत बड़ा फैसला लिया गया है – वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन. हम सब जानते हैं कि रिसर्च करते समय कई तरह के पब्लिकेशन की जरूरत होती है, उनकी कीमत भी बहुत ज्यादा होती है. इसी कारण से प्रधानमंत्री ने निर्णय लिया है कि अब सभी विश्वविद्यालय अपने संसाधनों को साझा करेंगे, जिसमें सभी बड़ी और प्रसिद्ध पत्रिकाएं भी शामिल होंगी, उनका सब्सक्रिप्शन लिया जाएगा और सभी को उपलब्ध कराया जाएगा. इस परियोजना पर 6000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
प्राकृतिक खेती को लेकर भी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. खेती को रसायन मुक्त बनाने के लिए कई फैसले लिए गए हैं. इस बारे में रेल मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी सरकार हमेशा से किसानों के प्रति संवेदनशील रही है. इसी वजह से नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग को लेकर फैसला लिया गया है. इस पर सरकार 2481 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है.
वैष्णव ने कहा कि युवाओं और छात्रों के लिए बड़ा फैसला लिया गया है. कैबिनेट ने वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना को मंजूरी दे दी है. 6,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना में कुल 30 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय जर्नल प्रकाशकों को शामिल किया गया है. इसमें लगभग 13,000 ई-जर्नल की सदस्यता ली जाएगी और छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को उपलब्ध कराई जाएगी. ये संसाधन 6,300 से अधिक सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थानों द्वारा साझा किये जायेंगे।
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